आईसीएआर के स्थापना दिवस पर केवीके कर्मचारियों ने क्यों किया विरोध-प्रदर्शन
देश भर में 731 केवीके में से केवल 66 ही सीधे आईसीएआर द्वारा चलाए जाते हैं, जबकि बाकी राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य विभागों, गैर सरकारी संगठनों आदि के अधीन हैं। दोनों प्रकार के केवीके में कर्मचारियों के वेतन और सेवा शर्तों में काफी अंतर होता है।
कृषि विज्ञान केंद्रों के कर्मचारियों में वेतन और सेवा शर्तों की असमानता को लेकर असंतोष है। इसे लेकर 16 जुलाई को देश भर के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) पर एक दिवसीय विरोध-प्रदर्शन किया गया, जिसमें कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर काले बैज पहने। यह विरोध-प्रदर्शन उसी दिन हुआ, जिन दिन नई दिल्ली में आईसीएआर का 96वां स्थापना और प्रौद्योगिकी दिवस समारोह मनाया जा रहा था।
यह विरोध-प्रदर्शन आईसीएआर द्वारा संचालित केवीके के कर्मचारियों और गैर-आईसीएआर द्वारा संचालित केवीके के कर्मचारियों के बीच वेतन और सेवा शर्तों, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ, मृत्यु मुआवजे और अन्य सुविधाओं में पूर्ण असमानता के खिलाफ हुआ। देश भर में 731 केवीके में से केवल 66 ही सीधे आईसीएआर द्वारा चलाए जाते हैं, जबकि बाकी राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य विभागों, गैर सरकारी संगठनों आदि के अधीन हैं। दोनों प्रकार के केवीके में कर्मचारियों के वेतन और सेवा शर्तों में काफी अंतर होता है।
कर्मचारियों का आरोप है कि आईसीएआर और मेजबान संगठनों के अनुचित निर्णयों ने लगभग 10,000 कर्मचारियों को प्रभावित किया है, जिससे उन्हें नौकरी की असुरक्षा और अनिश्चितता में धकेल दिया है। केवीके और एआईसीआरपी के राष्ट्रीय मंच ने मांग की है कि आईसीएआर अधिकारी केवीके के कर्मचारियों की समस्याओं का जल्द समाधान करें ताकि वे किसानों के हित में दोगुने उत्साह के साथ काम कर सकें। मंच ने सरकार से केवीके कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को संबोधित करने और सभी के लिए उचित व्यवहार सुनिश्चित करने की भी अपील की है।
उन्नत कृषि तकनीक और नए शोध को किसानों तक पहुंचाने में कृषि विज्ञान केंद्र की अहम भूमिका रही है। कृषि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विस्तार सेवाओं और प्रौद्योगिकी अपनाने में केवीके महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन विभिन्न मेजबान संस्थानों के तहत केवीके को वेतन लाभ, पदोन्नति, सेवा नियमों और सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों से संबंधित मुद्दों पर कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

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