कर्नाटक चुनावः भाजपा के बागी पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार कांग्रेस में हुए शामिल, लिंगायत वोटों पर असर पड़ने की संभावना  

जगदीश शेट्टार हुबली जिले की हुबली-धारवाड़ (मध्य) सीट से छह बार विधायक रहे हैं। वह 2012-13 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। 68 वर्षीय शेट्टार 2008-09 में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। राज्य में एंटी-इन्कम्बेंसी से जूझ रही भाजपा के लिए यह बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इसका असर 20-25 सीटों पर पड़ सकता है। कित्तूर कर्नाटक इलाके में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है।

कर्नाटक चुनावः भाजपा के बागी पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार कांग्रेस में हुए शामिल, लिंगायत वोटों पर असर पड़ने की संभावना  
जगदीश शेट्टार ने मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के दलबदल का सिलसिला जारी है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुराने कार्यकर्ता, नेता प्रतिपक्ष रहे और छह बार के विधायक जगदीश शेट्टार सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। लिंगायत समुदाय के इस दिग्गज नेता को भाजपा ने टिकट देने से इन्कार कर दिया था जिससे नाराज होकर शनिवार रात को उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। पिछले हफ्ते ही लिंगायत समुदाय के ही एक और बड़े नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने भी भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। इससे पहले भाजपा के सात विधायक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

जगदीश शेट्टार हुबली जिले की हुबली-धारवाड़ (मध्य) सीट से छह बार विधायक रहे हैं। वह 2012-13 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। 68 वर्षीय शेट्टार 2008-09 में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। राज्य में एंटी-इन्कम्बेंसी से जूझ रही भाजपा के लिए यह बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इसका असर 20-25 सीटों पर पड़ सकता है। कित्तूर कर्नाटक इलाके में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है।

कांग्रेस का हाथ थामते हुए शेट्टार ने कहा, ‘भाजपा ने मुझे पद दिया और एक कार्यकर्ता के तौर पर मैंने हमेशा पार्टी के विकास के लिए काम किया। मुझे उम्मीद थी कि इस बार भी मुझे टिकट मिलेगा लेकिन जब पता चला कि टिकट नहीं दिया जा रहा है तो मुझे बहुत हैरानी हुई। इस बारे में पार्टी में किसी ने मुझसे न बात की और न ही मुझे किसी ने तसल्ली दी कि मुझे क्या पद दिया जाएगा। पार्टी ने मुझे अपमानित किया है। अब मैं कांग्रेस में पूरे मन से शामिल हुआ हूं।'

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में जगदीश शेट्टार ने बेंगुलुरू में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी. शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, रणदीप सुरजेवाला सहित अन्य नेता मौजूद थे। खड़गे ने शेट्टार के कांग्रेस पर शामिल होने पर कहा कि उनके आने से पार्टी राज्य में और मजबूत होगी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि पार्टी राज्य में 150 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेगी। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ भाजपा ने जिस तरह का व्यवहार किया है वैसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए। भाजपा ने लिंगायत समुदाय और शेट्टार के समर्थकों का अपमान किया है।

दिसंबर 1955 में जन्मे जगदीश शेट्टार 1994 में पहली बार विधायक बने और विधानसभा पहुंचे। 1996 में भाजपा ने उन्हें पार्टी का राज्य सचिव और 2005 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उनकी गिनती प्रदेश भाजपा के उन बड़े नेताओं में होती है जिन्होंने कर्नाटक मिं पार्टी को खड़ा किया। वह येद्दियुरप्पा के भी करीबी रहे हैं।

भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येद्दियुरप्पा के बाद जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। राज्य में लिंगायतों की आबादी 17 फीसदी है जो किसी का भी खेल बना और बिगाड़ सकते हैं। लिंगायत अभी तक भाजपा को वेट देते रहे हैं। मगर शेट्टार के जाने से लिंगायत वोटों में बंटवारा तय माना जा रहा है। यही वजह है कि राज्य की सियासत में खलबली मची हुई है। 1956 में राज्य बनने के बाद से अब तक आठ मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय से ही बने हैं। 110 विधानसभा सीटों पर लिंगायतों का सीधा असर है। कर्नाटक के अलावा पड़ोसी राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में इस समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से ही हैं लेकिन येद्दियुरप्पा और शेट्टार की पकड़ अपने समुदाय पर ज्यादा है।  

लिंगायत समुदाय अलग धर्म की मांग कर रहा है जिसे लेकर चुनाव में काफी चर्चा हो रही है। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने तो कह दिया है कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दे दिया जाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के इस वादे और शेट्टार के पार्टी में आने से लिंगायत वोटरों का रुख किस ओर रहता है

 

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