कृषि मंत्रालय का एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान 3.8 करोड़ किसानों तक पहुंचा

कृषि मंत्रालय ने देश का पहला एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत 13 राज्यों के 3.8 करोड़ किसानों को एसएमएस के माध्यम से अग्रिम मानसून जानकारी दी गई। गूगल के Neural GCM और ECMWF के AIFS पर आधारित यह प्रणाली पारंपरिक मॉडलों से अधिक सटीक साबित हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल किसानों को जोखिम प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन और फसल योजना बनाने में सक्षम बनाएगी।

कृषि मंत्रालय का एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान 3.8 करोड़ किसानों तक पहुंचा

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoAFW) ने पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके किसानों को अग्रिम मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराया है। इस वर्ष 13 राज्यों के लगभग 3.8 करोड़ किसानों को एम-किसान प्लेटफॉर्म के माध्यम से एआई-आधारित मानसून पूर्वानुमान एसएमएस द्वारा भेजे गए, जिससे वे खरीफ फसलों की बेहतर योजना बना सकें।

मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि ये पूर्वानुमान चार सप्ताह पहले तक उपलब्ध कराए गए, जिससे किसानों को बारिश में उतार-चढ़ाव और जोखिम से निपटने की तैयारी करने में मदद मिली। खासतौर पर इस वर्ष मानसून की 20 दिन की रुकावट का एआई-आधारित मॉडल ने सही अनुमान लगाया, जिसके आधार पर मंत्रालय ने लगातार साप्ताहिक अपडेट भेजे।

कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. प्रमोद कुमार मेहेरदा ने कहा कि यह कार्यक्रम किसानों को आत्मविश्वास देता है कि वे जोखिम प्रबंधन कर सकें। संयुक्त सचिव  संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से बढ़ती अनिश्चितता के दौर में ऐसे पूर्वानुमान किसानों के लिए बेहद उपयोगी होंगे।

गूगल के Neural GCM और ECMWF के AIFS मॉडल पर आधारित ये पूर्वानुमान पारंपरिक मॉडलों से अधिक सटीक साबित हुए। नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने इस पहल को “एआई के युग में किसानों को प्राथमिकता देने वाला वैश्विक मॉडल” बताया।

नीति आयोग, डेवलपमेंट इनोवेशन लैब-इंडिया और प्रिसीजन डेवलपमेंट की भागीदारी से यह सुनिश्चित किया गया कि किसानों को सरल और उपयोगी भाषा में जानकारी दी जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्यक्रम भारत में एआई-सक्षम कृषि का नया दौर शुरू कर सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका मजबूत होगी।

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