धान की बुवाई पिछले साल से 26% पीछे, दलहन और तिलहन का एकरेज भी कम

इस वर्ष खरीफ मौसम की बुवाई के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार 2 जून 2023 तक लगभग 2.17 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है। यह बीते साल से कम है। पिछले साल इस तारीख तक 2.96 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी। इस तरह पिछले साल की तुलना में बुवाई 26 प्रतिशत कम चल रही है।

धान की बुवाई पिछले साल से 26% पीछे, दलहन और तिलहन का एकरेज भी कम

इस वर्ष खरीफ मौसम की बुवाई के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार 2 जून 2023 तक लगभग 2.17 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है। यह बीते साल से कम है। पिछले साल इस तारीख तक 2.96 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी। इस तरह पिछले साल की तुलना में बुवाई 26 प्रतिशत कम चल रही है।

अभी तक पूर्वी और उत्तर पूर्वी राज्यों में ही ज्यादा बुवाई हो पाई है। सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार नगालैंड में 79 हजार हेक्टेयर, असम में 48 हजार हेक्टेयर, पश्चिम बंगाल में 32 हजार हेक्टेयर, उत्तराखंड में 18 हजार हेक्टेयर, जम्मू-कश्मीर में 16 हजार हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 15 हजार हेक्टेयर, त्रिपुरा में 8 हजार हेक्टेयर और छत्तीसगढ़ तथा हरियाणा में एक-एक हजार हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है।

धान के साथ दालों की बुवाई भी पिछले साल से थोड़ी पीछे चल रही है। बीते वर्ष 2 जून तक 91 हजार हेक्टेयर में किसानों ने दालों की बुवाई की थी। इस साल अभी तक 87 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई है। अभी तक कर्नाटक में सबसे ज्यादा 63 हजार हेक्टेयर में दालों की बुवाई हो सकी है। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 14 हजार हेक्टेयर, उत्तराखंड में 6 हजार हेक्टेयर, त्रिपुरा में दो हजार हेक्टेयर और असम में भी 2 हजार हेक्टेयर है।

मोटे अनाजः किसानों ने इनकी बुवाई पिछले साल से ज्यादा की है। बीते वर्ष के 1.30 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस वर्ष 2 जून तक 1.54 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई की गई है। इसमें सबसे आगे जम्मू-कश्मीर है जहां अब तक 75 हजार हेक्टेयर में इनकी बुवाई हुई है। उसके बाद उत्तर प्रदेश में 53000 हेक्टेयर, कर्नाटक में 23000 हेक्टेयर, हरियाणा में 3000 हेक्टेयर और पंजाब में 1000 हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई हुई है। 

तिलहनः तिलहन की बुवाई भी पिछले साल से थोड़ी पिछड़ी हुई है। पिछले साल के 56000 हेक्टेयर की तुलना में अब तक 53000 हेक्टेयर में इनकी बुवाई हुई है। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 26000 हेक्टेयर, नगालैंड में 19000, उत्तर प्रदेश में 4000 और उत्तराखंड में 3000 हेक्टेयर में तिलहनों की बुवाई हुई है।

गन्नाः गन्ने की रोपाई पिछले साल से कुछ ज्यादा है। अभी तक 46.98 लाख हेक्टेयर में गन्ना लगाया गया है। पिछले साल यह आंकड़ा 46.67 लाख हेक्टेयर था। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 21.37 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 10.38 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 4.20 लाख हेक्टेयर, बिहार में 2.16 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 1.92 लाख हेक्टेयर, तमिलनाडु में 1.59 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर, उत्तराखंड में 90000, हरियाणा में 80000, पंजाब में 79000, आंध्र प्रदेश में 37000, छत्तीसगढ़ में 31000, तेलंगाना में 23000, असम में 21000, उड़ीसा में 20000 और पश्चिम बंगाल में 15000 हेक्टेयर में गन्ना लगाया गया है।

जूट और मेस्ताः पिछले साल के 6.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष अभी तक 5.68 लाख हेक्टेयर में जूट और मेस्ता लगाया गया है। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 4.28 लाख हेक्टेयर, बिहार में 68000 हेक्टेयर, असम में 59000, मेघालय में 7000 और नगालैंड में 3000 हेक्टेयर में जूट लगाया गया है।

कपासः कपास का एकरेज पिछले साल से करीब 30% ज्यादा है। बीते वर्ष 2 जून तक 10.78 लाख हेक्टेयर में कपास लगाई गई थी। इस साल यह आंकड़ा 13.43 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। हरियाणा में सबसे अधिक छह लाख हेक्टेयर, राजस्थान में पांच लाख हेक्टेयर, पंजाब में 1.70 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 50000 हेक्टेयर और तमिलनाडु में 6000 हेक्टेयर में किसानों ने कपास लगाया है।

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