हाइड्रोपोनिक्स व्यावहारिक, किफायती और टिकाऊ खेती की दिशा में एक बड़ा अवसर

हाइड्रोपोनिक्स आपको तकनीकी रूप से उन्नत, सुविधाजनक, आर्थिक रूप से लाभकारी और टिकाऊ खेती की दिशा में उंची छलांग लगा सकते है। आपको एक बार में सभी संभावनाओं को शामिल करने की जरूरत नहीं है। आप छोटे कदम उठा सकते हैं

हाइड्रोपोनिक्स व्यावहारिक, किफायती और टिकाऊ खेती की दिशा में एक बड़ा अवसर

पृथ्वी का आधे से अधिक भाग का उपयोग कृषि कार्यों के लिए होने  के बावजूद पर भी दुनिया के लोगों  को पौष्टिक भोजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ उपजाऊ मिट्टी के कमी काऱण  वडे पैमाने पर जंगल एरिया के पेड़ पौधें की कटाई हो रही है।  अगर हम इसी रास्ते पर चलते रहे तो  वह दिन दूर नही की आने वाले जो भविष्य में शुद्ध  हवा, पानी और भोजन की कमी का सामना करना पड़ेगा ,क्योंकि सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है।हाइड्रोपोनिक खेती इन समस्याओं का समाधान हो सकती है।

हाइड्रोपोनिक खेती  बिना मिट्टी की की जाती है इस तकनीक  में पौधे के लिए जरूरी  पोषक तत्वों को, आपूर्ति पानी के माध्यम से की जाती है जो पानी  में घुलनशील होते हैं। हाइड्रोपोनिक्स मिट्टी के स्थान पर अन्य एग्रीगेट  जैसे कोकोपीट  निष्क्रिय मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है इस तकनीक में ककड़ी, टमाटर, शिमला मिर्च, मिर्च और फ्रेंच बीन्स जैसी बेल की फसल उगाने के लिए काफी बेहतर है। एंटरप्रेन्योर इंडिया द्वारा प्रकाशित हाइड्रोपोनिक ग्रीनहाउस फार्मिंग रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोपोनिक्स बाजार 2017 और 2022 के बीच 6.7 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा। 2022 तक, 31,436.7 मिलियन डालर  हाइड्रोपोनिक खेती का बाजार मूल्य बढ़ने का अनुमान है।

ताज़ी सब्ज़ियों का मुख्य निर्यातक होने के नाते, भारत पारंपरिक कृषि तकनीकों पर निर्भरता को कम कर के स्वनिर्भर तकनीकों को बढ़ाने के लिए इस अवसर का उपयोग कर सकता है। शहरों की मांग को पूरा करने के लिए इन्टरप्योनोर वर्टिकल फार्मिग स्थापित कर सकतेहैं। परिवहन और भंडारण के मामले में कम खर्च के कारण हाइड्रोपोनिक योजना बनाना  आर्थिक रूप से काफी  किफ़ायती और व्यवहारिक हैं।

हाइड्रोपोनिक खेती कार्बन उत्सर्जन को भी कम करती है, जो स्थायी खेती की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अलावा यह खेती में भविष्य की तकनीकों को पेश करके खेती को और अधिक प्रभावी बनाता है।

वर्टिकल फार्मिंग में कम जगह में खेती करने का एक सेट-अप की सुविधा देता है। इस तकनीक में कमरे , छतों  खुले बगीचों में जहां भी पर्याप्त जगह मिलती है, इस तकनीक से खेती कर सकते हैं। जब वर्टिकल फार्मिग और हाइड्रोपोनिक खेती को ज्वाइंट किया जाता है तब इसके परिणाम  अधिक प्रभावी और लागत भी कम हो सकता है। उदाहरण के लिए, हाइड्रोपोनिक खेती में आप कृत्रिम प्रकाश से सिमित क्षेत्रों में खेती शुरू कर सकते हैं। इसलिए, प्रकृति पर निर्भरता लगभग नगण्य हो जाती है।

वर्टिकल फार्मिंग के हाइड्रोपोनिक्स में किसी होरिजेंटल  जगह पर एक के ऊपर एक खेती स्थान की परतें  बनाई जाती है।  उसमे पोषक तत्वों से घुले हुए पानी को पौधो तक एक पाइप के द्वारा पहुंचाया जाता है।  नियमित अंतराल पर पौधों को पानी देने के लिए एक हाइड्रोपोनिक पंप लगाया जाता है। जो जरूरी  पोषक तत्वों को पानी में निर्धारित अनुपात में मिलाया जाता है। और पौधों के जड़ो तक पहुंचाया जाता है।  इसके वजह से गुणवत्ता युक्त निर्धारित उपज मिलती है। प अपने स्थान की उपलब्धता और अन्य प्राथमिकताओं के अनुसार अन्य मॉड्यूल जैसे ज़िग-ज़ैग, रेन टावर मॉड्यूल आदि के साथ भी काम कर सकते हैं।

हाइड्रोपोनिक खेती की वित्तीय रूप  व्यवहारिक है।

कृषि उत्पादकता में वृद्धि और विभिन्न सुगठित ढांचे की उपलब्धता हाइड्रोपोनिक खेती को वित्तीय रूप से एक व्यवहार्य विकल्प बनाती है। हाइड्रोपोनिक खेती स्थापना शहर के अंदर या उसके करीब बनाया जाता है। इसलिए परिवहन और भंडारण इत्यादि पर ज्यादा खर्च  नहीं होते। कृषि कंपनियां ताज़ी सब्ज़ियाँ और फलों की गुणवत्ता और आपूर्ति बढ़ाने के लिए इसका भरपूर फायदा उठा सकती हैं।बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए एकमुश्त निवेश की जरूरत होती है। हालांकि, प्रारंभिक स्थापना को वित्तीय सहायता देने वाली कृषि संस्थाएँ इच्छुक कृषि कंपनीओ को वित्तीय मदद और संसाधन उपलब्ध कराती हैं।

 जो लोग हाइड्रोपोनिक्स खेती से असहमत है  या आलोचक हैं वे आम तौर बहस करते हैं की हाइड्रोपोनिक्स उन लोगों के लिए नहीं है जो आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं। हाइड्रोपोनिक परियोजना या उद्यान शुरू करने के लिए आपको एक तकनीकी विशेषज्ञ होने की जरूरत होती है। फसलों की निरंतर निगरानी की जरूरत होती है। बंद स्थानों में किए गए हाइड्रोपोनिक सेटअप बिजली की कटौती से उपज बर्बाद हो सकते हैं।

इन आलोचकों की कुछ बातें सही हैं पर वे उन उन्नत तकनीकों और उपायों से परिचित नहीं जो हाइड्रोपोनिक प्रवर्तक इसे सभी केलिए एक व्यवहार्य विकल्प बनाने के लिए लागू कर रहे हैं। उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स के माध्यम से फसल प्रबंधन में तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता बढ़ाने के लिए गहन अनुसंधान किया है। उनका अनुसंधान इन क्षेत्रों को संबोधित करता है,हाइड्रोपोनिक्स शुरू करने के लिए आवश्यक कच्चा माल, निवेश पूंजी को कम करने और उत्पादकता को अधिकतम करने के लिए जो संरचनाएं विकसित की जा सकती हैं। आस पास रहने वालेलोगों द्वारा पसंद की जाने वाली सब्ज़ियों, फलों और अन्य कृषि उत्पादों के बारे में जानकारी पाने के लिए स्थानीयबाज़ारों का एक अध्ययन हाइड्रोपोनिक्स स्थापना के लिए आवश्यक एनएफटी (NFT - न्यूट्रिएंट फ़िल्म टेक्नोलॉजी) माध्यम के आयाम। पॉली हाउस की स्थापना में उपयोग की जाने वाली सामग्री की मज़बूती, स्थायित्व और अन्य पहलू।आवश्यक धन जुटाने के लिए सहायता।

हाइड्रोपोनिक खेती पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलन में है। जिन देशों में बर्फबारी, मूसलाधार बारिश और अन्य प्राकृतिक विपत्तियां मौजूद हैं, वहां सरकारें तेजी से हाइड्रोपोनिक्स को बढ़ावा दे रही हैं। भारत में, हाइड्रोपोनिक उद्योग का 2020 और 2027 के बीच 13.53 प्रतिशत की सीएजीआर से विस्तार करने का अनुमान है। साथ ही,भारत में जगह की कमी और बढ़ती आबादी ने वर्टिकल हाइड्रोपोनिक्स को यहां एक सही समाधान है।

हाइड्रोपोनिक्स आपको तकनीकी रूप से उन्नत, सुविधाजनक, आर्थिक रूप से लाभकारी और टिकाऊ खेती की दिशा में उंची छलांग लगा सकते है। आपको एक बार में सभी संभावनाओं को शामिल करने की जरूरत नहीं है। आप छोटे कदम उठा सकते हैं और पता लगा सकते हैं कि भविष्य मे खेती में कौन सी तकनीक आपको सबसे अच्छी लगती है।

(प्रवीण पटेल ब्रायो हाइड्रोपोनिक्स के संस्थापक हैं ) 

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