भारत का कृषि निर्यात 6.47 फीसदी बढ़ा, चावल निर्यात एक लाख करोड़ के पार पहुंचा
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अंतर्गत आने वाली प्रमुख वस्तुओं का निर्यात वर्ष 2024-25 में 11 फीसदी बढ़कर 27.90 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का निर्यात 6.47 फीसदी बढ़कर 51.91 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह वृद्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस अवधि में देश का कुल वस्तु निर्यात लगभग पिछले वर्ष के स्तर पर ही रहा और इसमें मात्र 0.1 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी दर्ज हुई है। कृषि निर्यात में वृद्धि हुई है, लेकिन यह अब भी वर्ष 2022-23 के 53.1 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर से कम है। वर्ष 2023-24 में कृषि निर्यात 48.8 अरब डॉलर रहा था।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत से बासमती और गैर-बासमती चावल का कुल निर्यात बढ़कर 12.5 अरब डॉलर — यानी एक लाख करोड़ रुपये — से अधिक हो गया है। बासमती चावल का निर्यात लगभग 2 फीसदी बढ़कर 5.9 अरब डॉलर (करीब 50 हजार करोड़ रुपये) रहा, जबकि गैर-बासमती चावल का निर्यात 43 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 6.5 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया। चावल देश का सर्वाधिक निर्यात होने वाला कृषि उत्पाद है, जिसकी कुल कृषि निर्यात में लगभग 24 फीसदी हिस्सेदारी है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अंतर्गत आने वाली प्रमुख वस्तुओं का निर्यात वर्ष 2024-25 में 11 फीसदी बढ़कर 27.90 अरब डॉलर तक पहुंच गया। एपीडा के चेयरमैन अभिषेक देव ने रूरल वॉयस को बताया कि ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात में 35 फीसदी और डेयरी उत्पादों के निर्यात में 54 फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2030 तक कृषि निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए प्रयास जारी हैं।
मरीन उत्पादों का निर्यात 0.52 फीसदी की मामूली वृद्धि के साथ 7.4 अरब डॉलर रहा है। मसालों का निर्यात 4.84 फीसदी बढ़कर 4.45 अरब डॉलर हो गया। बफेलो मीट के निर्यात में 8.57 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और यह 4 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया। प्रोसेस्ड फूड का निर्यात लगभग 2 फीसदी बढ़कर 1.68 अरब डॉलर रहा है।
तंबाकू निर्यात में 40 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई और इसका निर्यात 1.47 अरब डॉलर रहा। ऑयल मील के निर्यात में 21 फीसदी की गिरावट आई है और यह घटकर 1.32 अरब डॉलर रह गया है। ताजे फलों का निर्यात लगभग 2 फीसदी बढ़कर 1.17 अरब डॉलर हो गया, जबकि प्रोसेस्ड फ्रूट्स व जूस का निर्यात करीब 6 फीसदी बढ़कर 1 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
भारत से चाय और कॉफी का निर्यात भी बढ़ा है। कॉफी निर्यात 40 फीसदी की वृद्धि के साथ 1.8 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया, जबकि चाय निर्यात 12 फीसदी बढ़कर 92 करोड़ डॉलर हो गया। विश्व स्तर पर काफी उत्पादन में गिरावट का फायदा भारत को मिला है।
कृषि आयात भी बढ़ा
कृषि निर्यात के साथ देश का कृषि आयात भी बढ़ा है। वर्ष 2024-25 में कृषि निर्यात 17.2 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 38.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। पिछले एक दशक में कृषि निर्यात और आयात के बीच अंतर घटकर आधा रह गया है।
गेहूं और चीनी पर प्रतिबंधों का असर
कई कृषि वस्तुओं पर लगी निर्यात पाबंदियों का असर भी पड़ा है। घरेलू बाजार में कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है, जिसके चलते वर्ष 2024-25 में गेहूं निर्यात 96 फीसदी घटकर केवल 20 लाख डॉलर रह गया, जबकि 2021-22 में यह 2.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
इसी तरह, चीनी निर्यात वर्ष 2024-25 में इसका निर्यात 23.5 फीसदी घटकर 2.1 अरब डॉलर रह गया, जबकि वर्ष 2022-23 में यह 5.8 अरब डॉलर था। घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 2023 में कई कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे। चीनी, प्याज और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगी रोक बाद में हाट दी थी।
कॉटन एक्सपोर्ट को बड़ा झटका
देश में कपास उत्पादन में गिरावट के कारण कॉटन एक्सपोर्ट को बड़ा झटका लगा है। भारत का कॉटन निर्यात 27 फीसदी घटकर करीब 80 करोड़ डॉलर रह गया है, जबकि 2011-12 में यह 4.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। वर्तमान में भारत को कपास आयात करना पड़ रहा है।
अमेरिका, यूएई को सर्वाधिक कृषि निर्यात
भारत से जिन देशों को सर्वाधिक कृषि निर्यात हुआ है, उनमें अमेरिका शीर्ष पर है। वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 5.8 अरब डॉलर का कृषि निर्यात किया गया। इसके बाद यूएई को 3.4 अरब डॉलर, चीन को 3.2 अरब डॉलर, बांग्लादेश को 2.4 अरब डॉलर और सऊदी अरब को 2.3 अरब डॉलर का कृषि निर्यात हुआ। वियतनाम, इराक, मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान और नीदरलैंड भी भारत के कृषि निर्यात के प्रमुख गंतव्यों में शामिल हैं।