वैश्विक व्यापार में परिवर्तन के बीच अमेरिका कैसे बदल रहा है अपनी कृषि निर्यात रणनीति
चीन से तनाव और भारत से व्यापार वार्ता के बीच अमेरिका अपनी कृषि निर्यात रणनीति को थोक कमोडिटी से हटाकर अधिक मूल्य वाले उपभोक्ता उत्पादों की ओर मोड़ रहा है। उपभोक्ता केंद्रित वस्तुओं का उसे अधिक निर्यात मूल्य मिल रहा है। कुल मूल्य में थोक कमोडिटी की हिस्सेदारी घट रही है।

भारत के साथ जारी व्यापार वार्ता और चीन के साथ ट्रेड वार के बीच अमेरिका अपनी कृषि निर्यात रणनीति को फिर से तैयार कर रहा है। आने वाले समय में वह थोक कमोडिटी की जगह अधिक मूल्य वाले और उपभोक्ता-उन्मुख उत्पादों पर अधिक ध्यान दे सकता है।
एक समय सोयाबीन, मक्का, गेहूं और कपास जैसी बल्क कमोडिटी अमेरिकी कृषि निर्यात का मुख्य आधार थे। लेकिन अब यह परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अब अमेरिकी कृषि निर्यात में प्रोसेस्ड फूड, फल, सब्जियां, मांस और डेयरी उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक भू-राजनीतिक और व्यापार समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।
अमेरिकी कृषि मंत्रालय की विदेश कृषि सेवा (FAS) की रिपोर्ट - "द राइज एंड फॉल ऑफ बल्क कमोडिटीज ऐज अ शेयर ऑफ टोटल यूएस एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट्स"—इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। 2014 से 2020 के बीच, बल्क जिंस कुल कृषि निर्यात का लगभग 31% हिस्सा थीं। यह हिस्सेदारी 2022 में अस्थायी रूप से 38% तक पहुंची, लेकिन हालिया अनुमानों के अनुसार यह घटकर 28.5% रह गई है।
यह उतार-चढ़ाव संरचनात्मक और बाहरी दोनों तरह के दबावों को दर्शाता है। निर्यात की मात्रा अब भी अधिक होने के बावजूद बल्क जिंसों का मूल्य उपभोक्ता-उन्मुख और अधिक मुनाफा देने वाले उत्पादों की तुलना में घट रहा है। भारत जैसे नए व्यापार साझेदारों की तलाश में अमेरिका के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
व्यापारिक तनाव के बीच रणनीतिक विविधता
इन परिवर्तनों की पृष्ठभूमि जटिल है। अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध ने व्यापार प्रवाह को गंभीर रूप से बाधित किया। चीन द्वारा लगाए गए प्रतिशोधी शुल्क के कारण अमेरिकी निर्यात में भारी गिरावट आई। जैसे, चीन को सोयाबीन की बिक्री 2015 के 25 अरब डॉलर से घटकर 2018 में 10 अरब डॉलर से भी नीचे आ गई। हालांकि कुछ हद तक यह गिरावट अब सुधरी है, लेकिन चीन को निर्यात अब भी टैरिफ से पहले के स्तर से नीचे है।
दूसरी ओर भारत संभावित वृद्धि वाला एक नया बाजार बनकर उभरा है। जैसे-जैसे व्यापार वार्ताएं आगे बढ़ रही हैं, अमेरिका अपने कृषि उत्पादों - जैसे डेयरी, पोल्ट्री, फल, मेवे और प्रोसेस्ड फूड - के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच की मांग कर रहा है। यह रणनीति अमेरिका की उच्च-मूल्य वाले उत्पादों का निर्यात बढ़ाने की नीति से मेल खाती है। वह भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग और आधुनिक होते खुदरा क्षेत्र का लाभ उठाना चाहता है।
उपभोक्ता-उन्मुख उत्पाद अमेरिका के कृषि निर्यात मूल्य का 42% हिस्सा हैं, जबकि बल्क जिंसों का हिस्सा 32% रह गया है। इनमें ट्री नट्स, प्रोसेस्ड फूड और ताजा फल-सब्जियां शामिल हैं जो बेहतर मुनाफा, स्थिर मांग और ब्रांडिंग की संभावनाएं प्रदान करते हैं। खास बात यह है कि ये उत्पाद भारत की आयात आवश्यकताओं के अनुरूप हैं, जहां गुणवत्ता वाले मूल्यवर्धित उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है।
प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स और मार्केटिंग में प्रगति ने अमेरिकी कृषि कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाया है। वर्ष 2024 में ही ऐसे उत्पादों से 37 अरब डॉलर का निर्यात हुआ जो कुल कृषि निर्यात मूल्य का 19% था।
ट्रेड डेस्टिनेशन का विविधीकरण
परिवर्तित व्यापार परिस्थितियों के बीच अमेरिका ने चीन से परे अपने निर्यात डेस्टिनेशन का विस्तार किया है। 2024 में बल्क निर्यात की मात्रा मैक्सिको (+29%), कोलंबिया (+20%), जापान (+43%) और दक्षिण कोरिया (+107%) में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। हालांकि अमेरिकी बल्क निर्यात मात्रा में चीन का हिस्सा अब भी 24% है, लेकिन घटती कीमतों के कारण इसका वैल्यू शेयर घट गया है।
नीतिगत संकेत और भविष्य की रणनीति
FAS की रिपोर्ट एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता को उजागर करती है। दशकों तक अमेरिकी कृषि नीति और इन्फ्रास्ट्रक्चर बल्क कमोडिटी पर केंद्रित रही। लेकिन अब सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उपभोक्ता-उन्मुख उत्पादों के लिए मूल्य श्रृंखला - प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड स्टोरेज, बंदरगाह लॉजिस्टिक्स और ब्रांडिंग में कितना निवेश किया जाता है।
अमेरिकी किसानों के सामने मात्रा बनाम मूल्य की चुनौती है। अच्छी फसल के कारण 2024 में बल्क निर्यात मात्रा में 22% की वृद्धि हुई, लेकिन नरम कीमतों के चलते कुल निर्यात मूल्य 191 अरब डॉलर ही रहा, जो 2022 में रिकॉर्ड 213 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। FAS का विश्लेषण स्पष्ट संकेत देता है कि अब बल्क कमोडिटी अमेरिकी कृषि निर्यात की पहचान नहीं रह गई हैं। मात्रा के लिहाज से वे अब भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन भविष्य अधिक मूल्य वाले उपभोक्ता-उन्मुख उत्पादों में है।
चूंकि ट्रंप प्रशासन भारत के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है, ये तथ्य नीतिगत दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। अमेरिकी वार्ताकार भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में मूल्यवर्धित कृषि उत्पादों के लिए अधिक पहुंच की मांग कर सकते हैं, जबकि भारत अपने 70 करोड़ कृषि-निर्भर नागरिकों के हितों की सुरक्षा चाहता है। एक संतुलित और परस्पर लाभकारी व्यापार समझौता दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।