प्याज के दाम गिरने से बढ़ी किसानों की मुश्किलें, एमएसपी और किसानों से सीधे खरीद की मांग

नासिक, लासलगांव, पुणे और अहमदनगर की मंडियों में बड़ी मात्रा में प्याज की आवक हो रही है, लेकिन मांग में कमी के चलते किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

प्याज के दाम गिरने से बढ़ी किसानों की मुश्किलें, एमएसपी और किसानों से सीधे खरीद की मांग

महाराष्ट्र की प्रमुख कृषि उपज मंडियों में इन दिनों प्याज के दामों में गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। नासिक और आसपास के जिलों की मंडियों में प्याज का औसत भाव 1200–1300 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया है, जिससे किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।

नासिक, लासलगांव, पुणे और अहमदनगर की मंडियों में बड़ी मात्रा में प्याज की आवक हो रही है, लेकिन खरीदारों की संख्या कम होने और मांग में कमी के चलते किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

आमतौर पर सावन के महीने में प्याज की खपत कम रहती है। इसके अलावा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में खरीफ सीजन का प्याज भी इस समय बाजार में आ रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की मांग कम हो गई है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है।

सरकार से हस्तक्षेप की मांग

किसान संगठनों ने प्याज की गिरती कीमतों पर राज्य और केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक कृषक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले ने कहा कि प्याज का मौजूदा बाजार भाव किसानों के लिए घाटे का सौदा है और सरकार को इस पर तुरंत उचित निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को प्याज निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की स्थायी नीति बनानी चाहिए। साथ ही, कम कीमत पर प्याज बेचने वाले किसानों को कम से कम 1000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देनी चाहिए।

एमएसपी और किसानों से सीधी खरीद की मांग  

प्याज उत्पादक किसानों ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करने और गारंटीकृत मूल्य पर तुरंत खरीद शुरू करने की मांग की है। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक कृषक संघ की मांग है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लासलगांव जैसी प्रमुख मंडी में आकर प्याज के मुद्दे पर किसानों से सीधी बातचीत करनी चाहिए और उनकी समस्याओं का हल निकालना चाहिए। 

भारत दिघोले का कहना है कि केंद्र सरकार दो एजेंसियां के जरिए बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद करती हैं। उनकी मांग है कि सरकार को सीधे किसानों से 3000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर कृषि उपज मंडियों (APMC) में प्याज की खरीद करनी चाहिए। 

केंद्रीय एजेंसियों ने घटाया खरीद मूल्य

दिघोले ने बताया कि केंद्र सरकार की एजेंसिया इस वर्ष बफर स्टॉक के लिए 15-16 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर प्याज खरीद रही हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ही इतने कम दाम पर प्याज खरीदेगी तो किसानों को घाटे से कौन बचाएगा? 

गौरतलब है कि पिछले साल सरकारी एजेंसियों ने औसतन 29 रुपये प्रति किलो के रेट पर बफर स्टॉक के लिए प्याज खरीदा था, जिसे उपभोक्ताओं को 35 रुपये के रेट पर वितरित किया था। लेकिन इस बार प्याज के अधिक उत्पादन और कम दाम के चलते बफर स्टॉक के लिए खरीद का दाम भी कम है। 

गिरावट के पीछे कारण

इस बार देश में प्याज का बंपर उत्पादन हुआ है। बागवानी फसल उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में प्याज का उत्पादन पिछले वर्ष के 242.67 लाख टन की तुलना में लगभग 307.72 लाख टन होने की उम्मीद है, जो करीब 27 फीसदी अधिक है। मानसून की शुरुआत में बड़ी मात्रा में प्याज की तुड़ाई की गई, जिससे मंडियों में एक साथ अधिक आवक हो गई। वहीं दूसरी ओर, निर्यात में सुस्ती और घरेलू उपभोग में कमी के कारण भी कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

 

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