कीमतों पर अंकुश के लिए चीनी निर्यात नियंत्रित करने का फैसला, मिलों और निर्यातकों को पत्र में बताए दिशानिर्देश

दहाई के करीब पहुंचती खुदरा महंगाई दर से घबराई सरकार कीमतों पर नियंत्रण के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने के मोड में चली गई है। इसके चलते गेहूं के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाने के 11 दिन बाद चीनी के निर्यात को नियंत्रित करने का फैसला ले लिया गया है। हालांकि चीनी निर्यात पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई गई है लेकिन इसे फ्री से रेस्ट्रिक्टिड श्रेणी में डाल दिया गया है। वहीं यूरोपीय यूनियन (ईयू), अमेरिका और टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत होने वाले निर्यात पर कोई रेस्ट्रीक्शन नहीं है

कीमतों पर अंकुश के लिए चीनी निर्यात नियंत्रित करने का फैसला, मिलों और निर्यातकों को पत्र में बताए दिशानिर्देश

दहाई के करीब पहुंचती खुदरा महंगाई दर से घबराई सरकार कीमतों पर नियंत्रण के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने के मोड में चली गई है। इसके चलते गेहूं के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाने के 11 दिन बाद चीनी के निर्यात को नियंत्रित करने का फैसला ले लिया गया है। हालांकि चीनी निर्यात पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई गई है, इसे फ्री से रेस्ट्रिक्टिड श्रेणी में डाल दिया गया है। वहीं यूरोपीय यूनियन (ईयू), अमेरिका और टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत होने वाले निर्यात पर कोई रेस्ट्रिक्शन नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय ने 24 मई को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि निर्यात के संबंध में खाद्य मंत्रालय के तहत आने वाला डायरेक्टरेट ऑफ शुगर इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगा। चीनी निर्यात पर यह अंकुश 1 जून से 31 अक्टूबर 2022 तक जारी रहेगा। हालांकि घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में कोई अप्रत्याशित बढ़ोतरी हाल के दिनों में नहीं हुई है। 25 मई को महाराष्ट्र में चीनी के एस ग्रेड की कीमत 3220 रुपये से 3250 रुपये प्रति क्विटंल के बीच रही है। 

चीनी निर्यात को मुक्त से रेट्रिक्टिड में डालने की वजह घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों को नियंत्रित रखना बताया गया है। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के समय भी यही कहा गया था। लेकिन यह दिलचस्प बात है कि चीनी के उत्पादन से लेकर इसकी बिक्री तक पूरी तरह से सरकार के नियमन में होता है। ऐसे  में इसके उत्पादन, स्टॉक और बिक्री के सटीक आंकड़े सरकार के पास होते हैं जो गेहूं में संभव नहीं है। ऐसे में चालू पेराई सीजन (अक्तूबर, 2021 से सितंबर, 2022) में रिकॉर्ड 350 लाख टन चीनी उत्पादन को देखते हुए सरकार का यह फैसला चौंकाने वाला है। क्योंकि देश में चीनी की खपत करीब 270 लाख टन ही होती है। ऐसे में करीब 80 लाख टन का चीनी उत्पादन अतिरिक्त है। जबकि एक अक्तूबर, 2021 को पिछले सीजन का 85 लाख टन चीनी पिछले साल की बकाया स्टॉक था। इस स्थिति में 100 लाख टन की निर्यात सीमा जैसा कदम सामान्य नहीं माना जा सकता।

पिछले सीजन के पहले तक सरकार चीनी निर्यात पर सब्सिडी दे रही थी ताकि चीनी मिलें गन्ना किसानों को बकाया का भुगतान कर सकें। उस समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें काफी नीचे थीं। उस स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों में भारी गिरावट को रोकने के लिए चीनी पर मिनिमम सेल प्राइस (एमएसपी) की व्यवस्था लागू कर दी थी, जिसे पिछले साल बढ़ाया भी गया था। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों के बढ़ने के चलते देश से चीनी का निर्यात काफी तेजी से बढ़ा। इसकी वजह पिछले साल थाइलैंड और ब्राजील में चीनी उत्पादन में कमी आना रहा है।

चीनी मिलों को पत्र में बताए नए दिशानिर्देश

डायरेक्टरेट ऑफ शुगर ने भी चीनी मिलों को पत्र लिखा है जिसमें मौजूदा स्थिति के साथ चीनी निर्यात की शर्तें भी बताई गई हैं। पत्र में कहा गया है कि मौजूदा चीनी सीजन 2021-22 में 100 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति होगी। अभी तक 90 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं। इसमें से मिलों ने 82 लाख टन चीनी निर्यात के लिए डिस्पैच कर दिया है और अब तक लगभग 78 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है जो अब तक का रिकॉर्ड है। चीनी सीजन 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में क्रमशः 6.2 लाख टन, 38 लाख टन, 59.60 लाख टन और 70 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था।

पत्र में कहा गया है कि सभी चीनी मिलों को निर्यात के लिए डिस्पैच की जाने वाली चीनी का विवरण रोजाना डायरेक्टरेट के पोर्टल पर देना होगा। मई के अंत तक डिस्पैच की पूरी रिपोर्ट 1 जून को sugarexports-fpd@gov.in अथवा cdsugar.fpd@nic.in पर भेजनी पड़ेगी। यह विवरण न देने पर निर्यात के लिए रिलीज ऑर्डर के आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा। मिलों को 1 जून से निर्यात या डीम्ड निर्यात के लिए चीनी डिस्पैच की मंजूरी के लिए आवेदन करना पड़ेगा।

निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) के लिए चीनी मिलों को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्लूएस) पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसे ईमेल से भी भेजा जा सकता है। आवेदन के साथ निर्यातक के साथ कॉन्ट्रैक्ट/सेल-परचेज एग्रीमेंट अथवा विदेशी खरीदार को सीधे निर्यात के कॉन्ट्रैक्ट/सेल-परचेज एग्रीमेंट की प्रति देनी पड़ेगी। मंजूरी मिलने के 30 दिन के भीतर मिल को चीनी डिस्पैच करना पड़ेगा। निर्यात के लिए मंजूर की जाने वाली मात्रा घरेलू बिक्री के लिए प्रति माह रिलीज की जाने वाली चीनी से अलग होगी। घरेलू बिक्री के लिए जारी की जाने वाली चीनी को निर्यात के लिए नहीं भेजा जा सकेगा।

चीनी निर्यातकों को भी पत्र, 90 दिनों तक मान्य होगा रिलीज ऑर्डर

डायरेक्टरेट ऑफ शुगर ने चीनी निर्यातकों को भी एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि 31 मई तक चीनी निर्यात की अनुमति है, लेकिन 1 जून से घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता का ध्यान रखने के बाद ही निर्यात रिलीज ऑर्डर जारी किए जाएंगे। अगर पुराने निर्यात सौदे के लिए शिपिंग बिल फाइल कर दी गई है, जहाज भारतीय बंदरगाह पर आ गया है और 31 मई तक जहाज को रोटेशन नंबर एलॉट किया जा चुका है तो उस जहाज में चीनी का लदान करने और निर्यात करने की इजाजत होगी। उसके लिए अलग से मंजूरी अथवा रिलीज ऑर्डर लेने की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन 1 जून से 31 अक्टूबर 2022 तक निर्यातकों को आवेदन के बाद रिलीज ऑर्डर जारी किए जाएंगे।

डायरेक्टरेट ऑफ शुगर से निर्यात रिलीज ऑर्डर प्राप्त करने के लिए नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्लूएस) पर आवेदन करना होगा। आवेदन sugarexports-fpd@gov.in पर ईमेल के जरिए भी भेजा जा सकता है। रिलीज ऑर्डर अधिकतम 90 दिनों के लिए मान्य होगा।

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