नई सहाकारिता नीति 2022 में, पांच साल में पांच गुना हो जाएंगी सहकारी समितियां : अमित शाह

पहले राष्ट्रीय सहाकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में सहकारिता को मजबूत करने के लिए सरकार नई सहकारी नीति लाएगी। नई सहकारिता नीति 2022 में आ जाएगी। सहकारी समितियों को जमीनी स्तर तक ले जाने का जिम्मेदारी अब सहकारिता मंत्रालय  उठाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार अगले पांच साल में देश में प्राथमिक सहकारी समितियों की संख्या को बढ़ाकर तीन लाख तक पहुंचाना चाहती है

नई सहाकारिता नीति 2022 में, पांच साल में पांच गुना हो जाएंगी सहकारी समितियां : अमित शाह

नई दिल्ली 

नई दिल्ली में 25 सितंबर को आयोजित पहले राष्ट्रीय सहाकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में सहकारिता को मजबूत करने के लिए सरकार नई सहकारी नीति लाएगी। नई सहकारिता नीति 2022 में आ जाएगी। सहकारी समितियों को जमीनी स्तर तक ले जाने का जिम्मेदारी अब सहकारिता मंत्रालय  उठाएगा।

अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन में कहा कि यह सबसे बड़ी बात  है कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पहला सहकारिता मंत्री बनने का मौका दिया है । जो हमारे लिए बड़े गर्व की बात है।  उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय सभी राज्यों के सहकार सहयोग से चलेगा और इसे किसी भी राज्य से टकराव के लिए नहीं बनाया गया है । शाह ने कहा कि इस मंत्रालय का मूल मंत्र सहकारी समितियों के माध्यम से जमीनी स्तर तक समृद्धि हासिल करना है

अमित शाह ने स्टेडियम में मौजूद दो हजार से अधिक सहकारी सदस्यों और सोशल मीडिया से जुड़े करीब छह करोड़ लोगों को संबोधित किया। उन्होंने दुनिया की नंबर एक उर्वरक सहकारी संस्था इफको द्वारा निर्मित दुनिया के पहले नैनो लिक्विड यूरिया की सराहना की और कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।

सहकारिता आंदोलन के ऐतिहासिक महत्व के बारे में शाह ने कहा कि मैं 25 वर्षों से सहकारिता आंदोलन से जुड़ा हूं। देश पर जब भी कोई विपदा आई है, सहकारिता आंदोलनों ने देश को बाहर निकाला है। सहकारी बैंक केवल भारत की सहयोग संस्कृति के कारण बिना लाभ के उद्देश्य के लोगों के लिए काम कर रहे हैं।

 

उन्होंने अमूल और लिज्जत का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां देश के करोड़ों किसान अमूल से जुड़े हैं, वहीं लिज्जत पापड़ से हजारों महिलाओं को रोजगार मिला है। सहकारी समितियों के आधुनिकीकरण के माध्यम से अब देश में सहकारिता को मजबूत करने की जरूरत है।

अपने मंत्रालय की योजनाओं को साझा करते हुए अमित शाह ने घोषणा की कि केंद्र जल्द ही बहु-राज्य सहकारी समितियों के कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन करेगा।

समारोह के दौरान शाह ने कहा कि छह लाख गांवों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए हम आने वाले पांच वर्षों में हर दूसरे गांव में  पैक्स स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित करेंगे। पैक्स की संख्या 63,000 से बढ़ाकर तीन लाख करने के लिए के लिए सहकारिता मंत्रालय एक उचित कानूनी ढांचा तैयार करेगा, जो सुझाव व्यहवारिक होगा हम उसे राज्य सरकारों को भेजेंगे। राज्य अपने कानूनों हिसाब से  बदलाव कर सकते हैं।

शाह ने कहा, "हमने एक नई सहकारी नीति लाने का फैसला किया है जो पहली बार 2002 में अटल जी द्वारा लाई गई थी और अब मोदी जी 2022 में नई सहकारिता नीति लाएंगे। हम इस अमृत महोउत्सव अवसर के दौरान नई सहकारी नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।

देश के विकास में सहकारिता के योगदान के महत्व को बताते हुए शाह ने कहा कि भारत के 91 प्रतिशत गांवों में सहकारी समितियां है। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी के लिए सहकारिता की जरूरत है । उन्होंने कहा कि करीब 36 लाख करोड़ परिवार सहकारिता से जुड़े हैं।  सहकारी समितियां गरीबों और पिछड़ों के विकास के लिए हैं। शाह ने कहा कि इफको ने देश के गरीबों को एक नई दिशा देने का काम किया है।

इस समारोह में सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (वैश्विक) के अध्यक्ष डॉ एरियल ग्वार्को, इफको के अध्यक्ष बलविंदर सिंह, इफको के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी, सहकारिता मंत्रालय के सचिव देवेंद्र कुमार सिंह और कृभको के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव भी इस कार्यक्रम में शामिल होने वालों में थे  जिन्होंने सम्मेलन को संबोधित किया ।

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