एजेंडा फॉर रूरल इंडियाः तमिलनाडु में प्रतिभागियों ने जल प्रदूषण, किसानों-जंगली जानवरों में संघर्ष, सिंचाई की समस्या, फसलों के दामों में उतार चढ़ाव के मुद्दों को उठाया

रूरल वॉयस, सोक्रेटस, तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटक्शन एसोसिएशन और फार्मर्स मर्चेंट्स इंडस्ट्रियलिस्ट्स फेडरेशन ने रविवार को कोयंबटूर में एजेंडा फॉर रूरल इंडिया का सफल आयोजन किया। इसमें इस बात पर चर्चा हुई कि ग्रामीण भारत के विकास का एजेंडा किस तरह तैयार किया जाना चाहिए। इसमें तमिलनाडु के आठ जिलों- कोयंबटूर, नमक्कल, इरोड, सेलम, धर्मपुरी, तिरुपुर, डिंडीगुल, नीलगिरि और तिरुनेलवेली से आए लोगों ने शिरकत की। ग्रामीण होने के नाते उन्हें जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन सभी पर उन्होंने चर्चा की और अपने-अपने गांव के लिए विकास के लिए विचार रखे। उन्होंने यह भी बताया कि वे किस तरह की नीतियों को लागू होते देखना चाहेंगे।

एजेंडा फॉर रूरल इंडियाः तमिलनाडु में प्रतिभागियों ने जल प्रदूषण, किसानों-जंगली जानवरों में संघर्ष, सिंचाई की समस्या, फसलों के दामों में उतार चढ़ाव के मुद्दों को उठाया
तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित एजेंडा फॉर रूरल इंडिया कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिभागी

रूरल वॉयस, सोक्रेटस, तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटक्शन एसोसिएशन और फार्मर्स मर्चेंट्स इंडस्ट्रियलिस्ट्स फेडरेशन ने रविवार को कोयंबटूर में एजेंडा फॉर रूरल इंडिया का सफल आयोजन किया। इसमें इस बात पर चर्चा हुई कि ग्रामीण भारत के विकास का एजेंडा किस तरह तैयार किया जाना चाहिए। इसमें तमिलनाडु के आठ जिलों- कोयंबटूर, नमक्कल, इरोड, सेलम, धर्मपुरी, तिरुपुर, डिंडीगुल, नीलगिरि और तिरुनेलवेली से आए लोगों ने शिरकत की। ग्रामीण होने के नाते उन्हें जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन सभी पर उन्होंने चर्चा की और अपने-अपने गांव के लिए विकास के लिए विचार रखे। उन्होंने यह भी बताया कि वे किस तरह की नीतियों को लागू होते देखना चाहेंगे।

एजेंडा फॉर रूरल इंडिया, कोयंबटूर देशभर में आयोजित किए जा रहे ग्रामीण लोगों के सम्मेलन की श्रृंखला का हिस्सा है। इसका आयोजन डिजिटल मीडिया संस्थान रूरल वॉयस और सामाजिक तथा ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सोक्रेटस कर रहा है। कोयंबटूर में आयोजित इस सम्मेलन में तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटक्शन एसोसिएशन (टीएनएफपीए) और फार्मर्स मर्चेंट्स इंडस्ट्रियलिस्ट्स फेडरेशन (एफएमआईएफ) स्थानीय पार्टनर के तौर पर जुड़े थे। इस तरह का सम्मेलन कई राज्यों में आयोजित किया गया है और तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित यह पांचवा सम्मेलन था। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, ओडिशा के भुवनेश्वर, राजस्थान के जोधपुर और मेघालय के शिलांग में यह सम्मेलन आयोजित किया गया।

कोयंबटूर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए रूरल वॉयस के एडिटर इन चीफ हरवीर सिंह ने कहा, “बाकी भारत की तरह तमिलनाडु में भी शहरी और ग्रामीण इलाकों में काफी असमानताएं हैं। तमिलनाडु का कृषि क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है और यह कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन सम्मेलनों का मकसद ग्रामीण नागरिकों की आवाज सुनना तथा उन्हें नीति निर्माताओं, ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं, विशेषज्ञों और मीडिया तक पहुंचाना है। इस संवाद के जरिए हम ग्रामीण विकास के लिए उनके द्वारा सुझाए समाधान लेकर आना चाहते हैं।”

सम्मेलन में भाग लेने वालों ने कई मुद्दे उठाए। सबसे बड़ा मुद्दा मानव और पशुओं के बीच संघर्ष का है जिसकी वजह से पर्वतीय जिलों और चाय बागानों में बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि किसानों को व्यक्तिगत फसल बीमा की जरूरत है, यहां तक की पशुओं के हमले के मामलों में भी। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसकी जरूरत काफी बढ़ गई है। किसानों ने अपनी उपज, खासकर सब्जियों की अच्छी कीमत ना मिलने की शिकायत की। उन्होंने दूध के लिए भी समर्थन मूल्य लागू करने की मांग की।

अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंः Agenda for Rural India-Coimbatore: Farmer-Animal conflict, Irrigation are key challenges for farmers

खेती के लिए पानी के उपलब्धता दूसरा बड़ा मुद्दा है। वाटर बॉडी और भूजल, सीवेज तथा औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले पानी से दूषित हो गए हैं। वाटर बॉडी को सुरक्षित रखना और उन्हें पुनर्जीवित करना तथा सक्रिय रूप से नदी प्रबंधन की मांग भी लोगों ने की। इसके अलावा चाय बागानों में काम करने वालों के लिए मदद तथा कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की मांग भी की गई।

सोक्रेट्स के डायरेक्टर प्रचुर गोयल ने कहा, हाल के वर्षों में हमने देखा है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों को अनेक तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही डिजिटाइजेशन से ग्रामीण भारत के निवासियों की आकांक्षाएं और सामाजिक ताना-बाना भी बदला है। नीतियों को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है कि ग्रामीण नागरिकों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा जाए। यह संवाद सशक्तीकरण का भी टूल है।

तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटक्शन एसोसिएशन के संस्थापक ईसन मुरुगासामी ने कहा कि किसानों, श्रमिकों (कृषि, उद्योग एवं कंस्ट्रक्शन) तथा ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों की इस बैठक में गांवों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए। इन वैकल्पिक विचारों को संबंधित सरकारी अधिकारियों तक पहुंचाया जाना चाहिए और समस्याओं का समाधान होने तक इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

फार्मर्स मर्चेंट्स इंडस्ट्रियलिस्ट्स फेडरेशन के प्रेसिडेंट सेंथिल कुमार ने कहा, इस तरह की परिचर्चा तमिलनाडु के हर जिले तथा तालुका मुख्यालय में आयोजित की जानी चाहिए ताकि ग्रामीण लोगों की शिकायतें सुनी जा सके। ऐसी परिचर्चाएं स्थानीय समस्याओं तथा उनके प्रायोगिक समाधानों को सामने लाएंगी।

यह कार्यक्रम रूरल वॉयस और सोक्रेटस की तरफ से पूरे देश में आयोजित किए जाने वाले सम्मेलनों का हिस्सा था। इसका मकसद भारत के ग्रामीण समुदायों की चुनौतियां की पहचान करना है। इन कार्यक्रमों में ग्रामीण भारत में हो रहे बदलावों की भी पहचान की गई। शहर और गांव के बीच बढ़ते अंतर को सामने लाने के साथ ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया। इसका लक्ष्य एक व्यापक ग्रामीण एजेंडा तैयार करना है जो ग्रामीण समुदायों की जरूरतों का समाधान लेकर आ सके। इन परिचर्चाओं से निकलने वाले प्रमुख बिंदुओं को दिल्ली में 1 नवंबर को आयोजित किए जाने वाले विषद कार्यक्रम में नीति निर्माताओं तथा विशेषज्ञों के साथ साझा किया जाएगा तथा उनके साथ उन बिंदुओं पर चर्चा भी होगी।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!