खाद्य और ईंधन के दाम बढ़ने की रफ्तार घटने से खुदरा महंगाई में कमी, लेकिन लगातार पांचवें महीने यह 6 फ़ीसदी से ऊपर

मई में खुदरा महंगाई 7.04 फ़ीसदी रही। अप्रैल में यह 7.79 फ़ीसदी और मई 2021 में 6.3 फ़ीसदी थी। पिछले साल अक्टूबर से खुदरा महंगाई में हर महीने वृद्धि दर्ज की जा रही थी। जनवरी से यह लगातार छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है। महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने 4 मई को रेपो रेट 0.4 फ़ीसदी और पिछले हफ्ते 0.5 फ़ीसदी बढ़ा दिया था

खाद्य और ईंधन के दाम बढ़ने की रफ्तार घटने से खुदरा महंगाई में कमी, लेकिन लगातार पांचवें महीने यह 6 फ़ीसदी से ऊपर

खुदरा महंगाई मई में लगातार पांचवें महीने रिजर्व बैंक की ऊपरी सीमा 6 फ़ीसदी से अधिक दर्ज हुई है। हालांकि खाने पीने की चीजों और ईंधन के दाम में कमी आने से लगातार 7 महीने से जो महंगाई दर बढ़ रही थी, उस पर विराम लगा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मई में खुदरा महंगाई 7.04 फ़ीसदी रही। अप्रैल में यह 7.79 फ़ीसदी और मई 2021 में 6.3 फ़ीसदी थी। पिछले साल अक्टूबर से खुदरा महंगाई में हर महीने वृद्धि दर्ज की जा रही थी। जनवरी से यह लगातार छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है। महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने 4 मई को रेपो रेट 0.4 फ़ीसदी और पिछले हफ्ते 0.5 फ़ीसदी बढ़ा दिया था।

खुदरा महंगाई सूचकांक में 39 फ़ीसदी से अधिक वेटेज रखने वाले फूड बास्केट की महंगाई पिछले महीने 7.97 फ़ीसदी दर्ज हुई। अप्रैल में यह 8.31 फ़ीसदी थी। अनाज की कीमतें अप्रैल की 5.96 फ़ीसदी की तुलना में मई में 5.33 फ़ीसदी बढ़ी हैं। तेल एवं वसा के दाम 17.28 फ़ीसदी के मुकाबले 13.6 फ़ीसदी बढ़े हैं। सरकार ने पिछले दिनों सूरजमुखी और सोयाबीन ऑयल के आयात पर शुल्का हटा दिया था। फलों के दाम बढ़ने की रफ्तार भी 4.99 फ़ीसदी से घटकर 2.33 फ़ीसदी रह गई, लेकिन सब्जियों के दाम अप्रैल की तुलना में पिछले महीने ज्यादा बढ़े। अप्रैल में इनकी कीमतों में 15.41 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ था जबकि मई में सब्जियां 18.26 फ़ीसदी महंगी हुई हैं। दालें 0.42 फ़ीसदी सस्ती हुई हैं।

ईंधन श्रेणी की महंगाई 9.54 फ़ीसदी दर्ज हुई है। अप्रैल में इनके दाम 10.80 फ़ीसदी बढ़े थे। सरकार ने पिछले दिनों पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि कुल महंगाई दर अभी काफी ज्यादा है और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए इसमें फिलहाल बड़ी राहत की उम्मीद कम लग रही है। इसीलिए रिजर्व बैंक ने भी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई का अनुमान 5.7 फ़ीसदी से बढ़ाकर 6.7 फ़ीसदी कर दिया।

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई 7.5 फ़ीसदी, दूसरी तिमाही में 7.4 फ़ीसदी, तीसरी में 6.2 और आखिरी तिमाही में 5.8 फ़ीसदी रहेगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर महंगाई दर ऊंची बनी रहती है तो अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक एक बार फिर रेपो रेट पढ़ा सकता है।

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