अमेरिका से जीएम मक्का और सोयामील आयात की आशंका, किसानों के साथ घरेलू उद्योग भी चिंतित
सोयाबीन के साथ-साथ मक्का के दाम भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे चल रहे हैं जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अगर अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में मक्का और सोयामील के आयात का रास्ता खुलता है तो इससे किसानों को बड़ा झटका लगेगा और घरेलू उद्योग भी इससे अधूता नहीं रहेगा
अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर चल रही वार्ताओं के बीच जीएम मक्का और सोयामील के आयात की आशंका बढ़ गई है। इससे चिंतित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल को पत्र लिखकर अमेरिका से आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोयामील के आयात की अनुमति न देने का आग्रह किया है। एसोसिएशन ने यह भी कहा कि भारत के पास घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त सोयामील स्टॉक है और आयात की आवश्यकता नहीं है।
गौरतलब है कि सोयाबीन के साथ-साथ मक्का के दाम भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे चल रहे हैं जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अगर अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में मक्का और सोयामील के आयात का रास्ता खुलता है तो इससे किसानों को बड़ा झटका लगेगा और घरेलू उद्योग भी इससे अधूता नहीं रहेगा।
सोपा ने सरकार को लिखे पत्र में कहा, "द्विपक्षीय व्यापार समझौते या आयात अनुमति के अंतर्गत जीएम सोयामील को शामिल करने से बचें और भारत की गैर-जीएमओ सोयाबीन की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करें।"
सोपा के अध्यक्ष देविश जैन का कहना है कि इस समय जीएम सोयामील के आयात की अनुमति देने से भारत के कृषि क्षेत्र के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे। इससे सोयाबीन की कीमतें, जो पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे हैं, और कम हो सकती हैं। किसानों और सोयाबीन प्रोसेसिंग उद्योग पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
मक्का आयात को लेकर भी कमोबेश यही स्थिति है। एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम की सफलता के दावों के बावजूद इस साल मक्का के दाम कई मंडियों में 2400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के मुकाबले 1000-500 रुपये तक गिर चुके हैं। मध्यप्रदेश की कई मंडियों में तो किसानों को मक्का महज 1200-1300 रुपये के भाव पर मक्का बेचना पड़ रहा है। भारतीय किसान संघ समेत कई किसान संगठन सरकार से जीएम मक्का के आयात की अनुमति न देने का आग्रह कर चुके हैं।
अमेरिका से मक्का और सोयामील के आयात से आत्मनिर्भरता के दावों को भी झटका लगेगा। एक ओर जहां सरकार खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता लाने की कोशिशों में जुटी है, वहीं प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की कीमतों में गिरावट किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश में सोयाबीन किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार भावांतर योजना लेकर आई है। लेकिन उससे भी किसानों के पूरे नुकसान की भरपाई होना मुश्किल है।

Join the RuralVoice whatsapp group















