रबी सम्मेलन को अधिक प्रभावी बनाने के प्रयास, राज्यों के साथ होगा दो दिवसीय मंथन
पहली बार दो दिन का होगा रबी सम्मेलन; केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ राज्यों के कृषि मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी करेंगे विचार-विमर्श, कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक भी होंगे शामिल

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के पहले चरण की सफलता के बाद केंद्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत होने जा रही है। रबी फसल के लिए 16 दिवसीय अभियान 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान देशभर के कृषि वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर किसानों से मिलेंगे, उन्हें उपयोगी जानकारी देंगे। अभियान की शुरुआत से पहले 15-16 सितंबर को दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय रबी सम्मेलन आयोजित होगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर पहली बार दो दिवसीय रबी सम्मेलन कराया जा रहा है, जिसमें राज्यों के कृषि मंत्री, वरिष्ठ कृषि अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक रबी सीजन की तैयारियों पर विचार-मंथन करेंगे। सम्मेलन में देशभर के कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, नीति-निर्धारक और राज्य सरकारों के वरिष्ठ प्रतिनिधि रबी फसलों की बुवाई से संबंधित तैयारियों, उत्पादन लक्ष्यों और रणनीतियों पर गहन चर्चा करेंगे। इस दौरान किसानों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से विभिन्न विषयों पर विमर्श होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने शुक्रवार को रबी कॉन्फ्रेंस की तैयारियों के संबंध में वीसी के माध्यम से बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने राज्य के कृषि मंत्रियों से कहा कि वह रबी फसल के लिए विभिन्न विषयों सहित खाद की आवश्यकता का आंकलन भी इकट्ठा कर लें और आगामी कॉन्फ्रेंस में इस पर गंभीर विचार-विमर्श के लिए तैयार रहें।
रबी सम्मेलन के पहले दिन केंद्र एवं राज्यों के अधिकारियों के बीच रबी सीजन से महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी। अगले दिन, 16 सितंबर को, सभी राज्यों के कृषि मंत्री केंद्रीय कृषि मंत्री और राज्य मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा करेंगे। नवीनतम तकनीक और उन्नत बीज किसानों तक किस प्रकार पहुंचाए जाएं, इसके लिए गहन चिंतन एवं समीक्षा की जाएगी। सभी राज्यों के मंत्री अपनी टीम के साथ इसमें भाग लेंगे। पहली बार इसमें कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के वैज्ञानिकों को भी आमंत्रित किया गया है, जो क्षेत्रीय अनुभव और चुनौतियों को साझा करेंगे।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार रबी सम्मेलन को एक नया स्वरूप दिया गया है। यह सम्मेलन न केवल रबी 2025-26 सीजन की कार्ययोजना और उत्पादन रणनीति को दिशा देगा, बल्कि किसानों की आय वृद्धि, टिकाऊ कृषि प्रणाली और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे रबी फसल के लिए खाद समेत अन्य आवश्यकताओं का आंकलन कर लें और आगामी सम्मेलन में गंभीर विचार-विमर्श के लिए तैयार रहें।
विषयवार तकनीकी सत्र
रबी सम्मेलन के अंतर्गत पहली बार विभिन्न विषयों पर समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित होंगे। इनमें विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाएंगी तथा खुली चर्चा का अवसर भी मिलेगा। जिन विषयों पर विशेष रूप से विचार-विमर्श होगा, उनमें जलवायु सहनशीलता, गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और कीटनाशक की उपलब्धता, दलहन एवं तिलहन पर विशेष जोर देते हुए फसल विविधिकरण, बागवानी का विविधीकरण, प्रभावी प्रसार सेवाएं एवं कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) की भूमिका तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं का प्रभावी समन्वय शामिल है।
सम्मेलन में राज्यों की सफलताओं और बेस्ट प्रैक्टिस को भी साझा किया जाएगा, ताकि उन्हें अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सके। साथ ही, मौसम पूर्वानुमान, उर्वरक प्रबंधन, कृषि अनुसंधान और तकनीकी हस्तक्षेप से जुड़े विषयों पर भी विशेषज्ञ अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का अगला चरण
प्रधानमंत्री के ‘लैब टू लैंड’ विजन को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीफ फसल के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की थी। 29 मई से 12 जून 2025 तक चले इस अभियान के दौरान उन्होंने विभिन्न राज्यों का दौरा किया और किसानों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास किया। पहले चरण में वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें गांव-गांव पहुंचीं और देशभर के करीब डेढ़ करोड़ किसानों से सीधे संवाद हुआ। आगामी रबी सीजन के लिए 3 अक्टूबर से वैज्ञानिक फिर किसानों के खेतों में जाएंगे और उन्हें नई तकनीकों व उन्नत खेती की जानकारी देंगे। यह अभियान 18 अक्टूबर तक चलेगा।