दुनिया के 43 देशों के 4.9 करोड़ लोग अकाल से बस एक कदम दूरः संयुक्त राष्ट्र महासचिव

एंटोनियो गुटेरस ने यूक्रेन में युद्ध तत्काल खत्म करने और विभिन्न देशों के भीतर चल रहे संकट का राजनीतिक समाधान तलाशने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर एक के लिए पर्याप्त खाना उपलब्ध है, लेकिन समस्या उसके डिस्ट्रीब्यूशन की है और यह यूक्रेन युद्ध से प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है

दुनिया के 43 देशों के 4.9 करोड़ लोग अकाल से बस एक कदम दूरः संयुक्त राष्ट्र महासचिव

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध तथा विभिन्न देशों में आंतरिक संकट के चलते 43 देशों में 4.9 करोड़ लोग अकाल से बस एक कदम दूर हैं। उन्हें खाने को कुछ नहीं मिल रहा और जिंदा रहने के लिए वे जो कुछ भी कर सकते हैं कर रहे हैं। गुटेरस गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, हमेशा की तरह महिलाएं और बच्चियां सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यह बात उनकी ट्रैफिकिंग, जबरन शादी और अन्य तरह के यौन शोषण के बढ़ते मामलों से साबित होती है। इथियोपिया, दक्षिण सूडान, यमन और मेडागास्कर में पांच लाख से अधिक लोग अकाल की परिस्थितियों में पहुंच चुके हैं।

उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया के 60 फ़ीसदी अल्पपोषित लोग प्रभावित हुए हैं। कोई भी देश इससे अछूता नहीं है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के तहत 30 लाख से अधिक यूक्रेनवासियों को अप्रैल में खाद्य और नकद मदद मुहैया कराई गई। इससे एक महीना पहले मार्च तक उनका देश दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की सप्लाई कर रहा था। पिछले साल दुनिया के 14 करोड़ भीषण भूख पीड़ित लोगों में से ज्यादातर 10 देशों में थे- अफगानिस्तान, कांगो, इथियोपिया, हैती, नाइजीरिया, पाकिस्तान, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया और यमन।

उन्होंने कहा कि युद्ध से खेत और फैक्ट्रियां नष्ट हो जाती हैं, चीजों की कमी होने लगती है और दाम बढ़ते हैं। आज जलवायु संकट और कोविड-19 महामारी के कारण समस्या कई गुना बढ़ गई है। इसका नतीजा यह हुआ कि भूख से निपटने की दिशा में हमने बीते कई दशकों में जितनी प्रगति की थी, अब हम वापस पुरानी परिस्थितियों में लौटने लगे हैं।

नाइजर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां सिर्फ 6 फ़ीसदी लोगों को कोविड-19 का दोनों टीका लगा है। यह देश मानव विकास सूचकांक में तो सबसे नीचे है लेकिन जलवायु संकट के असर में शीर्ष 10 देशों में शुमार है। खाद्य संकट से ग्रस्त लोगों की संख्या दो वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है। वहां इस वर्ष 40 लाख लोगों के सामने खाद्य का संकट आ सकता है।

यूक्रेन-रूस युद्ध ने इस वैश्विक भूख परिस्थिति को नया रूप दिया है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूक्रेन से खाद्य पदार्थों का निर्यात बंद हो गया है। अफ्रीका और मध्य पूर्व के अनेक देशों में रोजाना खाने-पीने में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम 30 फ़ीसदी तक बढ़ गए हैं। सेनेगल, नाइजर और नाइजीरिया जैसे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के तहत खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं, लेकिन इन कार्यक्रमों को खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों का भी सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए पूर्वी अफ्रीका में खाद्य सहायता की लागत पिछले वर्ष 65 फ़ीसदी बढ़ गई। इसलिए हम यमन में मदद किए जाने वाले लोगों की संख्या घटाकर 80 लाख करने पर मजबूर हुए हैं।

गुटेरस ने यूक्रेन में युद्ध तत्काल खत्म करने और विभिन्न देशों के भीतर चल रहे संकट का राजनीतिक समाधान तलाशने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर एक के लिए पर्याप्त खाना उपलब्ध है, लेकिन समस्या उसके डिस्ट्रीब्यूशन की है और यह यूक्रेन युद्ध से प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है। वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने के लिए जरूरी है कि युद्ध के बावजूद रूस, बेलारूस और यूक्रेन में कृषि तथा उर्वरकों के उत्पादन को इंटीग्रेट किया जाए। हम एक पैकेज डील पर काम कर रहे हैं जिससे यूक्रेन ना सिर्फ रेल के जरिए बल्कि काला सागर के माध्यम से भी खाद्य पदार्थों का निर्यात कर सकेगा। इससे रूस के खाद्य पदार्थ और उर्वरक थी विश्व बाजार में आ सकेंगे।

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