कृषि विश्वविद्यालयों में 85% तक फैकल्टी पद खाली, कृषि मंत्री ने संस्थानों की ग्रेडिंग व खाली पद भरने के निर्देश दिए

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह का कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर, कृषि विश्वविद्यालयों व कॉलेजों की होगी ग्रेडिंग

कृषि विश्वविद्यालयों में 85% तक फैकल्टी पद खाली, कृषि मंत्री ने संस्थानों की ग्रेडिंग व खाली पद भरने के निर्देश दिए
केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और कृषि विश्वविद्यालय में खाली पदों को शीघ्र भरने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को उन्होंने पूसा, दिल्ली में 'राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन' को संबोधित करते हुए आधुनिक शोध, नवाचार और तकनीक के माध्यम से कृषि शिक्षा का स्तर बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन में देशभर से 600 से अधिक यूनिवर्सिटी और कालेजों के कृषि छात्र-छात्राएं व फैकल्टी सदस्य शामिल हुए, जिनमें सम्मेलन स्थल पर मौजूद छात्रों के अलावा बाकी विद्यार्थी वर्चुअल जुड़े थे। 
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में इस बात पर चिंता जताई कि कृषि शिक्षा से जुड़े कई पद खाली पड़े हैं। उन्होंने ICAR के महानिदेशक को सभी खाली पद शीघ्र भरने के निर्देश दिए हैं। कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा राज्यों में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के खाली पद शीघ्र भरने के लिए वे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी भेजेंगे और वहां के कृषि मंत्रियों से भी चर्चा करेंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि कृषि के छात्र-छात्राओं के भविष्य से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कमियों को दूर करने के लिए कृषि विद्यार्थियों की एक टीम बनाकर ICAR को रचनात्मक सुझाव लेने को कहा है। 

कृषि विश्वविद्यालयों की ग्रेडिंग
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय व कॉलेजों की ग्रेडिंग के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना चाहिए। दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन कर अपने देश में भी लागू करने के उपाय ICAR करें। उन्होंने कहा कि विकसित और आत्मनिर्भर भारत, खेती के विकास के बिना नहीं हो सकता। कृषि का पूरा परिदृश्य बदलना है, जिसमें कृषि के छात्र-छात्राएं भी अपना योगदान दें। 
कृषि शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाएंगे: डॉ एमएल जाट
ICAR के महानिदेशक एवं सचिव डेयर डॉ एमएल जाट ने कहा कि कृषि शिक्षा को भावी चुनौतियों के लिए तैयार किया जाएगा। इसमें AI और मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीक का समावेश होगा। कृषि विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को फिलहाल ICAR द्वारा एक्रीडेशन दिया जाता है। लेकिन अब संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। जो संस्थान पर्याप्त फैकल्टी तथा सुविधाओं के बिना संचालित हो रहे हैं, उन कमियों को भी दूर किया जाएगा। 
फिलहाल देश के कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 15 फीसदी से लेकर 85 फीसदी तक पद खाली हैं। इनमें बड़ी तादाद राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों की है। कृषि शिक्षा के क्षेत्र में आए निजी विश्वविद्यालयों को लेकर भी कई प्रकार की समस्याएं हैं। 
डॉ एमएल जाट ने बताया कि नई शिक्षा नीति के पांच थिमेटिक एरिया हैं जिनमें उच्च शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट कृषि शिक्षा से संबंधित हैं। हमारा उद्देश्य गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा तो है ही साथ ही ऐसी शिक्षा है जो आंत्रप्रेन्योर भी तैयार करे। ताकि युवा स्टार्ट स्थापित कर सकें। वहीं इसके तहत हमें टेक्नोलॉजी और बिजनेस के मेगा ट्रेंड के तहत ग्लोबल स्तर पर इवोल्व हो रहे ट्रेंड भी कैप्चर करना है। ताकि हमारे युवा विश्व स्तर की शिक्षा हासिल कर आगे बढ़ सकेंगे।
कृषि छात्रों से संवाद
कृषि शिक्षा प्रभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन’ में कृषि छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और केंद्रीय कृषि मंत्री से सीधा संवाद किया। विद्यार्थियों ने कृषि क्षेत्र में आ रहे बदलावों, नई तकनीकों व सरकार की नीतियों से जुड़कर आगे बढ़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, साथ ही अपनी समस्याएं भी बताई। केंद्रीय कृषि मंत्री ने छात्र- छात्राओं की समस्याओं का समुचित समाधान करने की बात कही। 
सम्मेलन में कृषि वैज्ञानिक, प्राध्यापक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) तथा कृषि विश्वविद्यालयों के पदाधिकारी भी शामिल हुए और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी वर्चुअल शामिल हुए।

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