भारतीय अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून में 7.8% की रफ्तार से सबसे तेजी से दौड़ी, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5% रही

कृषि और वित्तीय क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के कारण चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी रही है। पिछली चार तिमाहियों में यह दर सबसे ज्यादा है लेकिन वित्त वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही के मुकाबले कम है। अप्रैल-जून 2022 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 13.1 फीसदी रही थी। इस तिमाही में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली रही है। इस दौरान अमेरिका, चीन, जापान जैसे देश भारत से पीछे रहे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून में 7.8% की रफ्तार से सबसे तेजी से दौड़ी, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5% रही

कृषि और वित्तीय क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के कारण चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी रही है। पिछली चार तिमाहियों में यह दर सबसे ज्यादा है लेकिन वित्त वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही के मुकाबले कम है। अप्रैल-जून 2022 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 13.1 फीसदी रही थी। इस तिमाही में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली रही है। इस दौरान अमेरिका, चीन, जापान जैसे देश भारत से पीछे रहे हैं।  

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से गुरुवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रही है जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 2.4 फीसदी रही थी। हालांकि, जनवरी-मार्च 2023 के मुकाबले यह वृद्धि दर कम है क्योंकि तब कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर में 5.5 फीसदी की तेजी देखी गई थी। आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा क्योंकि चीन ने अप्रैल-जून 2023 में 6.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.1 फीसदी और अक्टूबर-दिसंबर में 4.5 फीसदी रही थी।

एनएसओ ने अपने बयान में कहा है कि वास्तविक जीडीपी या स्थिर (2011-12) कीमतों पर 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी 40.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2022-23 की पहली तिमाही में यह 37.44 लाख करोड़ रुपये थी, जो 7.8 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है। जबकि 2023-24 की पहली तिमाही में मौजूदा कीमतों पर व्यवहारिक जीडीपी 70.67 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 65.42 लाख करोड़ रुपये था। यह 8 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। 2022-23 की पहली तिमाही में यह 27.7 फीसदी थी।

इस बीच, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता का कोई कारण नहीं है क्योंकि सरकार और आरबीआई पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए उपाय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनाजों का नया स्टॉक आने और सरकार के कदमों से खाद्य महंगाई कम होने की संभावना है। अगस्त में कम बारिश के असर पर नजर रखनी होगी।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, 'खनन और उत्खनन' क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 5.8 फीसदी पर पहुंच गई जो एक साल पहले की समान तिमाही में 9.5 फीसदी थी। इसी तरह, बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं' की वृद्धि दर 14.9 फीसदी से गिरकर 2.9 फीसदी और 'निर्माण' क्षेत्र की 16 फीसदी मुकाबले 7.9 फीसदी रह गई।

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