को-ऑपरेटिव को बढ़ावा देने से मजबूत होगी कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था

ग्रामीण अर्थव्यस्था को बढ़ावा देने और मजबूत बनाने के लिए सहकारी क्षेत्र को 75 साल पहले मान्यता मिल जानी चाहिए थी। अब जाकर सरकार ने यह स्वीकार किया है कि ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने में को-ऑपरेटिव मददगार हो सकता है। बजट में एग्री एक्सीलरेटर फंड बनाने की जो घोषणा की गई है वह उसी दिशा में बढ़ता कदम है।

को-ऑपरेटिव को बढ़ावा देने से मजबूत होगी कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था

वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में को-ऑपरेटिव क्षेत्र को मजबूत बनाने की पहल की गई है। सरकार ने इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना बनाई है। इसका मतलब यह हुआ कि ग्रामीण इलाकों में को-ऑपरेटिव के माध्यम से विकेंद्रित अन्न भंडारण केंद्र बनाए जाएंगे जिससे रोजगार बढ़ेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसके लिए बजट में “सहकार से समृद्धि” का नारा दिया गया है। को-ऑपरेटिव क्षेत्र लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। मांग पूरी होने पर को-ऑपरेटिव क्षेत्र की ओर से इस कदम का स्वागत किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ये बजट सहकारिता को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की धुरी बनाएगा। देश के प्रत्येक वंचित ग्राम पंचायतों में पैक्स का गठन किया जाएगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र पर चल सहकारिता के माध्यम से करोड़ों लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए संकल्पित भाव से कार्य कर रही है।

अपने ट्वीट्स में अमित शाह ने कहा कि बजट में सहकारिता क्षेत्र को सशक्त करने के लिए किये गए अभूतपूर्व निर्णय इसी संकल्प का प्रतीक हैं। बजट में विश्व की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित करने की योजना से सहकारी समितियों से जुड़े किसान अपनी उपज का भंडारण कर उसे उचित समय पर बेच कर अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर पाएंगे। यह किसानों के आय बढाने के मोदी जी के संकल्प में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि साथ ही अगले 5 वर्षों में सरकार हर पंचायत में नई बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगी। इससे सहकारिता आन्दोलन को नई दिशा और गति प्राप्त होगी, जिससे यह क्षेत्र और अधिक सशक्त होगा।

अमीत शाह ने कहा कि 31 मार्च 2024 तक बनने वाली मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की सहकारी समितियों को सिर्फ 15 फीसदी टैक्स के दायरे में रखने, नकद निकासी पर टीडीएस की अधिकतम सीमा तीन करोड़ रुपये करने, प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी व प्राइमरी कोआपरेटिव एग्रीकल्चरल एवं रूरल डेवपलमेंट बैंकों  द्वारा नकद जमा व ऋण के लिए प्रति सदस्य दो लाख रुपये की सीमा प्रदान करने का निर्णय सरहनीय है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा कि सहकारी क्षेत्र के लिए एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसमें चीनी सहकारी समितियों द्वारा 2016-17 से पहले किसानों को किये गए भुगतान को अपने खर्च में दिखा पाने की सुविधा दी गयी है इससे करीब 10 हजार करोड़ रुपये की राहत सहकारी चीनी मिलों को मिलेगी। 

इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ डॉ. उदय शंकर  अवस्थी ने अपने ट्विटर हैंडल पर बजट भाषण पर प्रधानमंत्री के उद्बोधन का वीडियो साझा कर सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि यह सहकारिता के लिए शानदार और सराहनीय कदम है।

सहकार भारती के अध्यक्ष डॉ. डी एन ठाकुर ने रूरल वॉयस से बातचीत में इस कदम पर खुशी जताते हुए कहा कि ग्रामीण और कृषि इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए यह सकारात्मक पहल है। हमलोग काफी समय से इसकी मांग करते रहे हैं कि अन्न भंडारण क्षमता का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। बजट में इसे मान लिया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यस्था को बढ़ावा देने और मजबूत बनाने के लिए सहकारी क्षेत्र को 75 साल पहले मान्यता मिल जानी चाहिए थी। अब जाकर सरकार ने यह स्वीकार किया है कि ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने में को-ऑपरेटिव मददगार हो सकता है। बजट में एग्री एक्सीलरेटर फंड बनाने की जो घोषणा की गई है वह उसी दिशा में बढ़ता कदम है। उनके मुताबकि, अब यह स्पष्ट है कि को-ऑपरेटिव का कंट्रोल सरकार अपने पास नहीं रखेगी, बल्कि धीरे-धीरे उससे बाहर निकलेगी। सरकार को-ऑपरेटिव के ड्राइवर की बजाय सपोर्टर के रूप में रहेगी तो को-ऑपरेटिव ज्यादा मजबूत होगा। हालांकि, अभी आगे बहुत काम करना है।

नेशनल को-ऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि 'सहकार से समृद्धि' का सरकार का नारा यह सुनिश्चित करेगा कि सहकारी विकास का लाभ समाज के सबसे निचले तबके तक पहुंचे। बजट के प्रावधानों से नई सहकारी समितियों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) और प्राथमिक सहकारी कृषि ग्रामीण विकास बैंकों को लाभ होगा। सहकारी समितियां लंबे समय से यह मांग कर रही थीं कि उन्हें भी निजी कंपनियों की तरह माना जाना जाए। इस वर्ष का बजट इस दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि निजी कंपनियों पर लगने वाले 15 फीसदी टैक्स का लाभ अब सहकारी समितियों को भी मिलेगा। इससे मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में नई सहकारी समितियां बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बजट में चीनी सहकारी समितियों को 10 हजार करोड़ रुपये की राहत देने की घोषणा से गन्ना किसानों का भुगतान करने में मदद मिलेगी। "पीएम मत्स्य संपदा योजना" के तहत अतिरिक्त पैकेज से मत्स्य पालन क्षेत्र की सहकारी समितियों को बढ़ावा मिलेगा। कमजोर सहकारी समितियों को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धा की जा सके।

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