खाद्य सुरक्षा पर नई दिल्ली में वैश्विक नेताओं का मंथन, किसान-केंद्रित समाधानों पर जोर

यह सम्मेलन वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन द्वारा सीआईएमएमआईटी, बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीआईएसए) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

खाद्य सुरक्षा पर नई दिल्ली में वैश्विक नेताओं का मंथन, किसान-केंद्रित समाधानों पर जोर

दुनिया भर के कृषि विशेषज्ञ, नीति निर्माता, वैज्ञानिक और किसान इस सप्ताह नई दिल्ली में आयोजित डायलॉगनेक्स्ट सम्मेलन में जुटे। दो दिवसीय इस उच्च-स्तरीय आयोजन का उद्देश्य वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कृषि नवाचारों की खोज और उन्हें तेज़ी से अपनाने पर चर्चा करना है।

यह सम्मेलन वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन द्वारा सीआईएमएमआईटी, बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीआईएसए) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष का विषय “इसे किसान तक ले चलो” रखा गया है, जो पिछले वर्ष मेक्सिको में हुए डायलॉगनेक्स्ट का विस्तार है।

विश्व कृषि दिवस के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम भारत की कृषि विरासत और नवाचार की ताकत को प्रदर्शित करता है। आयोजन में भारतीय विश्व खाद्य पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया और वैश्विक खाद्य प्रणालियों में भारत के योगदान को रेखांकित किया गया।

वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन की वरिष्ठ निदेशक निकोल प्रेंगर ने कहा, “डॉ. नॉर्मन बोरलॉग द्वारा भारत में गेहूँ की क्रांति शुरू करने और अकाल टालने के 60 साल बाद यह सम्मेलन आयोजित होना गर्व की बात है। डायलॉगनेक्स्ट को आने वाले दशकों में बढ़ती वैश्विक आबादी को स्थायी रूप से भोजन उपलब्ध कराने के लिए ‘मूनशॉट’ प्रयास को गति देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।”

सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार और सीआईएमएमआईटी बोर्ड सदस्य अजय कुमार सूद सहित कई वैश्विक विशेषज्ञ शामिल हुए। ब्रैम गोवार्ट्स, महानिदेशक (सीआईएमएमआईटी और बीआईएसए), ने कहा, “भारत के कृषि नवाचार और नेतृत्व उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह आयोजन इन प्रयासों को वैश्विक स्तर तक ले जाने में मदद करेगा।”

सम्मेलन में भूटान, नेपाल, संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और अमेरिका के आयोवा से प्रतिनिधिमंडल सहित एशिया, यूरोप और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी व किसान नेता भी शामिल हो रहे हैं। 

डॉ. मांगी लाल जाट, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), ने कहा, "उभरते वैश्विक मेगाट्रेंड कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए जटिल चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं, जिनके लिए छोटे किसानों को केन्द्र में रखकर, व्यवस्थित समाधानों और उनके त्वरित क्रियान्वयन की आवश्यकता है।" उन्होंने आगे कहा, "इसके लिए अत्याधुनिक विज्ञान, नवाचारों एवं खोज से लेकर वितरण तक की साझेदारियों में अधिक निवेश की आवश्यकता है। चूँकि भारत में कृषि परिवर्तन तीव्र गति से हो रहा है, ऐसी स्थिति में यह देश, वैश्विक दक्षिण के लिए लघु कृषि नवाचार के केन्द्र के रूप में कार्य कर सकता है।"

ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टीएएएस) के अध्यक्ष, पूर्व सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. आरएस परोदा ने कहा, "1.46 अरब की आबादी के साथ, भारत अधिशेष और बढ़ते उत्पादन आधार के साथ खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है। 2024-25 में, गेहूं का उत्पादन 3.6 टन/हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 117 मिलियन टन तक पहुंच गया - जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है।"

2050 तक दुनिया की आबादी 9.7 अरब तक पहुँचने का अनुमान है। हाल ही में 150 से अधिक नोबेल और विश्व खाद्य पुरस्कार विजेताओं ने चेतावनी दी थी कि वर्तमान प्रयास भविष्य की खाद्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

सम्मेलन में किसान-केन्द्रित नवाचार, लघु किसान उत्पादन, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, पोषण, खाद्य प्रणालियाँ, मूल्य श्रृंखला और अगली पीढ़ी की कृषि उपलब्धियों जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

डायलॉगनेक्स्ट इन इंडिया इस त्रि-भागीय वैश्विक श्रृंखला का दूसरा चरण है, जो हरित क्रांति के जनक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. नॉर्मन बोरलॉग की विरासत पर आधारित है। इसका समापन अक्टूबर 2025 में अमेरिका के आयोवा में होने वाले नॉर्मन ई. बोरलॉग अंतर्राष्ट्रीय संवाद के साथ होगा।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!