आपदाओं से 30 वर्षों में दुनियाभर में 31 लाख अरब रुपये से अधिक के फसलों का हुआ नुकसान, भारतीय अर्थव्यवस्था से भी है ज्यादा

प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के कारण पूरी दुनिया में पिछले 30 वर्षों में 3.8 ट्रिलियन डॉलर (करीब 31.6 लाख अरब रुपये) की फसल और पशुधन का नुकसान हुआ है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार से भी ज्यादा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। फसलों और पशुधन के नुकसान की जानकारी वाली यह रिपोर्ट एफएओ द्वारा पहली बार जारी की गई है। भारतीय अर्थव्यस्था का आकार मौजूदा समय में 3 ट्रिलियन डॉलर से कुछ ज्यादा है।

आपदाओं से 30 वर्षों में दुनियाभर में 31 लाख अरब रुपये से अधिक के फसलों का हुआ नुकसान, भारतीय अर्थव्यवस्था से भी है ज्यादा

प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के कारण पूरी दुनिया में पिछले 30 वर्षों में 3.8 ट्रिलियन डॉलर (करीब 31.6 लाख अरब रुपये) की फसल और पशुधन का नुकसान हुआ है। यह लगभग भारतीय अर्थव्यवस्था के बराबर है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। फसलों और पशुधन के नुकसान की जानकारी वाली यह रिपोर्ट एफएओ द्वारा पहली बार जारी की गई है। भारतीय अर्थव्यस्था का आकार मौजूदा समय में 3 ट्रिलियन डॉलर से कुछ ज्यादा है।

एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़, सूखा, कीट संक्रमण, तूफान, बीमारी और युद्ध के कारण 1991 और 2021 के बीच खाद्य उत्पादन में सालाना लगभग 123 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यह कुल उत्पादन के पांच फीसदी के बराबर है जो सालाना 50 करोड़ लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त है। यह पहली बार है कि संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन ने वैश्विक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर आपदाओं से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए इस तरह के अनुमान को संकलित करने का प्रयास किया है।

एफएओ के सांख्यिकी विभाग के उप प्रमुख पिएरो कॉनफोर्टी ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तथ्य का जायजा ले रहा है कि 1970 के दशक के बाद से आपदाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं और खाद्य उत्पादन पर इसका असर बढ़ रहा है।"

एफएओ ने पाया है कि आपदाओं की गंभीरता के साथ-साथ उनके आने की फ्रीक्वेंसी बढ़ रही हैं। 1970 के दशक में जहां सालाना 100 आपदाएं आती थीं, वहीं पिछले 20 वर्षों में सालाना लगभग 400 आपदाएं आती हैं। जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मानव और पशुधन संबंधी बीमारियां भी इस तेजी के लिए जिम्मेदार हैं।

एफएओ ने कहा, "बाढ़, पानी की कमी, सूखा, कृषि उपज और मत्स्य संसाधनों में गिरावट, जैविक विविधता की हानि और पर्यावरणीय गिरावट जैसे कई खतरों के कारण दुनिया भर में कृषि बाधित होने का खतरा बढ़ रहा है।" एफएओ ने जलवायु परिवर्तन, महामारियों और सशस्त्र संघर्षों के रूप में "आपदा जोखिम के प्रणालीगत चालकों" की पहचान की। इससे नुकसान तेजी से बढ़ता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनाजों का औसत नुकसान सालाना 6.9 करोड़ टन तक पहुंच गया है जो फ्रांस के वार्षिक उत्पादन के बराबर है। लगभग 4 करोड़ टन फल और सब्जी उत्पादन और 1.6 करोड़ टन मांस, मछली और अंडे का नुकसान होता है। विभिन्न आपदाओं के कारण कृषि क्षेत्र को लगभग 23 फीसदी हानि हुई।

एफएओ ने पाया है कि गरीब देशों को अपने कृषि उत्पादन के संदर्भ में चरम घटनाओं के कारण सबसे अधिक नुकसान हुआ जो 10 फीसदी तक था। इस मामले में एशिया सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है जहां आपदाओं के कारण कुल कृषि हानि का 45 फीसदी नुकसान होता है और इसके कृषि उत्पादन के चार प्रतिशत के बराबर नुकसान होता है। अफ्रीकी देश जो नियमित रूप से सूखे से प्रभावित होते हैं, उनकी फसल उत्पादन में औसतन 15 फीसदी की हानि हुई है।

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