'डायबिटीज जैसी अनेक गंभीर बीमारियों का जोखिम कम करता है पौध आधारित आहार'

भारत में प्लांट-आधारित खाद्य बाजार लगभग 2000 करोड़ रुपये का है और अगले एक दशक में यह बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है। टाटा और आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों ने डेयरी विकल्प, नगेट्स, पनीर और अन्य उत्पाद जैसे कीमा, बर्गर, पैटी, अंडे के विकल्प और कबाब सहित कई अन्य वैकल्पिक उत्पादों के साथ प्लांट-आधारित फूड इंडस्ट्री को गति दी है

'डायबिटीज जैसी अनेक गंभीर बीमारियों का जोखिम कम करता है पौध आधारित आहार'

पूरी दुनिया में पशुपालन में अपनाई जा रही अनैतिक गतिविधियों से मानव शरीर को नुकसान हो रहा है। इसके विपरीत पौध-आधारित आहार शरीर को शुद्ध करता है। ये बातें द लैंड ऑफ अहिंसा नामक डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बताई गई हैं। इस फिल्म की स्क्रीनिंग आईआईटी दिल्ली में क्लाइमेट हीलर्स, फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (फियापो), एनएसएस और परीन प्लांट बेस्ड लिविंग ने मिलकर की। इस मौके पर प्लांट बेस्ड फूड्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (पीबीएफआईए) ने एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया।    

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि शाकाहारी भोजन से डायबिटीज और आंत्र सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम कम रहता है। इसके अलावा, लोगों को खिलाने के लिए पशुपालन में अधिक संसाधनों का इस्तेमाल करना प्रभावी तरीका नहीं है।  

इस विषय पर अपने विचार साझा करते हुए पीबीएफआईए के कार्यकारी निदेशक, संजय सेठी ने कहा कि वैकल्पिक प्रोटीन एक वास्तविकता बन रहा है क्योंकि युवा उद्यमी टेम्पेह, हेंप-प्रोटीन, जई-आधारित उत्पादों के अवसर से लाभ उठाना चाहते हैं। भारतीय किसानों के पास प्लांट प्रोटीन आइसोलेट्स और कॉन्संट्रेट का निर्यात करके अपनी आय बढ़ाने का मौका है। हमारे हेल्थ सेक्टर के प्रोफेशनल लोगों और पोषण विशेषज्ञों ने अब एक दवा के रूप में भोजन को पहचानना शुरू कर दिया है। 

भारत में प्लांट-आधारित खाद्य बाजार लगभग 2000 करोड़ रुपये का है और अगले एक दशक में यह बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है। टाटा और आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों ने डेयरी विकल्प, नगेट्स, पनीर और अन्य उत्पाद जैसे कीमा, बर्गर, पैटी, अंडे के विकल्प और कबाब सहित कई अन्य वैकल्पिक उत्पादों के साथ प्लांट-आधारित फूड इंडस्ट्री को गति दी है। पीबीएफआईए के भारत में पहले प्लांट प्रोटीन क्लस्टर जैसी अधिक से अधिक परियोजनाओं के जरिए देश दलहनी फसलों, बाजरा और अनाज की अपनी मूल फसलों की खेती  से लाभ उठा सकता है।

इसका उद्देश्य पीबीएफआईए के माध्यम से यह निर्धारित करना होगा कि प्लांट-आधारित खाद्य उद्योग के लिए क्या किया जाना चाहिए। इसके लिए नीतिगत समर्थन, इनोवेशन, निवेश और सप्लाई चेन के कार्यक्षेत्र में सहायता प्रदान करने की जरूरत है। 

पैनल चर्चा में लोकसभा सदस्य और पूर्व मंत्री मेनका गांधी, पीबीएफआईए कार्यकारी निदेशक  संजय सेठी, एपीडा महाप्रबंधक वीके विद्यार्थी, क्लाइमेट हीलर ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक डॉ शैलेश राव, फिल्म निर्देशक डॉली व्यास ने भी अपने विचार साझा किए।

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