अल-नीनो के असर से चीनी उपलब्धता के संकट की आशंका नहीं: एनएफसीएसएफ

अल-नीनो के कारण देश में चीनी की कमी की अफवाहों को खारिज करते हुए सहकारी चीनी मिलों के संगठन एनएफसीएसएफ ने कहा है कि 2023-24 सीजन में चीनी की घरेलू उपलब्धता "प्रतिकूल" होने की उम्मीद नहीं है।

अल-नीनो के असर से चीनी उपलब्धता के संकट की आशंका नहीं: एनएफसीएसएफ

अल-नीनो के कारण देश में चीनी की कमी की अफवाहों को खारिज करते हुए सहकारी चीनी मिलों के संगठन एनएफसीएसएफ ने कहा है कि 2023-24 सीजन में चीनी की घरेलू उपलब्धता "प्रतिकूल" होने की उम्मीद नहीं है। चीनी वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है और 2023-24 का पेराई सत्र अगले महीने से शुरू होने वाला है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने एक बयान में कहा है कि अल-नीनो ने महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मानसून की बारिश पर असर डाला है। एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवरे ने कहा, "हालांकि, अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड में सामान्य से अधिक या सामान्य बारिश हुई है जिससे निश्चित रूप से गन्ने का वजन और सुक्रोज बढ़ाने में मदद मिली है।"

उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि कुछ वर्गों में व्यापक रूप से यह अफवाह है कि चीनी वर्ष 2023-24 में चीनी की गंभीर कमी होगी। जबकि तथ्यात्मक स्थिति इस काल्पनिक अनुमान के विपरीत है। कुछ राज्यों में अपेक्षित ज्यादा उत्पादन का उदाहरण देते हुए  नायकनवरे ने कहा कि कर्नाटक में चीनी का शुद्ध उत्पादन घटकर 35 लाख टन रहने की आशंका थी लेकिन वास्तव में 45 लाख टन से अधिक उत्पादन होने का अनुमान है। जबकि सबसे बड़े गन्ना और चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में शुद्ध चीनी उत्पादन 10 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा, "जहां तक ​​महाराष्ट्र का सवाल है, अगस्त में लंबे समय तक बारिश नहीं होने के बाद सितंबर में मानसून फिर से सक्रिय हो गया है। इससे गन्ने की फसल और गन्ने में सुक्रोज को सुधारने में मदद मिलेगी।" नायकनवरे ने बयान में इस बात का भी जिक्र किया है कि समानांतर रूप से इस बात पर भी विचार चल रहा है कि एक निश्चित मात्रा में कच्ची चीनी का आयात किया जा सकता है। जलवायु के असर की वजह से कुछ क्षेत्रों में पेराई के लिए गन्ने की संभावित कमी की आशंका है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात के लिए यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इन राज्यों की पेराई क्षमता बढ़ गई है। यदि पेराई के लिए गन्ने के साथ कच्ची चीनी का उपयोग किया जाए तो न केवल मिलों को आर्थिक संचालन में, बल्कि शुद्ध चीनी उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 1 सितंबर तक गन्ने की बुआई का रकबा बढ़कर 59.91 लाख हेक्टेयर हो गया है जो एक साल पहले की समान अवधि में 55.65 लाख हेक्टेयर था। चीनी वर्ष 2022-23 में चीनी का उत्पादन 340 लाख टन रहने का अनुमान है जो इससे पिछले वर्ष में 358 लाख टन रहा था।

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