नैनो यूरिया से 50 फीसदी नाइट्रोजन की होगी बचत, बढ़ेगा उत्पादन

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया का कहना है कि इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव  लिमिटेड (इफको) द्वारा विकसित नैनो यूरिया का उपयोग फसलों में  50 फीसदी नाइट्रोजन की बचत करता है साथ इससे फसल की पैदावार में भी वृद्धि होती है

नैनो यूरिया से 50 फीसदी नाइट्रोजन की होगी बचत, बढ़ेगा उत्पादन

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया का कहना है कि इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव  लिमिटेड (इफको) द्वारा विकसित नैनो यूरिया का उपयोग फसलों में  50 फीसदी नाइट्रोजन की बचत करता है साथ इससे फसल की पैदावार में भी वृद्धि होती है। राज्य सभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में उर्वरक मंत्री ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ही नैनो यूरिया का उपयोग पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और  मृदा स्वास्थय के लिए लाभकारी है ।

इफको नैनो यूरिया एक नया तरल उर्वरक है । इस प्रकार का उर्वरक दुनिया में पहली बार इफको द्वारा गुजरात के कलोल स्थित नैनो बायोटेक्नाल़ॉजी  रिसर्च सेंटर में  इफको की पेटेंटेड तकनीक से विकसित किया गया है।  इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने 31 मई , 2021 को नई दिल्ली में  हुई इफको की 50 वीं आम सभा में बताया था इसके बारे में जानकारी दी थी। इफको द्वारा विकसित नैनो यूरिया अति सूक्ष्म अकार औऱ सतही विशेषताओं और गुण के कारण इसका पौधों की पत्तियों  पर छिड़काव करने से  पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है । इसके बाद नैनो-उर्वरक पौधों के उच्च पोषक तत्व उपयोग दक्षता में योगदान करते  हुए पौधों के जिन भागों में नाइट्रोजन की जरूरत होती है, इसके कण पहुंचकर  संतुलित मात्रा में पोषक तत्व पहुंचा देते है।

उर्वरक मंत्री के बयान पर ट्विटर पर  अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शकर अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया के विभिन्न फसलों पर गये परीक्षणों के बाद मिली सफलता के बाद हमारे देश के किसानों के लिए नैनो यूरिया बेहद लाभकारी साबित होगा ,उनके अनुसार इसके फसलों में उपयोग से नाइट्रोजन की बचत होगी, जिससे किसानों के लागत खर्च में कमी आएगी औऱ फसलों की पैदावार में बढोत्तरी होगी और नैनो यूरिया  पर्यावरण के नजरिए से भी लाभकारी है । उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र  मोदी ने सुझाव दिया था कि  खेती में केमिकल्स की निर्भरता को कम करने के लिए काम होना चाहिए। इफको का नैनो यूरिया विकसित करना उसी की तरफ  एक कदम है ।

राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के माध्यम से आईसीएआर अनुसंधान संस्थान/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में धान, गेहूं, सरसों, मक्का, टमाटर, गोभी, खीरा, शिमला मिर्च और प्याज सहित 7 विभिन्न फसलों पर 2019 -20 की रबी और जायद की फसलों पर प्रयोगिक परीक्षण किया गया। इस परीक्षणो से पता चला कि नैनो यूरिया कृषि नजरिये से सही होने साथ काफी लाभकारी है। इसके  इस्तेमाल से फसलों में  नाइट्रोजन  50 फीसदी बचत के साथ साथ फसल की  पैदावार  बढ़ सकती है। नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का असंतुलित इस्तेमाल और इनके कम पोषक तत्व उपयोग क्षमता के कारण खेत की मिट्टी , हवा और पानी को प्रदूषित करता है।  नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों के इस्तेमाल से पत्तेदार सब्जियों में अधिक नाइट्रेट जमा  हो जाते है जिसकी वजह से मानव स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए भावी पीढ़ियों के लिए हमारे कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए वैकल्पिक समाधानों की तलाश करना जरूरी  है।  इन सब चिंताओ को दूर करने के लिए इफको का नैनो यूरिया वैकल्पिक सामाधान के रूप में उभरा है ।

नैनो यूरिया बेहतर उपयोग दक्षता है क्योकि जितने एरिया में फसलों के लिए किसान को एक  बैग यूरिया की जरूरत होती है वहां मात्र आधा लीटर की बोतल नैनो युरिया के प्रयोग से फसल से अच्छी पैदावार मिलेगी।  नैनो यूरिया के आने से  पारंपरिक तौर  में इस्तेमाल यूरिया के उपयोग में कमी  होने के के अतिरिक्त सुरक्षित और स्वच्छ पर्यावरण की नजर से नैनो यूरिया के उपयोग काफी लाभकारी  है क्योकि इसके प्रयोग से  मिट्टी के स्वास्थ्य कोई नुकसान नही पहुंचेगा और फसल से बेहतर गुणवत्ता वाली अधिक उपज मिलेगी ।

सार्वजनिक क्षेत्र की दो उर्वरक उत्पादक कंपनियों नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ)  नैनो यूरिया के उत्पादन के लिए इसकी उत्पादन की तकनीक के  हस्तांतरण के लिए इफको के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है।

 

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