17 साल के छात्र ने रामफल के पत्तों से बनाया बायो-कीटनाशक, अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता

हैदराबाद के 17 वर्षीय छात्र सर्वेश प्रभु ने एक सस्ता बायो-इन्सेक्टिसाइड अर्थात कीटनाशक तैयार किया है। उसके इस कीटनाशक को भारत में तो मान्यता मिली ही है, उसने अमेरिका में एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता है। सर्वेश हैदराबाद स्थित फिट्जी जूनियर कॉलेज का छात्र है

17 साल के छात्र ने रामफल के पत्तों से बनाया बायो-कीटनाशक, अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता

हैदराबाद के 17 वर्षीय छात्र सर्वेश प्रभु ने एक सस्ता बायो-इन्सेक्टिसाइड अर्थात कीटनाशक तैयार किया है। उसके इस कीटनाशक को भारत में तो मान्यता मिली ही है, उसने अमेरिका में एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता है। सर्वेश हैदराबाद स्थित फिट्जी जूनियर कॉलेज का छात्र है। उसने रामफल (Anona reticulata) के पत्तों से यह कीटनाशक तैयार किया है। यह तीन कीटों पॉड बोरर, फॉल आर्मीवर्म और ग्रीन पीच एफिड पर प्रभावी है।

पिछले दिनों अमेरिका के अटलांटा में इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में इस आविष्कार के लिए उसे बायोकेमेस्ट्री सेक्शन में 1000 डॉलर का तीसरा पुरस्कार मिला। यह 12वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय इवेंट है। हर साल भारत के अनेक स्कूल-कॉलेजों से छात्र इसमें हिस्सा लेने के लिए जाते हैं।

इस बीच, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भी सर्वेश को इस खोज के लिए एक लाख रुपये का पहला पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। यह स्कूली बच्चों के लिए विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के इनोवेशन अवार्ड के तहत दिया जाएगा।

सर्वेश ने क्या किया

सर्वेश प्रभु ने हैदराबाद स्थित एक इक्रीसैट में इंटर्न के तौर पर इसी साल की शुरुआत में इस प्रोजेक्ट में काम करना शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का नाम था ‘रामफल के कीटनाशक गुणों का नया अध्ययन।’ इसके तहत रामफल के पत्तों को कीटनाशक के तौर पर प्रयोग किया गया।

स्टडी में पता चला कि रामफल के पत्तों का सत्व तीन कीटों पर काफी प्रभावी है। इसके प्रयोग से 78 से 88 फ़ीसदी कीट नष्ट हो जाते हैं। पारंपरिक रूप से रामफल के पौधे के अलग-अलग हिस्से का इस्तेमाल दस्त जैसी बीमारी और जूं खत्म करने के लिए किया जाता है।

इक्रीसैट के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (रिसर्च) डॉ. अरविंद कुमार ने बताया, “यह संस्थान कृषि अनुसंधान में युवाओं के भाग लेने को बढ़ावा देता है। स्थापना से अब तक इसने  7000 इंटर्न और रिसर्च स्कॉलर तैयार किए हैं। यहां उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ-साथ अनेक क्षेत्रों में मेंटरिंग भी मिलती है।”

कीटनाशकों से नुकसान

पॉड बोरर अकेले हर साल खेती को 30 करोड़  डॉलर से अधिक का नुकसान पहुंचा सकता है। ग्रीन पीच एफिड विभिन्न फसलों का उत्पादन 38 से 42 फ़ीसदी कम कर सकता है। कोई कीटनाशक इस्तेमाल न किया जाए तो फॉल आर्मीवर्म फसलों को 21 से 53 फ़ीसदी का नुकसान पहुंचाता है। इक्रीसैट के अनुसार ये तीनों कीट अक्सर फली वाले पौधों और अनाज की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।

इन कीटों के खिलाफ रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने पर प्रति एकड़ खेती का खर्च 24 से 50 डॉलर बढ़ जाता है। इसके और नुकसान भी हैं। एक तो लाभदायक कीटों को भी यह नष्ट कर देते हैं तथा मिट्टी और उपज को भी जहरीला बनाते हैं। दूसरी तरफ से बायो कीटनाशक का खर्च 9 से 12 डॉलर प्रति एकड़ बैठता है। यह इको फ्रेंडली भी होते हैं।

रामफल के पत्तों से कीटनाशक बनाने का खर्च 0.33 डॉलर प्रति लीटर आता है। यह छोटे किसानों के लिए काफी सस्ता विकल्प है। यह उनके लिए अतिरिक्त आय का साधन भी बन सकता है। इक्रीसैट के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान रामफल की बिक्री करने के साथ-साथ उसके पत्तों  को भी कीटनाशक तैयार  करने के लिए बेच सकते हैं।

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