मछली पालन और जलीय कृषि को जलवायु संकट से बचाने को एक दूसरे का सहयोग करें दुनिया के देशः रुपाला

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपाला ने मछली पालन व जलीय कृषि क्षेत्र को जलवायु संकट से बचाने के लिए सहयोगात्मक वैश्विक कार्रवाई पर जोर देने का आह्वान किया है। चेन्नई के महाबलीपुरम में “जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय मत्स्य पालन प्रशासन में मुख्यधारा में लाने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में मत्स्य पालन प्रबंधन उपायों को मजबूत करने” संबंधी विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कही।

मछली पालन और जलीय कृषि को जलवायु संकट से बचाने को एक दूसरे का सहयोग करें दुनिया के देशः रुपाला
चेन्नई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपाला।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपाला ने मछली पालन व जलीय कृषि क्षेत्र को जलवायु संकट से बचाने के लिए सहयोगात्मक वैश्विक कार्रवाई पर जोर देने का आह्वान किया है। चेन्नई के महाबलीपुरम में “जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय मत्स्य पालन प्रशासन में मुख्यधारा में लाने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में मत्स्य पालन प्रबंधन उपायों को मजबूत करने” संबंधी विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कही।

17-19 अक्टूबर तक चलने वाले इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग और बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम अंतर-सरकारी संगठन (बीओबीपी-आईजीओ) के सहयोग से किया जा रहा है। यह सम्मेलन जलवायु अनुकूल मत्स्य पालन प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय मत्स्य पालन प्रशासन में जलवायु परिवर्तन के एकीकरण के लिए रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से हो रहा है।

परषोत्तम रुपाला ने कहा कि इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, मत्स्य पालन पर इसके प्रभाव के प्रति सरकारों और क्षेत्रीय मत्स्य निकायों की तैयारियों पर प्रमुख तत्वों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने सामान्य जिम्मेदारियों और समान हितों के आधार पर सभी हितधारकों के समावेश और मत्स्य पालन व जलीय कृषि क्षेत्र में जलवायु संकट को दूर करने के लिए सहयोगात्मक वैश्विक कार्रवाई पर जोर देने का आग्रह किया। उन्होंने हिंद महासागर और प्रशांत महासागर द्वारा साझा किए गए सामान्य अवसरों और आम चुनौतियों के लिए रणनीतिक अंतर्संबंध का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चुनौतियों और खतरों का मिलकर सामना करने और समस्याओं का हल करने की जिम्मेदारी उठानी होगी ताकि इस क्षेत्र को सभी प्राणियों के लिए एक उपयुक्त निवास स्थान बनाया जा सके।

जलवायु परिवर्तन और मत्स्य पालन पर इसके प्रभाव पर केंद्रित इस महत्वपूर्ण कार्यशाला को संयुक्त रूप से आयोजित करने के लिए एफएओ को धन्यवाद देते हुए रुपाला ने कहा कि कार्यशाला के नतीजे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मछुआरे समुदायों को प्रतिकूलताओं से निपटने और संभावित दुष्प्रभावों को कम करने में बड़ी मदद करेंगे। चुनौतियों के बीच इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से की गई पहल का उल्लेख करते हुए रुपाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले नौ वर्षों में मछली उत्पादन और उत्पादकता, प्रौद्योगिकी समावेशन, बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, विकास के क्षेत्रों में आमूल परिवर्तनों और सुधारों तथा उद्यमिता और रोजगार आदि की शुरुआत की है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु में 1.27 अरब रुपये की लागत से एक बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क (एकीकृत एक्वापार्क) स्थापित कर रही है। मछली पालन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में अच्छी हिस्सेदारी रखता है और प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली पालकों को आजीविका प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “पिछले नौ वर्षों में समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना से अधिक हो गया है और 2022-23 में 63,969 करोड़ रुपये (8.09 अरब मेरिकी डॉलर) का रिकॉर्ड निर्यात हुआ है। पिछले नौ वर्षों में झींगा निर्यात भी दोगुना से अधिक हो गया है, जो 2022-23 में 43,135 करोड़ रुपये (5.48 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया है।” उन्होंने कहा, “विभिन्न योजनाओं के तहत पिछले नौ वर्षों में अनुमानित 61.9 लाख रोजगार और आजीविका के अवसर पैदा हुए हैं।” रुपाला ने सभी प्रतिभागियों को विश्व मत्स्य पालन दिवस के अवसर पर 21-22 नवंबर, 2023 के दौरान गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित होने वाले पहले वैश्विक मत्स्य पालन सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

केंद्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा 'समुद्री मत्स्य पालन में जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाने के लिए भारत की तैयारियों पर विचार-मंथन सत्र' पर एक समानांतर कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है। सत्र में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं, जो मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों के संबंध में भारतीय मत्स्यपालन की स्थिति पर चर्चा करेंगे और समुद्री मत्स्य पालन में जलवायु परिवर्तन को अपनाने के लिए भारत की तैयारी का जायजा लेंगे।

भारत में एफएओ के प्रतिनिधि डॉ. ताकायुकी हागिवारा ने इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला की मेजबानी के लिए केंद्रीय मत्स्य पालन विभाग की सराहना की और सदस्य देशों से मत्स्य पालन क्षेत्र में आजीविका, पोषण और कल्याण के लिए काम करते समय सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को ध्यान में रखने का आह्वान किया। उन्होंने पोषण सुरक्षा और नीली क्रांति को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र में लैंगिक समावेश का भी सुझाव दिया।

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