नीति आयोग की अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने की सिफारिशों पर किसान संगठनों ने जताया ऐतराज
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि यदि नीति आयोग को देश के सामर्थ्य पर भरोसा नहीं है तो सरकार को नीति आयोग की कार्य प्रणाली पर गंभीर चिंतन मनन करना चाहिए।

हाल में नीति आयोग ने भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार बढ़ाने के विषय में एक वर्किंग पेपर जारी कर जीएम सोयाबीन और मक्का समेत कई अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। नीति आयोग के इन सुझावों पर किसान संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
नीति आयोग ने प्रस्तावित भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत चावल, काली मिर्च, सोयाबीन तेल, सेब, बादाम, पिस्ता और जीएम सोया-मक्का जैसे उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने की सिफारिश की है। भारतीय किसान संघ ने कहा है कि ऐसा करना कृषि पर निर्भर 70 करोड़ भारतीयों के लिए जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने सवाल उठाया कि अमेरिका के साथ टैरिफ लड़ाई में नीति आयोग क्यों घुटने टेक रहा है? जीएम (सोया व मक्का) के आयात के पक्ष में सुझाव देने का तर्क समझ से परे है। देश में जब खाद्य संबंधी आयातित सामग्री के साथ नॉन जी.एम. सोर्स एवं नॉन जी.एम. सर्टिफिकेट जरूरी है, तब नीति आयोग के ये सुझाव कई गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं।
मिश्र ने देश व किसान हित की नीति के खिलाफ नीति आयोग के सुझावों पर ऐतराज जताते हुए कहा कि नीति आयोग के सलाहकार अपनी सिफारिशों पर पुनर्विचार करें। दलहन-तिलहन में सरकार की नीति साथ दें तो भारत को स्वावलंबी बनाने के लिए देश का किसान तैयार है। ऐसी स्थिति में किसी के दबाव में नीति आयोग का झुकना भारत के लिए अच्छा नहीं है। यदि नीति आयोग को देश के सामर्थ्य पर भरोसा नहीं है तो सरकार को नीति आयोग की कार्य प्रणाली पर गंभीर चिंतन मनन करना चाहिए।
भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही ने कहा कि नीति आयोग ने भारत को “विदेशी कृषि उत्पादों का बाजार” बनाने का अनैतिक सुझाव दिया है। नीति आयोग के हालिया वर्किंग पेपर में अमेरिकी जीएम फसलों और कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को धता बताते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था, कृषि, किसानों की आजीविका और जैव विविधता को नष्ट करने वाला, किसान विरोधी नीतियों पर आधारित दस्तावेज है। सिरोही का कहना है कि नीति आयोग की ये अनैतिक सिफारिशें राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी हैं।
भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि अमेरिका में जीएम सोया और मक्का को पशु फीड के रूप में उपयोग किया जाता है और कुछ मात्रा में इससे ईथेनॉल बनाया जाता है। ऐसे में इस उपज को भारत में आयात करने का सुझाव क्यों दिया है? देश के किसानों द्वारा पैदा मक्का व गन्ने को छोड़कर अमेरिकी जीएम मक्का को आयात करने का सुझाव किसान हितों के साथ टकराव दिखाता है। नीति आयोग के ऐसे अनीतिपूर्ण सुझावों में तुरंत सुधार होना चाहिये।