उत्तराखंड आपदा में मौत का आंकड़ा 103 तक पहुंचा, देहरादून में 24 लोगों की जान गई

भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से खेती व बागवानी बर्बाद, पांच हजार से अधिक भवनों को नुकसान

उत्तराखंड आपदा में मौत का आंकड़ा 103 तक पहुंचा, देहरादून में 24 लोगों की जान गई

उत्तराखंड में इस बार की आपदा से मौत का आंकड़ा 103 तक पहुंच गया है। लौटते मानसून के दौरान इसी सप्ताह पहले देहरादून और फिर नंदानगर (चमोली) में आई आपदाओं में ही 26 लोगों की जान गई है, जिनमें से 24 मौतें अकेले देहरादून में हुई हैं। विभिन्न आपदाओं के बाद से अब तक 110 लोग लापता हैं।

इस बार का मानसून सीजन उत्तराखंड पर भारी पड़ा है। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, एक अप्रैल से अब तक राज्य में आपदाओं से कुल 103 लोगों की मृत्यु हुई है, जबकि घायलों की संख्या 131 तक पहुंच गई है। इसी अवधि में 110 लोग लापता हुए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जनपद चमोली के आपदा प्रभावित नंदानगर क्षेत्र का दौरा कर राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया। सीएम धामी का कहना है कि आपदा की इस कठिन घड़ी में राज्य सरकार प्रभावितों के साथ खड़ी है। प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि पीड़ितों को तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाए साथ ही विद्युत एवं पेयजल आपूर्ति को शीघ्र बहाल किया जाए। अधिकारियों को राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। 

अगस्त महीने में ही उत्तराखंड ने धराली (उत्तरकाशी) और थराली (चमोली) जैसी बड़ी आपदाएं देखीं। वहीं सैंज (पौड़ी) और नंदानगर (चमोली) में भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ। नंदानगर में तो 15 दिनों के भीतर दूसरी बार आपदा आई। इस दौरान 6,781 पशुओं की मौत हुई और साढ़े पाँच हजार से अधिक भवनों को क्षति पहुंची। इनमें आवासीय भवन, होटल, होमस्टे और रिजॉर्ट शामिल हैं। इनमें से 5,204 भवन आंशिक रूप से जबकि 284 भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए। निजी संपत्तियों का नुकसान 600 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। दूसरी ओर सरकारी विभागों को कुल 1,618 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसके मुआवज़े के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 5,376 करोड़ रुपये की मांग की है। विदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले चरण में राज्य को आपदा राहत के लिए 12,000 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित कर चुके हैं।

कृषि व उद्यान क्षेत्र को भारी क्षति

इस बार की आपदा में राज्य के किसानों और बागवानों को लगभग 80 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। विभागीय सचिव एस.एन. पांडेय के अनुसार, केवल उद्यान क्षेत्र को ही करीब 61 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। सबसे अधिक नुकसान उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में हुआ, जहां किसानों के बगीचे मलबे में बह गए। आपदा मानकों के अनुसार किसानों को मुआवज़ा वितरित किया जा रहा है और अन्य तरीकों से भी उनकी मदद की जा रही है।

देहरादून में एक ही दिन में सबसे अधिक मौतें

लौटता मानसून देहरादून को गहरे घाव दे गया है। सोमवार-मंगलवार की मध्यरात्रि हुई भीषण बारिश और बादल फटने से देहरादून में 24 लोगों की मौत हो गई, जबकि 14 लोग अब भी लापता हैं। सहस्त्रधारा पिकनिक स्थल के पास 25 से अधिक घर, रिजॉर्ट और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गए। आपदा के तीसरे दिन तक दून-पांवटा हाईवे और मसूरी मार्ग पूरी तरह नहीं खुल पाए थे। 

सहस्त्रधारा में आई बाढ़ से दर्जनों होटल और दुकानों को क्षति पहुंची है। इससे कारोबारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है जबकि कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। कई लोगों ने लीज पर लेकर या प्रॉपर्टी खरीदकर होटल चलाना शुरू किया था। जबकि कई लोगों ने होटल बनाकर किराए पर दे रखा था। आपदा में स्वरोजगार से जुड़े लोगों को बड़ा नुकसान पहुंचा है। बाढ़ और भूस्खलन में मकान व दुकानें बर्बाद हो गईं। अब जीवन दोबारा पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। 

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