राष्ट्रीय सहकारिता नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में समिति का गठन

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्‍ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का प्रारूप तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय समिति के गठन की घोषणा की। पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्‍यक्षता में गठित इस समिति में देश के सभी हिस्‍सों से 47 सदस्यों को शामिल किया गया है

राष्ट्रीय सहकारिता नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए  सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में  समिति का गठन

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्‍ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का प्रारूप तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय समिति के गठन की घोषणा की। पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्‍यक्षता में गठित इस समिति में देश के सभी हिस्‍सों से 47 सदस्यों को शामिल किया गया है। केद्रीय सहकारिता मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्‍व में ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाई जा रही है। इस समिति में सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञ, राष्‍ट्रीय,राज्‍य, जिला व प्राथमिक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) और सहकारी समितियों के पंजीयक  तथा केन्‍द्रीय मंत्रालयों व विभागों के अधिकारी शामिल हैं।

इसके साथ ही केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री 8 सितंबर, 2022 को दिल्ली में राज्य सहकारिता मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। सम्मेलन में देश के सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सहकारिता रजिस्ट्रार और प्रतिनिधि भाग लेंगे।

राज्य सहकारिता मंत्रियों का दो दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन सम्मेलन प्रतिभागियों को अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और समन्वय के माध्यम से एक कार्यान्वयन योग्य नीति और योजना ढांचा तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। साथ ही इसमें सहकारी समितियों के पूरे जीवन चक्र और उनके व्यवसाय व संचालन के सभी पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। सम्मेलन में राष्ट्रीय सहकारिता नीति, राष्ट्रीय सहकारिता डेटाबेस जैसे नीतिगत मसलों पर चर्चा होगी। इसके अलावा हर पंचायत में पैक्स (PACS), कृषि आधारित और अन्य उत्पादों का निर्यात, जैविक उत्पादों को प्रोत्साहन तथा विपणन और सहकारिता का नए क्षेत्रों में विस्तार जैसी योजनाओं के अलावा  पैक्स और माडल बाइलाज पर भी चर्चा होगी। इसमें  पैक्स  के कम्प्यूटरीकरण, अक्रियाशील पैक्स के पुनर्जीवीकरण करने की कार्य योजना और सहकारी अधिनियमों में एकरूपता लाना शामिल है। वहीं  प्राथमिक सहकारी समितियों के  दीर्घकालीन वित्तपोषण को प्राथमिकता देने और दुग्ध  वह मतस्य सहकारी समितियों के बारे में चर्चा होगी। 

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार सहकार से समृद्धि की अपनी परिकल्पना द्वारा सहकारिता से जुड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कटिबद्ध हैं। इस विज़न को साकार करने के लिए  6 जुलाई 2021 को सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मंत्रालय, सहकारिता क्षेत्र के विकास को एक नई गति देने, मजबूत करने और इसे सर्वस्पर्शीय व सर्वसमावेशी विकास का मॉडल बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।

मौजूदा राष्ट्रीय सहकारिता नीति, सहकारी समितियों के चहुंमुखी विकास और उन्हे आवश्यक सहयोग देने, प्रोत्साहित करने और सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में लागू की गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहकारी समितियां एक स्वायत्त, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक रूप से प्रबंधित संस्थाओं के तौर पर कार्य कर सकें जो अपने सदस्यों के प्रति उत्तरदायी हों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था  में महत्वपूर्ण  योगदान कर सकें। आज भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं जो करीब 29 करोड़ सदस्यों के साथ पूरे देशभर में फैली हैं।  ये सहकारी समितियां कृषि प्रसंस्करण, डेयरी, मत्स्यपालन, आवासन, बुनाई, ऋण और विपणन समेत विविध कार्यकलापों में सक्रिय हैं।

नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का निर्माण नए सहकारिता मंत्रालय को दिये गए अधिदेश (Mandate) को पूरा करने की दृष्टि से किया जा रहा है।  जिसमें अन्य  बातों के साथ-साथ, ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करना; देश में सहकारी आंदोलन को सशक्तश बनाना और जमीनी स्तर पर इसकी पहुंच को मजबूत करना, सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल का संवर्धन करना और सहकारिता क्षेत्र को उसकी क्षमता हासिल करने में सहायक नीतिगत, कानूनी व संस्थागत अवसंरचना का निर्माण करना है। 

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