उरुग्वे से मिल्क पाउडर का ड्यूटी फ्री आयात करने पर बात कर रहा है चीन, क्या भारत के लिए भी है अवसर?

चीन उरुग्वे से ड्यूटी-फ्री दूध पाउडर आयात पर बातचीत कर रहा है। यह कदम बीजिंग की बढ़ती डेयरी मांग को दर्शाता है, लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक भारत अपने घरेलू उत्पादन बल को वैश्विक निर्यात अवसर में बदल पाएगा?

उरुग्वे से मिल्क पाउडर का ड्यूटी फ्री आयात करने पर बात कर रहा है चीन, क्या भारत के लिए भी है अवसर?

चीन उरुग्वे से होल मिल्क पाउडर (Whole Milk Powder-WMP) आयात करने की संभावनाएं तलाश रहा है और इसके लिए शून्य-शुल्क (Zero-Tariff) समझौते पर बातचीत जारी है। दरअसल, चीन अपने यहां विश्वसनीय डेयरी आपूर्ति को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल दुग्ध उत्पादों के ग्लोबल कारोबार में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। सवाल है कि चीन की यह जरूरत क्या भारत के लिए अवसर बन सकती है।

उरुग्वे की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था कोनाप्रोल (Conaprole) के प्रमुख ने चीन से चल रही बातचीत की पुष्टि करते हुए मीडिया से कहा कि दोनों सरकारों के बीच शून्य-शुल्क व्यवस्था इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए अहम होगी। उरुग्वे इस संभावित समझौते को वैश्विक डेयरी व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रहा है। उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पाद और एक भरोसेमंद निर्यातक की छवि इस दक्षिण अमेरिकी देश की प्रमुख ताकत हैं। हालांकि, चीन से इसकी भौगोलिक दूरी एक बड़ी चुनौती भी मानी जा रही है।

भारत का डेयरी निर्यात विरोधाभास
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 25% है। पिछले दशक में भारत का दूध उत्पादन 63% से अधिक बढ़कर 2023-24 में 239.2 मिलियन टन तक पहुंच गया है। प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी 471 ग्राम प्रतिदिन तक पहुंच गई है, जो वैश्विक औसत 322 ग्राम से काफी अधिक है।

इसके बावजूद भारत वैश्विक डेयरी व्यापार में एक मामूली खिलाड़ी है। 2023-24 में भारत ने केवल 27.26 करोड़ डॉलर के डेयरी उत्पादों का निर्यात किया, जो 101 अरब डॉलर के वैश्विक डेयरी व्यापार का सिर्फ 0.25% है। भारतीय निर्यात में घी और मक्खन की हिस्सेदारी सबसे अधिक (लगभग 60%) है, इसके बाद दूध पाउडर (27%) और पनीर (11%) आते हैं। भारत के प्रमुख निर्यात बाजारों में यूएई, बांग्लादेश, अमेरिका, सऊदी अरब और भूटान शामिल हैं।

चीन की मांग भारत के लिए अवसर
भारत के लिए चीन की बढ़ती डेयरी मांग एक रणनीतिक अवसर हो सकती है। यदि भारत चीन जैसे बड़े उपभोक्ता देश से डेयरी व्यापार जोड़ता है, तो न केवल उसके निर्यात बास्केट में विविधता आएगी बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की दिशा में भी सकारात्मक कदम हो सकता है।

हालांकि, भारत को प्रतिस्पर्धी बनने से पहले कई ढांचागत चुनौतियों का सामना करना होगा। इनमें गुणवत्ता मानकों में सुधार, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं, सीमित कोल्ड स्टोरेज क्षमता आदि शामिल हैं। इसके अलावा, न्यूज़ीलैंड, यूरोपीय संघ और दक्षिण अमेरिकी देशों जैसे उरुग्वे और अर्जेंटीना से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी सामने है।

भारत सरकार प्रजनन कार्यक्रमों और पशुधन विस्तार के जरिए दूध उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन निर्यात के लिए जरूरी है कि नीतियां अतिरिक्त उत्पादन, प्रसंस्करण सुविधाओं के उन्नयन, और प्रमुख आयातक देशों के साथ अनुकूल व्यापार समझौते की दिशा में केंद्रित हों।

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