कम लागत में उगाएं हाइड्रोपोनिक तरीके से हरा चारा

हाइड्रोपोनिक तकनीक कम समय और कम लागत में हरा चारा उत्पादन की बेहद कारगर विधि है। इसमें बिना मिट्टी और कम पानी में 7 दिन के अन्दर हरा चारा उगाया जा सकता है। इस तकनीक में ऐसे पोषक तत्वों को प्रयोग में लाया जाता है, जो जल में घुलनशील होते हैं। इसमे कैल्सियम, मैग्निशियम ,पोटैशियम, नाइट्रेट, सल्फेट और फॉस्फेट को पोषक तत्व के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और हरा के लिए गेहूं, बाजरा, और मक्का की फसल आसानी से उगाई जा सकती है। अगर आप शहर में डेयरी पालन या डेयरी का बिजनेस कर रहे हैं, तो इस तकनीक से आप अपने मकान की छत पर या एक कमरे में भी 7 दिन के अन्दर हरा चारा उगा सकते हैं। या अगर बकरी पालन भी कर रहे तो ट्रे में आसानी हरा चारा उगा सकते है ।

कम लागत में उगाएं हाइड्रोपोनिक तरीके से हरा चारा

देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण खेती करने लायक ज़मीन घटती जा रही है। दूसरी तरफ खाद्यान्न और दूध की मांग दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। खेत की कमी के कारण दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा मिलना मुश्किल हो रहा है। ये समस्या भविष्य में और गंभीर होने की आशंका है । इसलिए देश में आधुनिक विधि से हरा चारा उत्पादन की तकनीकों का इस्तेमाल करने बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक लगातार प्रयास भी कर रहे हैंक्योंकि दुधारू पशुओं पर करीब 60 से 70 फीसदी खर्च उनके आहार पर ही होता है।  इसलिए हरा चारा की किल्लत की समस्या से किसानों को  कैसे  छुटकारा मिले,  इसके लिए हरा चारा उगाने की हाइड्रोपोनिक तकनीक से चारा उगाने की तकनीक का इजात किया गया है।यह तकनीक किसानों के लिए बेहद मददगार हैं ,क्योकि इसमे हरा चारा केवल पानी और पोषक तत्वों के बल पर बिना खेत में बुआई किए ही उगाया जा सकता है। 

 कम समय में पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा

कृषि विज्ञान केंद्र ,परसौनी पूर्वी चंपारण के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि इस तकनीक को चारा उत्पादन कर अपने पशुओं से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से  किसानों के द्वारा हाइड्रोपोनिक तरीके से चारा उगाया जा रहा हैउन्होंने बताया हाइड्रोपोनिक तकनीक  कम समय और कम लागत में हरा चारा  उत्पादन  की बेहद कारगर बिधि है। इसमें बिना मिट्टी और कम पानी में  7  दिन के अन्दर  हरा चारा उगाया जा सकता है। इस तकनीक  में ऐसे पोषक तत्वों को प्रयोग में लाया जाता है, जो जल में घुलनशील होते हैं। इसमे कैल्सियम, मैग्निशियम ,पोटैशियम, नाइट्रेट, सल्फेट  और फॉस्फेट को पोषक तत्व के रूप  में इस्तेमाल किया जाता  है और हरा के लिए  गेहूं, बाजरा, और  मक्का की फसल आसानी से उगाई जा सकती है। अगर आप  शहर में डेयरी पालन या डेयरी का बिजनेस कर रहे हैं, तो इस तकनीक से आप अपने मकान की छत पर या एक कमरे में भी 7 दिन के अन्दर हरा चारा उगा सकते हैं। या अगर बकरी पालन भी कर रहे तो ट्रे में आसानी हरा चारा उगा सकते है ।

बिना खेत के किसान उगाए हरा

कृषि विज्ञान केन्द्र परसौनी पूर्वी चंपारण के सहयोग से ग्राम गंगा पिपरा प्रखंड पहाड़पुर के किसान श्री सच्चिदानंद तिवारी द्वारा इस तकनीक से चारा को उगा कर अपने पशुओं को खिलाया जा रहा है उन्होंने बताया कि इस तकनीक को बहुत ही आसानी से अपनाया जा सकता है कम जगह में अधिक उत्पादन लिया जा रहा है अगर व्यस्क पशु की बात करें तो लगभग 8 किलोग्राम हरे चारे की आवश्यकता होती है अगर हाइड्रोपोनिक तकनीक द्वारा उत्पादित चारे का प्रयोग करते हैं तो अधिक गुणकारी होने के कारण इसका आधी मात्रा में ही काम चल जाता है अगर लाभ लागत अनुपात की बात करें तो अगर हाइड्रोपोनिक तकनीक द्वारा उत्पादित चारे का प्रयोग करते हैं तो अधिक गुणकारी होने के कारण इसका आधी मात्रा में ही काम चल जाता है अगर लाभ लागत अनुपात की बात करें तो खर्च पर लगभग चार गुना की आमदनी प्राप्त हो रही है।

हाइड्रोपोनिक तकनीक से हरा चारा उगाने की तकनीक-

डॉ अभिषेक बताते है, खेती की वो आधुनिक तकनीक है जिसमें पौधों की बढ़वार और उपज जल और उसमे मिलने वाले  पोषक तत्व के जरिए होता है, इसलिए ऐसे जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए जो कि मिट्टी के गुणों से लैस हो। हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से हरे चारे को उगाने के लिए किसानों को सबसे पहले मक्के के 1.25 किलोग्राम बीज को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोना होता है, इसके बाद एक ट्रे में बीज को डाला जाता है,और फिर  बीज को जूट के बोरे से  तीन दिनो तक ढक देना चाहिए  और जब इन बीजों में  अंकुरण हो जाता है,....तो फिर इन बीजों  को बराबर  बराबर बाटकर  पांच ट्रे में ऱख दिया जाता है, इसके बाद हर दो-तीन घंटे के अंतराल पर इसमे  पानी दिया जाता है।  जिससे की उसमे नमी बनी रहें । इन ट्रे के निचले तल में सुराग होते   है,...जिससे की जरूरत से ज्यादा पानी ट्रे ना रुके और  पौधे को जितना पानी की ज़रूरत वह मिलता रहे । 

उन्होंने कहा कि ट्रे में जमे हुए बीजों पर लगातार पानी का छिड़काव होता रहे। इस प्रक्रिया के बाद 7 से 8 दिन के अंदर पशुओं को खिलाने के लिए एक किलोग्राम बीज से  लगभग 8 से 10 किलोग्राम पौष्टिक हरा चारा मिल जाता है। जिसे ट्रे से निकालने पर ये चारा कटे हुए मैट की तरह दिखता है...जिसे सीधे पशुओं को खिलाया जा सकता है। इस तरह एक ट्रे से लगभग एक गाय को एक दिन खिलाने के लिए पर्याप्त चारा प्राप्त किया जा सकता है। अगर कोई किसान 10 गायों का पालन किया हैं और  प्रत्येक गाय को हर दिन चारा मिलता रहे,  उसके लिए उसे 80 ट्रे का इंतजाम करना पड़ता है ।

डॉ अभिषेक ने बाताया की इस तकनीक की खास बात ये है कि दूधारू पशुओं का दूध बढ़ाने में ये चारा दूसरे हरे चारे की तुलना में ज्यादा पोषक भी होता है। हाइड्रोपोनिक तकनीक से तैयार की गई घास में आम हरे चारे की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा पोषण होता है। परंपरागत हरे चारे में प्रोटीन 10.7 फीसदी होती है जबकि हाइड्रोपोनिक्स हरे चारे में प्रोटीन 13.6 प्रतिशत होता है। हाइड्रोपोनिक तकनीक से 1 किलो हरा चारा उगाने के लिए 2 से 3 लीटर पानी की जरूरत होती है।

दुधारू पशुओ के लिए साल भर हरे चारा की व्यवस्था किसानों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है। लेकिन अब हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से पूरे साल बाढ़ हो या सुखा पशु को पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराया जा सकता है.और दुधारूओ पशुओं का दूध का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है

Subscribe here to get interesting stuff and updates!