स्मार्ट, प्राकृतिक और संरक्षित खेती रहे पूसा कृषि मेले के मुख्य आकर्षण, 36 इनोवेटिव किसान सम्मानित भी किए गए

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने दो एकड़ क्षेत्र में विकसित 'पूसा कृषि हाट परिसर' राष्ट्र को समर्पित किया। पूसा कृषि हाट परिसर में किसान किऔर कृषक उत्पादक संगठन अपने उत्पादों की मार्केटिंग कर पाएंगे। उपभोक्ता सीधे किसानों के उत्पाद खरीद सकेंगे जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों को फायदा होगा क्योंकि इसमें कोई बिचौलिया नहीं होगा

स्मार्ट, प्राकृतिक और संरक्षित खेती रहे पूसा कृषि मेले के मुख्य आकर्षण, 36 इनोवेटिव किसान सम्मानित भी किए गए

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) पूसा ने 9 मार्च से 11 मार्च तक कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया। इस मेले की थीम थी- तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान। इस मौके पर देश भर के 36 किसानों को इनोवेटिव किसान 2022 पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

मेले में लगभग 40 हजार किसानों ने भाग लिया। उन्हें आईएआरआई एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 100 से अधिक संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों की उन्नत किस्मों और इनोवेटिव तकनीक की जानकारी दी गई। इस मेले में आईएआरआई ने ड्रोन तकनीक, गेहूं, फल, सब्जी, फूल, विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकी के मॉडल एवं कृषि परामर्श सेवाओं का प्रदर्शन लगाया था। पूसा संस्थान ने अपने स्टाल से 1,500 क्विंटल से अधिक बीज की बिक्री भी की। मेले में पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 और पूसा बासमती 1886 के बीज भी किसानों को वितरित किए गए।

तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेला का उद्घाटन केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किया और इसकी अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ.  त्रिलोचन महापात्र ने की। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने दो एकड़ क्षेत्र में विकसित 'पूसा  कृषि हाट परिसर' राष्ट्र को समर्पित किया। पूसा कृषि हाट परिसर में किसान तथा किसान उत्पादक संगठन अपने उत्पादों की मार्केटिंग कर पाएंगे। उपभोक्ता सीधे किसानों के उत्पाद खरीद सकेंगे जिससे उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिल सकेगी। कृषक उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए इस विशाल परिसर में 60 स्टाल, हाट, एवं दुकानों का प्रावधान है।

आईएआरआई के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि इस मेले की मुख्य थीम 'तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान' थी। मेले के प्रमुख आकर्षण थे स्मार्ट/डिजिटल कृषि, कृषि स्टार्टअप और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), जैविक और प्राकृतिक खेती, संरक्षित खेती/ हाइड्रोपोनिक/ एरोपोनिक/  वर्टिकल फार्मिग और कृषि उत्पादों का निर्यात। मेले में संस्थान द्वारा विकसित नई किस्में भी पेश की गईं। निजी कंपनियों के कृषि उपकरणों की भी प्रदर्शनी लगाई गई।

मेले के दूसरे दिन चार तकनीकी सत्र हुए। इसमें पहले सत्र का विषय  डिजिटल स्मार्ट फार्मिग था जिसकी अध्यक्षता प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन  उप महानिदेशक डॉ. एस के चौधरी ने की। दूसरा सत्र अधिक आय के लिए वर्टिकल फार्मिंग, हाइड्रोपोनिक और एरोपोनिक फार्मिंग, हाई प्रोडक्टिविटी और संरक्षित खेती था, जिसकी अध्यक्षता बागवानी विभाग  के उप महानिदेशक ए.के. सिंह ने  की। तीसरा सत्र में चर्चा का विषय कृषि निर्यात और डेयरी निर्यात था, जिसकी अध्यक्षता ईपीआईडीए के निदेशक डॉ. तरुण बजाज ने की। अल्फा मिल्क फूड्स करनाल के अध्यक्ष विपिन गुप्ता ने डेयरी निर्यात की क्षमता के दोहन के विषय पर विस्तृत चर्चा की। चौथा सत्र जैविक और प्राकृतिक खेती पर था। इस सत्र में बुलंदशहर के प्रगतिशील किसान पद्मश्री भारत भूषण त्यागी और झांसी के श्यामबिहारी गुप्ता ने दूसरे किसानों और वैज्ञानिकों के साथ अपने अनुभव साझा किए।

शुक्रवार को आयोजित नवोन्मेषी किसान सत्र में किसान अधिकार एवं पौधा किस्म संरक्षण प्राधिकरण के चेयरपर्सन डॉ के.वी. प्रभु ने किसानों एवं वैज्ञानिकों के बीच सामंजस्य को महत्व दिया। उन्होंने उन्हें कृषि में नवाचार को सराहा एवं नवोन्मेषी किसानों का उत्साहवर्धन किया। एग्री स्टार्टअप एवं किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) पर आयोजित सत्र में आईसीएआर के उपमहानिदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने किसान उत्पादक संगठनों के गठन पर जोर दिया। यह उन छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है जो अपने उत्पाद खुले बाजारों में नहीं ले जा सकते हैं। उन्होंने किसानों के लिए क्लस्टर आधारित सुविधा केंद्रों के निर्माण की आवश्कता बताई, ताकि मूल्य संवर्धन एवं प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा सके।

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