गन्ना अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन आज
भारत की गन्ना अर्थव्यवस्था पर आज नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को समर्पित मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस और नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (NFCSF) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से कर रहे हैं। इसे केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी संबोधित करेंगे।

भारत की गन्ना अर्थव्यवस्था पर आज नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को समर्पित मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस और नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (NFCSF) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से कर रहे हैं। इसे केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी संबोधित करेंगे। वे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे।
भारत की गन्ना अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इससे 500 से अधिक चीनी मिलें और लगभग पांच करोड़ गन्ना किसान परिवार जुड़े हुए हैं। गन्ना अब केवल चीनी उत्पादन की फसल न रहकर यह हरित ईंधन (एथेनॉल), हरित ऊर्जा, (बिजली और सीबीजी) तथा सहउत्पाद जैसे डिस्टिलरी राख से प्राप्त पोटाश (PDM) और फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (FOM) के लिए भी महत्वपूर्ण है। शीरा (molasses), जिसे पहले देशी शराब और पोटेबल अल्कोहल बनाने के लिए उपयोग किया जाता था, अब एथेनॉल और कई रसायन-आधारित उत्पादों के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है।
हालांकि, इस विकास के साथ गंभीर चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। गन्ना क्षेत्र को घटती उत्पादकता, कम चीनी रिकवरी, प्रमुख कीट एवं रोग प्रकोप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे किसानों की आय और उद्योग की आमदनी प्रभावित हो रही है। इसके अलावा तकनीकी और नीतिगत मुद्दे भी हैं जिनका त्वरित समाधान आवश्यक है। इन सभी गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श कर दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए सभी हितधारकों का एक साथ आना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से टिकाऊ गन्ना पारिस्थितिकी तंत्र (Sustainable Sugarcane Economy) के निर्माण हेतु यह राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया जा रहा है।
विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान गन्ना किसानों ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी दिक्कतों से अवगत कराया था। तदोपरांत प्रमुख फसलों पर फसल-वार परामर्श कराने का निर्णय लिया गया था, जिसमें गन्ना भी शामिल है। यह परामर्श उसी दिशा में प्रस्तावित है जैसा कि माननीय कृषि मंत्री ने सुझाव दिया था।
राष्ट्रीय परामर्श में चर्चा के लिए प्रमुख विषय हैं - उच्च उत्पादकता, रोग प्रतिरोधी और बेहतर चीनी रिकवरी वाली नई गन्ना किस्मों का विकास, सभी हितधारकों के लिए व्यवहारिक गन्ना और चीनी मूल्य निर्धारण नीतियाँ, विभिन्न मंत्रालयों और प्राधिकरणों के बीच बेहतर समन्वय, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर दोहरा विनियमन और अधिकार क्षेत्रों पर चर्चा और गन्ना उत्पादन और फसल कटाई में नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता।
इस परामर्श में गन्ना किसान, उद्योग प्रतिनिधि, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सहकारी महासंघ, कृषि वैज्ञानिक (ICAR) और संबद्ध संस्थान, नीति निर्माता, विशेषज्ञ तथा कृषि मंत्रालय एवं खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें वर्तमान चुनौतियों एवं टिकाऊ गन्ना अर्थव्यवस्था (Sustainable Sugarcane Economy) की दिशा पर विस्तृत चर्चा होगी। विचार-विमर्श के आधार पर गन्ना क्षेत्र के लिए भविष्य की कार्ययोजना और रोडमैप तैयार किया जाएगा।