महाराष्ट्र बनेगा प्राकृतिक खेती का नया केंद्र : मुख्यमंत्री फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि महाराष्ट्र अब देश का अगला प्राकृतिक खेती केंद्र बनेगा। उन्होंने बताया कि राज्य में 25 लाख हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाया जाएगा। राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत की उपस्थिति में हुए सम्मेलन में फडणवीस ने इसे ‘विकसित महाराष्ट्र 2047’ के लक्ष्य से जुड़ी ऐतिहासिक पहल बताया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि महाराष्ट्र देश का अगला प्राकृतिक खेती का केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और हाइब्रिड बीजों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी की उर्वरता को घटाया है और किसानों की लागत बढ़ाई है, जबकि प्राकृतिक खेती इस स्थिति का टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करती है।
राजभवन में आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने कहा, “अब समय आ गया है कि हम रासायनिक खेती की परंपरा से बाहर निकलें। प्राकृतिक खेती न केवल मिट्टी को जीवंत बनाती है, बल्कि उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने का रास्ता भी दिखाती है।”
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2014 में शुरू किए गए ‘प्राकृतिक खेती मिशन’ के तहत अब तक 14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाया जा चुका है। इसे बढ़ाकर 25 लाख हेक्टेयर तक ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खेती को पूरी तरह प्राकृतिक बनाना ही एकमात्र विकल्प है।
मुख्यमंत्री ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान के नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने गोसंवर्धन (गाय संरक्षण) को कृषि के लिए अनिवार्य बताया था। “गौमाता कृषि की आत्मा हैं। गोधन की रक्षा करना खेती के जीवन को सुरक्षित रखने के समान है।”
फडणवीस ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत की दूरदर्शिता और कृषि क्षेत्र में इनोवेटिव दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन में महाराष्ट्र ने बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती मिशन शुरू किया है। उनकी प्रेरणा से महाराष्ट्र जल्द ही प्राकृतिक खेती का प्रमुख केंद्र बनेगा।
अपने संबोधन में राज्यपाल देवव्रत ने मंत्रिमंडल और विधानमंडल के सदस्यों से मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की। उन्होंने जैविक और प्राकृतिक खेती के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती मिट्टी की संरचना और पर्यावरण दोनों को दीर्घकालीन लाभ देती है।

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