कृषि शिक्षा नीति में सुधार जरूरीः डॉ. परोदा

डॉ. आरएस परोदा ने इस मौके पर कहा कि कृषि, पशुधन, मत्स्य आदि क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए एकीकृत कार्य योजना बनाने की जरूरत है। इसके साथ ही कृषि शिक्षा नीति में बदलाव करने और किसानों एवं उनके उत्पादों को बाजार से जोड़ने की जरूरत है। डॉ. परोदा ने कृषि में छोटे किसानों, कृषि विविधता, अनुदान, संरक्षित खेती, पारिवारिक पोषण सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर भी अपनी राय रखी।

कृषि शिक्षा नीति में सुधार जरूरीः डॉ. परोदा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक, डेयर के पूर्व सचिव और कृषि विज्ञान उन्नति ट्रस्ट (तास) के अध्यक्ष डॉ. आर एस परोदा ने कहा है कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में कृषि शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए कृषि शिक्षा नीति में सुधार करना जरूरी है। झांसी स्थित रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के 11वें मंथन शिविर के शुक्रवार को उद्घाटन मौके पर उन्होंने यह बात कही। इस मंथन शिविर का आयोजन भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ की ओर से किया गया। 

डॉ. आरएस परोदा ने इस मौके पर कहा कि कृषि, पशुधन, मत्स्य आदि क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए एकीकृत कार्य योजना बनाने की जरूरत है। इसके साथ ही कृषि शिक्षा नीति में बदलाव करने और किसानों एवं उनके उत्पादों को बाजार से जोड़ने की जरूरत है। डॉ. परोदा ने कृषि में छोटे किसानों, कृषि विविधता, अनुदान, संरक्षित खेती, पारिवारिक पोषण सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर भी अपनी राय रखी। इस कार्यक्रम में उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था।

रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने अपने स्वागत भाषण में इस शिविर के विषय “प्राकृतिक संसाधन प्रबंधीकरण में नवाचार” के बारे में बताते हुए कृषि उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य एवं मनुष्य स्वास्थ्य के ऊपर प्रकाश डाला। जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. एसके चौधरी ने जलवायु परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों के टिकाऊ समाधान की बात कही और सभी कृषि हितधारकों को नई टेक्नॉलोजी- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि को अपनाने का सुझाव दिया। आईसीएआर के उपमहानिदेशक (मत्स्य) डॉ. जेके जेना ने प्राकृतिक संसाधन, जैव विविधता, नदियों का संरक्षण कर सतत उत्पादन की ओर अग्रसर होने तथा पशुधन, मतस्य, आदि के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी संबंधित चुनौतियों की बात कही। आईसीएआर के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आरसी अग्रवाल ने वर्चुअल माध्यम से जुड़कर अपने संबोधन में कृषि शिक्षा में सुधार तथा नई पद्धतियों जैसे डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से शैक्षणिक कार्यक्रम पर अपने विचार दिए।

भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर सिंह ने मृदा स्वास्थ्य, गुणवत्तायुक्त भोजन एवं पोषण के साथ आर्थिक तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कृषि विकास की बात कही। कुलाधिपति डॉ. पंजाब सिंह ने प्राकृतिक संसाधनों का उचित संतुलन बनाते हुए टिकाऊ कृषि उत्पादन पर जोर दिया। उन्होंने महत्त्वपूर्ण अनुसंधान के क्षेत्रों की खोज एवं पहचान कर भारतीय कृषि के अगले 30 वर्षों की चुनौतियों एवं समाधान की बात कही। उन्होंने मोटे अनाजों को कृषि की मुख्य धारा में लाने की बात कही।  

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