चीन में सूखे के हालात से गेहूं की फसल पर संकट, इंग्लैंड के किसानों को भी नुकसान की आशंका
चीन के हेनान प्रांत को देश के अन्न भंडार के रूप में जाना जाता है। वहां सरकार ने चेतावनी जारी की है कि झुलसाने वाले तापमान और सूखी हवाएं गेहूं के पौधों में दाना भरने के चरण पर असर डाल रही हैं। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार 11 से 13 मई के बीच तापमान 35°C से ऊपर रहेगा, खासकर अंयांग, पुइयांग और झेंगझोउ जैसे क्षेत्रों में। यह समय फसल की उपज और गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
लगातार बिगड़ता जलवायु संकट गेहूं की फसलों के लिए खतरा बनता जा रहा है। इस साल चीन और इंग्लैंड सूखा, अत्यधिक तापमान और घटते जल संसाधनों से जूझ रहे हैं। एशिया के प्रमख अनाज उत्पादक देश से लेकर इंग्लैंड के ग्रामीण इलाकों तक, किसान और अधिकारी फसलों और जल प्रणालियों पर बढ़ते दबाव को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। गेहूं की फसल पर संकट को देखते हुए खाद्य असुरक्षा और आयात पर निर्भरता बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
चीन के हेनान प्रांत को देश के अन्न भंडार के रूप में जाना जाता है। वहां सरकार ने चेतावनी जारी की है कि झुलसाने वाले तापमान और सूखी हवाएं गेहूं के पौधों में दाना भरने के चरण पर असर डाल रही हैं। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार 11 से 13 मई के बीच तापमान 35°C से ऊपर रहेगा, खासकर अंयांग, पुइयांग और झेंगझोउ जैसे क्षेत्रों में। यह समय फसल की उपज और गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
केवल हेनान प्रांत में चीन का लगभग एक-तिहाई गेहूं उत्पादन होता है। ऐसे में वहां किसी भी प्रकार की क्षति के व्यापक परिणाम हो सकते हैं। देश के जल संसाधन मंत्री ने भी हाल में उत्तर चीन के गेहूं उत्पादन क्षेत्र में लगातार बिगड़ते सूखे की स्थिति को लेकर चिंता जताई है।
उपग्रह और मौसम संबंधी आंकड़ों से पता चलता है कि हेबेई, आनहुई और जियांग्सू जैसे प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में तीन महीने से बारिश की भारी कमी है। इन क्षेत्रों में चीन की सर्दियों के गेहूं उत्पादन का 60% से अधिक होता है। हालांकि इन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था है, फिर भी शुष्क मौसम के कारण उपज पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है। यदि फसल खराब होती है तो चीन गेहूं का अधिक मात्रा में आयात कर सकता है। चीन पहले ही 2022 और 2023 में दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं आयातक रहा है।
इंग्लैंड के किसानों के सामने भी संकट
इंग्लैंड में भी किसान पहले फसल खराब होने की आशंका से जूझ रहे हैं। वहां मौसम विभाग के अनुसार वसंत की शुरुआत पिछले 69 वर्षों में सबसे शुष्क हुई है। मार्च का महीना 1961 के बाद सबसे शुष्क रहा, और अप्रैल में भी सामान्य से केवल आधी बारिश हुई। इसलिए किसानों को सामान्य से कहीं पहले सिंचाई शुरू करनी पड़ी है। उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में जलाशयों का जलस्तर विशेष रूप से कम है।
इंग्लैंड की पर्यावरण एजेंसी ने जनता से पानी बचाने की अपील की है। तैयारियों का आकलन करने के लिए हुई बैठक में नेशनल ड्रॉट ग्रुप (NDG) ने काफी निराशाजनक तस्वीर पेश की है। उसका कहना है कि संकट से निपटने की कोई तैयारी नहीं हैं और सभी बारिश से उम्मीदे लगाए बैठे हैं। विशेषज्ञों ने मौजूदा हालात की तुलना 2022 से की है। उस साल भी इंग्लैंड के विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में जल संकट उत्पन्न हुआ था और बड़े पैमाने पर फसलें नष्ट हुई थीं।
जलाशयों का जलस्तर इस समय 2022 की तुलना में भी कम है। वर्तमान में देशभर में जलस्तर औसतन 84% पर है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय यह 90% था। उत्तरी इंग्लैंड विशेष रूप से संवेदनशील है, जहां कुछ जल कंपनियां निर्धारित समय से कई महीने पहले नदियों से जल ले रही हैं। वहां मछलियों की मृत्यु दर बढ़ गई है और नदियों का प्रवाह चिंताजनक रूप से कम है।

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