श्रीलंका के राष्ट्रपति का दावा, प्रधानमंत्री मोदी ने दिया है उर्वरक सप्लाई करने का भरोसा

पिछले साल से भारत में ही उर्वरकों की किल्लत चल रही है। यूरिया तथा अन्य उर्वरक ना मिलने के कारण किसानों ने जगह-जगह प्रदर्शन किए थे। मानसून के आगमन के साथ देश में खरीफ का सीजन शुरू हो गया है और जल्दी ही यहां उर्वरकों की मांग फिर बढ़ने वाली है। ऐसे में भारत श्रीलंका को इनकी आपूर्ति कैसे करेगा यह देखने वाली बात होगी

श्रीलंका के राष्ट्रपति का दावा, प्रधानमंत्री मोदी ने दिया है उर्वरक सप्लाई करने का भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को भरोसा दिलाया है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में खाद्य पदार्थों का संकट रोकने के लिए भारत श्रीलंका को उर्वरकों की आपूर्ति करेगा। खुद राष्ट्रपति राजपक्षे ने यह बात कही है। इस बीच विश्व बैंक भी यूरिया आयात करने के लिए श्रीलंका को आर्थिक मदद देने पर राजी हो गया है। श्रीलंका में अभी मई से अगस्त तक याला सीजन चल रहा है जिसमें धान की खेती होती है। सितंबर से मार्च तक जब वहां उत्तर पूर्व मानसून की बारिश होती है, तब वहां खेती का महा सीजन होता है।

पिछले साल से भारत में ही उर्वरकों की किल्लत चल रही है। यूरिया तथा अन्य उर्वरक ना मिलने के कारण किसानों ने जगह-जगह प्रदर्शन किए थे। मानसून के आगमन के साथ देश में खरीफ का सीजन शुरू हो गया है और जल्दी ही यहां उर्वरकों की मांग फिर बढ़ने वाली है। ऐसे में भारत श्रीलंका को इनकी आपूर्ति कैसे करेगा यह देखने वाली बात होगी।

राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने अधिकारियों के साथ बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खेती के अगले सीजन के लिए उर्वरकों की आपूर्ति करने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने श्रीलंका को जो लाइन आफ क्रेडिट दिया है उसी के तहत उर्वरकों की आपूर्ति की जाएगी।

श्रीलंका सरकार ने विदेशी मुद्रा का संकट बढ़ने पर पिछले साल रासायनिक उर्वरकों का आयात रोक दिया था और देश के किसानों से ऑर्गेनिक खेती करने को कहा था। लेकिन अचानक ऑर्गेनिक खाद की सप्लाई ना हो सकी तो धान और चाय की फसलों को करीब 50 फ़ीसदी नुकसान हुआ। इसकी वजह से खाद्य पदार्थों के दाम भी काफी बढ़ गए। इसलिए अब राजपक्षे सरकार धान उत्पादन बढ़ाना चाहती है ताकि देश में चावल का गंभीर संकट ना खड़ा हो। इसलिए सरकार रासायनिक उर्वरकों का आयात करना चाहती है राजपक्षे यह स्वीकार कर चुके हैं कि 100 फ़ीसदी ऑर्गेनिक खेती का उनका फैसला गलत था। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगस्त के मध्य तक श्रीलंका में खाद्य पदार्थों की बड़ी किल्लत हो सकती है।

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