कॉटन पर आयात शुल्क खत्म करने के फैसले पर किसान संगठनों ने उठाए सवाल
केंद्र सरकार द्वारा कॉटन पर 11 फीसदी आयात शुल्क समाप्त करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए किसान संगठनों ने इसे वापस लेने की मांग की है।

केंद्र सरकार द्वारा 19 अगस्त से कॉटन पर 11 फीसदी आयात शुल्क समाप्त करने के फैसले का किसान संगठनों ने विरोध किया है। इस निर्णय को किसान हितों के खिलाफ बताते हुए संगठनों ने सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। अखिल भारतीय किसान सभा ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह कदम किसानों के हितों के खिलाफ है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने के लिए 25 अगस्त को नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस कर आगे की रणनीति का खुलासा करेगा।
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष और पूर्व लोक सभा सदस्य राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस के साथ बातचीत में कहा कि यह फैसला कपास उत्पादक किसानों के हितों के प्रतिकूल है। इस मसले पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आयात शुल्क हटाने के सरकार के इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। शेट्टी का कहना है कि सरकार द्वारा आयात शुल्क समाप्त करने के बाद से कॉटन का दाम 1100 रुपये प्रति कैंडी गिर गया है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से देश के किसानों के हितों की रक्षा की बात कही थी। लेकिन 18 अगस्त को कॉटन पर आयात शुल्क समाप्त करने की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी।
अखिल भारतीय किसान सभा का कहना है कि इस निर्णय का तात्कालिक प्रभाव बहुत गंभीर होगा क्योंकि देश के अधिकांश कपास उत्पादक क्षेत्रों में किसान दो महीने पहले बुवाई कर चुके हैं। उन्हें अपनी उपज के उचित मूल्य की उम्मीद में भारी लागत लगानी पड़ी है। सरकार का यह निर्णय उस समय आया है जब किसान फसल की कटाई की तैयारी कर रहे हैं। भारत के कपास उत्पादक क्षेत्र पहले से ही कृषि संकट और किसान आत्महत्याओं के लिए बदनाम हैं। यह निर्णय किसानों को और अधिक कर्ज में डुबो देगा तथा उनकी आर्थिक स्थिति को और बदतर बना देगा।
किसान नेता और शेतकारी संघटना के पूर्व अध्यक्ष अनिल घनवत ने भी रूरल वॉयस के साथ बातचीत में माना कि सरकार का यह फैसला किसानों के हित के विपरीत है। उनका कहना है कि ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट मीडियम और शॉर्ट स्टेपल कॉटन का भी होगा। ऐसे में कपास के दाम गिरने की आशंका है। इसलिए सरकार को यह निर्णय वापस लेना चाहिए और 30 सितंबर के बाद इसे बिल्कुल आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
किसान संगठनों का कहना कि 40 दिनों की इस अवधि में जो आयात होगा उसके चलते देश में कॉटन की कीमतों में गिरावट की स्थिति बन जाएगी और उसका आगामी फसल पर असर पड़ेगा। इसलिए उन्होंने सरकार से कहा है कि उसे पूरी फसल को एमएसपी पर खरीदने व्यवस्था करनी चाहिए। वहीं उद्योग सूत्रों के मुताबिक, इस आयात शुल्क समाप्त करने के फैसले के बाद से कॉटन की कीमत गिरना शुरू हो गई है।
केंद्र सरकार ने 18 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर कॉटन आयात पर 10 फीसदी आयात शुल्क और उसके ऊपर लगने वाले 10 फीसदी एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर सेस को समाप्त कर दिया था। प्रभावी आयात शुल्क 11 फीसदी था। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, कॉटन के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति 19 अगस्त से 30 सितंबर 2025 के लिए दी गई है।
देश का टेक्सटाइल सेक्टर ट्रम्प टैरिफ के बाद सरकार से राहत की मांग कर रहा था। क्योंकि ट्रम्प द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की मार टेक्सटाइल सेक्टर पर पड़ेगी। उद्योग का कहना है कि इस टैरिफ के बाद उनके उत्पाद प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाएंगे।