सही समय सही जगह उर्वरक पहुंचाने के लिए काम कर रहा है उर्वरक विभाग का वार रूम

देश में यह पहला मौका है जब जिला स्तर पर मांग और आपूर्ति के बीच सामंजस्य बैठाने का जिम्मा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का उर्वरक विभाग (डीओएफ) इंटीग्रेटेड  फर्टिलाइजर मूवमेंट सिस्टम (आईएफएमएस) के जरिये खुद यह काम कर रहा है। इसके पहले केंद्र सरकार राज्यों की उर्वरक मांग के आधार पर आपूर्ति सुनिश्चित करती रही है और राज्य के भीतर इसकी उपलब्धता का जिम्मा राज्य सरकारों का था। इस रणनीति के जरिये अक्तबूर के लिए जरूरी 18.06 लाख टन डीएपी संबंधित राज्यों को उपलब्ध करा दिया गया है

सही समय सही जगह उर्वरक पहुंचाने के लिए  काम कर रहा है उर्वरक विभाग का वार रूम

देश में और वैश्विक स्तर पर डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कमी के संकट के बीच सही समय, सही जगह उर्वरकों की सही मात्रा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक विभाग का वार रूम 24 घंटे काम कर रहा है। राज्यों के कृषि विभाग और रेलवे बोर्ड के साथ तालमेल के जरिये फसल और जिलों के आधार पर माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति आपनाई जा रही है। देश में यह पहला मौका है जब जिला स्तर पर मांग और आपूर्ति के बीच सामंजस्य बैठाने का जिम्मा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का उर्वरक विभाग (डीओएफ) इंटीग्रेटेड  फर्टिलाइजर मूवमेंट सिस्टम (आईएफएमएस) के जरिये खुद यह काम कर रहा है। इसके पहले केंद्र सरकार राज्यों की उर्वरक मांग के आधार पर आपूर्ति सुनिश्चित करती रही है और राज्य के भीतर इसकी उपलब्धता का जिम्मा राज्य सरकारों का था। इस रणनीति के जरिये अक्तबूर के लिए जरूरी 18.06 लाख टन डीएपी संबंधित राज्यों को उपलब्ध करा दिया गया है। इसमें 15 लाख टन ओपनिंग स्टॉक, तीन लाख टन का उत्पादन और एक लाख टन आयातित डीएपी है। उर्वरक कपंनियां 6 लाख टन डीएपी का आयात कर रही हैं जिसमें से 4.5 लाख टन डीएपी बंदरगाहों पर पहुंच गया है और इसी में से एक लाख टन डीएपी मांग वाले राज्यों को ङभेज दाय गया है। वहीं बकाया डेढ़ लाख टन डीएपी भी जल्द ही देश में पहुंच जाएगा। रूरल वॉयस के साथ बातचीत में उर्वरक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

असल में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल 30 सितंबर, 2021 को देश में डीएपी और एमओपी का स्टॉक पिछले साल इसी समय के मुकाबले आधे से भी कम था। इसके चलते देश में कई जगह उपलब्धता का संकट पैदा होने की स्थिति बनने से उर्वरक विभाग ने कमान अपने हाथ में ले ली। इस बारे में 17 अक्तूबर को रूरल वॉयस ने एक विस्तृत स्टोरी की थी। https://www.ruralvoice.in/latest-news/end-september-stocks-of-dap-and-mop-are-less-than-half-of-last-year-npk-price-will-not-be-fully-rolled-back-despite-higher-subsidy.html

डीएपी और कॉम्पलेक्स उर्वरकों की किल्लत के बीच चालू रबी सीजन में उर्वरक आपूर्ति के लिए उर्वरक विभाग की यह रणनीति काम करती दिख रही है। इसके तहत जहां उर्वरक विभाग चौबीस घंटे उर्वरकों के मूवमेंट की मॉनिटरिंग कर रहा है वहीं इस आपूर्ति के लिए जिला स्तर पर फसल की जरूरत के हिसाब से आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। उर्वरक विभाग के उक्त अधिकारी ने बताया कि अक्तूबर के शुरुआती दिनों में हर रोज 50 रेल रैक उर्वरक मूवमेंट के लिए इस्तेमाल हो रहे थे वहीं अब इनकी संख्या 55 पर चली गई है जिसमें 30 रैक डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के लिए व 25 रैक यूरिया के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। अक्तबूर के अंत तक 60 रैक प्रतिदिन तक पहुंच जाएगी। एक रैक की  क्षमता 26 हजार टन से 34 हजार टन के बीच है। असल में राज्य सरकारें प्री पोजिशनिंग स्टॉक यानी रबी सीजन के ओपनिंग स्टॉक को उपलब्धता में सामान्य रूप से शामिल नहीं करते हैं लेकिन इस बार स्थिति दूसरी है। इस स्थिति में जब यह स्टॉक डिस्ट्रीब्यूशन चैनल में है तो उसे उपलब्धता में शामिल करना जरूरी है। वहीं राज्यों के भीतर विभिन्न जिलों में फसलों के लिए कहां इस समय उर्वरक की जरूरत है उस आधार पर प्राथमिकता तय नहीं करने से भी दिक्कतें आई हैं। इन सब परिस्थितियों के देखते हुए ही उर्रवक विभाग ने खुद इस मोर्चे पर काम संभालने का फैसला लिया।  

स्थिति को संभालने की कोशिशों को एक उदाहरण के रूप में बताते हुए उक्त अधिकारी ने कहा कि 17 अक्तूबर को गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से 2600 टन और 4000 टन डीएपी को दो रैक राजस्थान के कनपुरा रैक प्वाइंट पर भेजे गये। हमें सूचना थी कि राजस्थान के सरसों उत्पादक जिलों अजमेर, टौंक, सवाई माधोपुर, जयपुर में समस्या खड़ी हो सकती है। इनके लिए रैक प्वाइंट कनकपुरा है। इसके लिए रातोंरात प्राथमिकता में 20वें नंबर वाले इन रैक को प्राथमिकता में उपर लाया गया। रेलवे बोर्ड केड साथ तालमेल कर इन रैक की मूवमेंट को तेज किया गया और तय समय पर कनकपुरा रैक प्वाइंट पर डीएपी पहुंचने से कोई समस्या पैदा ही नहीं हुई। हम डैशबोर्ड के जरिये हर राज्य के खपत वाले इलाकों का फसल के हिसाब से तालमेल बना रहे हैं। मसलन हमारी पहली प्राथमिकता मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के सरसों और आलू उत्पादक क्षेत्रों में डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करना था और यह काम हम कर चुके हैं।

उनका कहना है कि देश में 2.8 लाख डीलर, 940 रैक प्वाइंट, 21 बंदरगाह और उत्पाद 40 संयंत्रों के साथ उर्वरकों के मूवमेंट की मानिटरिंग और प्लानिंग की जा रही है। फर्टिलाइजर मूवमेंट की इस तरह की प्लानिंग पहली बार इसलिए हो रही है क्योंकि वैश्विक बाजार और घरेलू बाजार में इन की उपलब्धता के संकट के बीच इनकी आपूर्ति को सामान्य रखना जरूरी है ताकि रबी सीजन की मांग को पूरा किया जा सके। अभी तक केंद्र सरकार राज्यों की रबी सीजन में हर माह की मांग के आधार पर उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करती थी। लेकिन इस साल स्थिति सामान्य नहीं है और इसलिए हम हर जिले में फसल और उसकी बुआई के समय के अनुसार आपूर्ति की प्लानिंग कर रहे हैं। इसी आधार पर हमने तय किया कि अक्तबूर के महीने में आलू और सरसों के उत्पादक क्षेत्रों में उर्वरक आपूर्ति को प्राथमिकता देनी है। जिसमें हरियाणा के रेवाड़ी, झज्जर, पलवल की सरसों उत्पादक बेल्ट, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, आगरा, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, फर्रूखाबाद, कानपुर के आलू उत्पादक क्षेत्रों के रैक प्वाइंट पर डीएपी और एनपीके की उपलपब्धता सुनिश्चित की जा रही है।

उक्त अधिकारी का कहना है कि अक्तूबर की 18.08 लाख टन डीएपी की मांग को पूरा कर दिया गया है। हमारे आंकड़ों के मुताबिक राज्यों के पास 15 लाख टन की प्रीपोजिशिनिंग थी। तीन लाख टन डीएपी का देश में उत्पादन हुआ जिसे राज्यों को भेजा गया और छह लाख टन आयात सौदों में से 4.5 लाख टन बंदरगाहों पर पहुंच चुका है जिसमें से एक लाख राज्यों को भेज दिया गया है। आयात होने वाली मात्रा का बकाया डेढ़ लाख टन भी जल्द ही देश में पहुंच जाएगा। उक्त अधिकारी का कहना है कि रबी सीजन में डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की कुल उपलब्धता की समस्या नहीं है। हो सकता है कि उपभोग वाले कुछ इलाकों में उपलब्धता की कुछ समस्या पैदा हुई हो। उनका कहना है कि अक्तूबर में सरसों और आलू के लिए ही डीएपी की जरूरत होती है और वह पूरी हो चुकी है। अब हमारा फोकस गेहूं के लिए डीएपी उपलब्ध कराना है।

रबी 2021-22 में डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की अनुमानित मांग
महीना डीएपी एनपीके / एनपी
अक्तूबर 18.08 12.86
नवंबर 17.13 12.26
दिसंबर 9.48 11.09
जनवरी 5.46 9.93
फरवरी 4.06 7.86
मार्च 4.47 6.84
कुल 58.68 60.84

उर्वरक विभाग के मुताबिक चालू रबी सीजन (2021-22) में अक्तबूर से मार्च, 2022 तक कुल 58.68 लाख टन डीएपी की जरूरत है। जिसमें नवंबर के लिए 17.13 लाख टन डीएपी की जरूरत है। दिसंबर में 9.48 लाख टन, जनवरी में 5.46 लाख टन, फरवरी में 4.06 लाख टन और मार्च में 4.47 लाख टन डीएपी की मांग का अनुमान है। वहीं नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर के विभिन्न ग्रेड के एनपी और एनपीके कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की चालू रबी सीजन में अक्तबूर से मार्च तक 60.84 लाख टन मांग का अनुमान है। इसमें अक्तूबर में 12.86 लाख टन, नवंबर में 12.26 लाख टन, दिसंबर में 11.09 लाख टन, जनवरी में 9.93 लाख टन, फरवरी में 7.86 लाख टन और मार्च में 6.84 लाख टन कॉम्प्लेक्स् उर्वरकों की जरूरत है।

पंजाब में डीएपी कि कमी से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर 1.2 लाख टन डीएपी रिटेलर्स के पास है। जालंधर, कपूरथला और होशियारपुर की दोआबा बैल्ट में आलू पैदा होता है और उसकी जरूरत के लिए डीएपी उपलब्ध करा दिया गया है। हाल ही में हमने वहां डीएपी के 35 रैक भेजे हैं। अगले एक सप्ताह में 15 रैक और डीएपी पंजाब में पहुंच जाएगा जो वहां की गेहूं की जरूरत के लिए काफी है।

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