थोक में घटी, खुदरा में बढ़ी महंगाई, जनवरी में थोक महंगाई 4.73% तो खुदरा महंगाई 6.52% रही

एक तरफ थोक महंगाई में मामूली कमी आई है वहीं दूसरी ओर खुदरा महंगाई दो महीने बाद फिर से 6 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है। जनवरी में थोक महंगाई दर दिसंबर के 4.95 फीसदी के मुकाबले घटकर 4.73 फीसदी हो गई है। थोक महंगाई की यह दर पिछले 24 महीने में सबसे कम है। वहीं खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 6.52 फीसदी हो गई जो दिसंबर 2022 में एक साल के सबसे निचले स्तर 5.72 फीसदी पर आ गई थी।

थोक में घटी, खुदरा में बढ़ी महंगाई, जनवरी में थोक महंगाई 4.73% तो खुदरा महंगाई 6.52% रही

जनवरी महीने के महंगाई के आंकड़े सरकार ने जारी कर दिए हैं। एक तरफ थोक महंगाई में मामूली कमी आई है वहीं दूसरी ओर खुदरा महंगाई दो महीने बाद फिर से 6 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है। जनवरी में थोक महंगाई दर दिसंबर के 4.95 फीसदी के मुकाबले घटकर 4.73 फीसदी हो गई है। थोक महंगाई की यह दर पिछले 24 महीने में सबसे कम है। वहीं खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 6.52 फीसदी हो गई जो दिसंबर 2022 में एक साल के सबसे निचले स्तर 5.72 फीसदी पर आ गई थी। जबकि नवंबर 2022 में यह 5.88 फीसदी पर थी। इससे पहले अक्टूबर में यह उच्च स्तर 6.77 फीसदी पर थी।  

थोक महंगाई में लगातार आठवें महीने गिरावट आई है। निर्माण क्षेत्र के उत्पादों, ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में कमी के कारण यह गिरावट आई है। जनवरी 2022 में थोक महंगाई की दर 13.68 फीसदी थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक, मिनरल ऑयल, केमिकल व केमिकल उत्पादों, वस्त्रों, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस और खाद्य पदार्थों की थोक कीमतों में नरमी की वजह से महंगाई की दर घटी है। हालांकि, अनाजों की थोक महंगाई दर में 2.41 फीसदी का इजाफा हुआ। जबकि सब्जियां 26.48 फीसदी तक सस्ती हुई हैं। ऑयल सीड्स के थोक दाम में 4.22 फीसदी की कमी आई है। ईंधन और ऊर्जा बास्केट में थोक महंगाई दर 15.15 फीसदी दर्ज की गई। दिसंबर में यह 18.09 फीसदी थी। निर्माण क्षेत्र के उत्पादों के मामले में यह 2.99 फीसदी रही जो दिसंबर में 3.37 फीसदी थी। हालांकि, खाद्य सूचकांक दिसंबर के 0.65 फीसदी से बढ़कर जनवरी में 2.95 फीसदी पर पहुंच गई है।

इससे पहले सोमवार को सरकार ने खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए थे। खुदरा महंगाई की दर एक बार फिर से 6 फीसदी से ऊपर पहुंचने को देखते हुए इस बात की संभावना बढ़ गई है कि रिजर्व बैंक आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता रहेगा। इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की वृद्धि की थी। तब ऐसा लग रहा था कि फिलहाल शायद यह आखिरी बढ़ोतरी हो क्योंकि पिछले साल मई से लेकर अब तक आरबीआई कर्ज को 2.5 फीसदी महंगा कर चुका है। मगर खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए आरबीआई के लिए अब गुंजाइश कम ही बची है। आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर ही गौर करता है।  

खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से ही जनवरी में खुदरा महंगाई की दर में तेजी आई है। जबकि नवंबर-दिसंबर में खुदरा महंगाई दर में जो कमी आई थी वह खाने पीने की वस्तुओं के दाम घटने की वजह से ही आई थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी जनवरी के आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य पदार्थों की महंगाई दर दिसंबर के 4.19 फीसदी की तुलना में पौने दो फीसदी बढ़कर जनवरी में 5.94 फीसदी रही। एक साल पहले जनवरी 2022 में खाद्य महंगाई 5.43 फीसदी रही थी। मासिक आधार पर दाम में सबसे ज्यादा वृद्धि अनाज, अंडा एवं मसालों में दर्ज की गई। वहीं मांस, मछली और दूध के दाम भी बढ़े। फलों और दालों के दाम में भी मामूली तेजी आई है। हालांकि जनवरी में सब्जियां, खाद्य तेल और चीनी के दाम दिसंबर की तुलना में कम रहे।

शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में खाद्य महंगाई की दर ज्यादा रही। शहरी इलाके की खाद्य महंगाई 4.79 फीसदी के मुकाबले ग्रामीण इलाके में 6.65 फीसदी रही। दिसंबर में भी ग्रामीण इलाके की खाद्य महंगाई शहरों से ज्यादा रही थी। यह शहरों के 2.8 फीसदी की तुलना में 5.05 फीसदी रही थी।

खुदरा महंगाई एक बार फिर से रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर 6 फीसदी से ऊपर चली गई है। हालांकि, यह लगातार 40 महीनों से रिजर्व बैंक द्वारा तय 4 फीसदी के स्तर से ऊपर बनी हुई है। इस महीने की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि 2023 में खुदरा महंगाई की दर 6.1 फीसदी के आसपास बनी रहेगी।

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