कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को जीएसटी कटौती का बूस्टर; ट्रैक्टर, सिंचाई उपकरण और इनपुट्स पर टैक्स घटाया

जीएसटी काउंसिल की बैठक में नई दरों को मंजूरी देते हुए ट्रैक्टर और उसके कंपोनेंट, उर्वरकों का कच्चा माल, बायोपेस्टीसाइड्स, सोलर पंप, स्प्रिंकलर इरिगेशन, विभिन्न कृषि उपकरण, स्टोरेज, डेयरी उत्पाद, प्रोसेस्ड सब्जियां और समुद्री उत्पादों से लेकर शहद और तेंदू पत्ता सहित वनोपजों पर जीएसटी दरों में बड़ी कटौती की गई है।

कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को जीएसटी कटौती का बूस्टर; ट्रैक्टर, सिंचाई उपकरण और इनपुट्स पर टैक्स घटाया

सरकार ने कृषि और सहयोगी क्षेत्र के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती कर किसानों को बड़ी राहत दी है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में नई दरों को दी गई मंजूरी के तहत ट्रैक्टर और उसके कंपोनेंट, उर्वरकों का कच्चा माल, बायो पेस्टीसाइड्स, माइक्रो न्यूट्रिएंट, सोलर पंप, स्प्रिंकलर इरीगेशन, तमाम कृषि उपकरण, स्टोरेज, डेयरी उत्पाद, प्रोसेस्ड सब्जियां और समुद्री उत्पादों से लेकर शहद और तेंदू पत्ता समेत वनोपजों पर जीएसटी दरों में बड़ी कटौती की गई है। इसके चलते कृषि उपकरणों, उनके कंपोनेंट, फसल इनपुट्स और ढांचागत सुविधाओं के लिए जरूरी उत्पादों के दाम कम होने का फायदा किसानों को मिलेगा। इससे जहां किसानों के लिए इनपुट लागत कम होगी, वहीं कृषि उत्पादों के सस्ते होने से उनकी मांग में इजाफा होगा। इसका लाभ किसानों, सहकारी क्षेत्र और कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मिलेगा। जीएसटी की नई दरें और प्रावधान 22 सितंबर, 2025 से लागू होंगे।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जीएसटी में हुए बदलावों से जहां घरेलू उत्पाद आयातित उत्पादों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे, वहीं कृषि क्षेत्र के लिए यह एक बूस्टर साबित होगा।

कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के तहत 1800 सीसी से कम के ट्रैक्टरों पर जीएसटी दर को घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। इसके चलते ट्रैक्टरों की कीमतों में कमी आएगी। इसका सबसे अधिक फायदा लघु और सीमांत किसानों को होगा, जिन्हें छोटे ट्रैक्टरों की आवश्यकता होती है। देश में करीब 86 फीसदी किसान लघु और सीमांत श्रेणी में आते हैं। मंत्रालय का मानना है कि जिस दर से कृषि में श्रमिकों की लागत बढ़ रही है, उसे देखते हुए ट्रैक्टरों की कीमत घटने से मशीनीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

इसी के साथ ट्रैक्टरों के कंपोनेंट जैसे टायर, ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप और अन्य पार्ट्स पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है। वहीं स्प्रिंकलर और ड्रिप इरीगेशन, फसल कटाई मशीनरी (हार्वेस्टिंग मशीनरी) व ट्रैक्टर पार्ट्स पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। इन कदमों से जहां सिंचाई के लिए कम पानी खपत वाली विधियों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं ट्रैक्टर पर किसानों का खर्च भी घटेगा। सोलर पावर की मशीनरी पर जीएसटी की दर को भी 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है, जिससे सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई को बढ़ावा मिलेगा।

उर्वरक उद्योग सरकार से मांग कर रहा था कि उसके इनपुट पर जीएसटी की दर को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया जाए, ताकि उर्वरक पर लगने वाले जीएसटी और इनपुट पर लगने वाले जीएसटी में समानता आ सके। नये प्रावधानों के तहत उर्वरकों के इनपुट अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है। इससे उद्योग को इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में राहत मिलेगी।

नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए बायो पेस्टीसाइड्स और कई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स पर जीएसटी दर 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है। इससे ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और सरकार द्वारा चलाए जा रहे नेचुरल फार्मिंग मिशन को बढ़ावा मिलेगा। फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 के सीरियल 1(जी) शेड्यूल 1 पार्ट ए के तहत आने वाले माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पर भी जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है।

फ्रूट, वेजिटेबल और फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के लिए जीएसटी की दरों को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया गया है। इसके चलते इन उत्पादों में वैल्यू एडिशन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इससे कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में निवेश बढ़ेगा और जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों का नुकसान कम होगा। वहीं कृषि उत्पादों के निर्यात में भी वृद्धि होगी।

डेयरी क्षेत्र की लंबे समय से मांग थी कि दूध से बने उत्पादों पर जीएसटी में कमी लाई जाए। नये प्रावधानों के तहत पनीर और दूध पर जीएसटी समाप्त कर दिया गया है, जबकि बटर और घी पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। डेयरी प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के मकसद से स्टील और एल्युमीनियम की मिल्क केन पर भी जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है।

अक्वाकल्चर सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए तैयार और प्रिज़र्व्ड फिश पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहन देने के लिए शहद पर भी जीएसटी की दर घटाई गई है। साथ ही तेंदू पत्ता पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है। इसका फायदा ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों को मिलेगा।

ट्रांसपोर्टेशन को सस्ता करने के लिए कमर्शियल वाहनों पर भी जीएसटी दरों में कमी की गई है। इससे कृषि उत्पादों के परिवहन की लागत में कमी आएगी। 

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