डीएपी की वैश्विक कीमतें 860 डॉलर तक आई, फॉस्फोरिक एसिड के दाम 1500 डॉलर तक आने की संभावना

फॉस्फोरिक एसिड और फॉस्फेटिक उर्वरकों के वैश्विक बाजार की कीमतों का स्तर तय करने वाली मोरक्को की कंपनी ओसीपी सहित कई कंपनियों ने फॉस्फोरिक एसिड के दाम घटा दिए हैं। भारतीय कंपनियों के साथ 1715 डॉलर प्रति टन की कीमत पर फॉस्फोरिक एसिड के सौदे किये हैं। इसकी कीमतें 1500 डॉलर प्रति टन तक आने की संभावना है। इसके साथ ही डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतें भी घटकर 860 डॉलर प्रति टन के करीब आ गई हैं। उर्वरक उद्योग के सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में इसमें और कमी आने की संभावना है

डीएपी की वैश्विक कीमतें 860 डॉलर तक आई,  फॉस्फोरिक एसिड के दाम 1500 डॉलर तक आने की संभावना
प्रतिकात्मक फोटो

फॉस्फोरिक एसिड और फॉस्फेटिक उर्वरकों के वैश्विक बाजार की कीमतों का स्तर तय करने वाली मोरक्को की कंपनी ओसीपी  सहित कई कंपनियों ने फॉस्फोरिक एसिड के दाम घटा दिए हैं। कुछ भारतीय कंपनियों ने पिछले दिनों 1715 डॉलर प्रति टन की कीमत पर फॉस्फोरिक एसिड के सौदे किये हैं लेकिन इसके घटकर 1500 डॉलर प्रति टन तक आने की संभावना है। इसके साथ ही डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतें भी घटकर 860 डॉलर प्रति टन पर आ गई हैं। उर्वरक उद्योग के सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में इसमें और कमी आने की संभावना है। कीमतों के मोर्चे पर यह घटनाक्रम भारत के लिए फायदेमंद है और सरकार को उर्वरक सब्सिडी के मोर्चे पर राहत देने वाला है।

विश्व में फॉस्फेटिक उर्वरकों के कच्चे माल का 70 से 75 फीसदी रिजर्व मोरक्को में है और वहां की सरकारी कंपनी ओसीपी ग्रुप ही वैश्विक कीमतों की दिशा तय करती है। बाकी रिजर्व रूस, जॉर्डन, सऊदी अरब और चीन में हैं। ओसीपी ने अप्रैल-जून की तिमाही के लिए प्रोविजनल कीमतें भी तय नहीं की थीं। ऊंची कीमतों के चलते भारत को काफी दबाव झेलना पड़ा था। उद्योग सूत्रों के मुताबिक ओसीपी ने अभी भी जुलाई से अक्तूबर, 2022 की तिमाही के लिए कीमतों तय नहीं की हैं। लेकिन  वह कंपनियों के साथ सीधे सौदे कर रही है। सऊदी अरब की उर्वरक कंपनी साबिक के साथ कुछ भारतीय कंपनियों ने 1715 डॉलर प्रति टन की कीमत पर फॉस्फोरिक एसिड के सौदे किये थे। वहीं वैश्विक बाजार की हाल की स्थिति को देखते हुए यह कीमतें 1500 डॉलर प्रति टन तक आ सकती हैं। तीन माह पहले ओसीपी फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों को 2000 डॉलर प्रति डॉलर से कम पर लाने के लिए तैयार नहीं थी।

जून में डीएपी की कीमत 1025 से 1040 डॉलर प्रति टन के आसपास चल रही थी। लेकिन सरकार ने उर्वरक कंपनियों के लिए 920 डॉलर प्रति टन से ऊंचे दाम पर डीएपी के आयात सौदे नहीं करने की शर्त लगा दी थी। सरकार ने कहा था कि वह आयातक कंपनियों को 920 डॉलर प्रति टन की कीमत या उससे कम के आधार पर ही सब्सिडी देगी।  सूत्रों का कहना है कि कुछ कंपनियों ने 950 से 960 डॉलर प्रति टन तक की कीमत पर आयात सौदे किये थे। अब यह कीमतें 860 डॉलर प्रति टन तक आ गई हैं।

पिछले कुछ माह में दस शिप उर्वरक देश में आया। इसमें से सात शिप ओसीपी से आये हैं। वहीं दो शिप डीएपी का आयात चीन से भी हुआ है। एक शिप में करीब 50 हजार टन उर्वरक का आयात होता है। करीब डेढ़ साल पहले चीन ने डीएपी के निर्यात पर रोक लगा दी थी। उसके चलते वैश्विक बाजार में इसकी कीमतों में इजाफा हुआ। इस बीच करीब डेढ़ माह पहले बांग्लादेश के एक टेंडर में हिस्सा लेने के साथ ही डीएपी के निर्यात बाजार में चीन की वापसी हुई थी।

सरकार ने डीएपी की कीमतों में अधिक बढ़ोतरी नहीं करने के मकसद से इस पर पिछले डेढ़ साल में तीन बार सब्सिडी में बढ़ोतरी की है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिसके चलते सरकार ने मई, 2021, अक्तूबर, 2021 और इस साल 27अप्रैल, 2022 को विनियंत्रित उर्वरकों की सब्सिडी में बढ़ोतरी की थी ताकि किसानों के लिए कीमतों को कम स्तर पर रखा जा सके। वहीं पिछले दिनों किसानों के लिए डीएपी के बैग (50 किलो) की कीमत 1200 रुपये से बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति बैग की गई थी। उद्योग सूत्रों के मुताबिक इस समय डीएपी की आयातित कीमत 860 डॉलर प्रति टन (सीएफआर) चल रही है। इसके अलावा इस पर पांच फीसदी का आयात शुल्क और पोर्ट हैंडलिंग व बैगिंग का खर्च अलग से है। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के बावजूद अभी उद्योग को इस कीमत पर नुकसान हो रहा है। मौजूदा सब्सिडी दरों और किसानों के लिए तय कीमत के आधार पर 860 से 870 डॉलर प्रति टन की कीमत कंपनियों के लिए ब्रेकइवन कीमत है। नई कीमतों पर होने वाले सौदों में कंपनियों को सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के आधार पर कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है लेकिन अभी तक जिस कीमत पर आयात हुआ है उनमें कंपनियों को नुकसान की बात उद्योग सूत्र कर रहे हैं।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि जिस तरह भारत ने डीएपी आयात के मोर्चे पर जो रणनीति अपनाई उसके चलते ही ओसीपी को कीमत कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आयात के लिए कूटनीतिक स्तर काम करते हुए रूस और सऊदी अरब जैसे देशों से डीएपी के आयात सौदे किये गये। जिसके चलते खरीफ सीजन में डीएपी की उपलब्धता ठीक बनी रही। इस रणनीति के चलते आने वाले दिनों में डीएपी की कीमत और कम हो सकती है। जहां तक डीएपी और दूसरे कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की उपलब्धता की बात है तो इस समय देश में इन उर्वरकों की उपलब्धता बेहतर स्थिति में है। आयात सौदों के चलते आने वाले रबी सीजन में डीएपी की उपलब्धता बेहतर रहने की बात उद्योग सूत्र कर रहे हैं।

सरकार ने अप्रैल में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी को 1650 रुपये प्रति बैग से बढ़ाकर 2501 रुपए प्रति बैग करने का फैसला किया था जो पिछले साल की सब्सिडी दरों की तुलना में 50 फीसदी अधिक है। न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी स्कीम (एनबीएस) की नई दरों के बाद डीएपी पर सब्सिडी का स्तर 50013 रुपये प्रति टन हो गया है। वहीं मार्च में कंपनियों ने डीएपी की कीमत में 150 रुपये प्रति बैग की बढ़ोतरी कर इसे 1350 रुपये प्रति बैग (50 किलो) कर दिया था। 

 

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