भारत ने विकसित की विश्व की पहली जीनोम संपादित चावल किस्में

भारत जीनोम संपादित चावल की किस्में विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज देश में विकसित जीनोम संपादित चावल की दो किस्मों का लोकार्पण किया।

भारत ने विकसित की विश्व की पहली जीनोम संपादित चावल किस्में

कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)  ने देश में विश्व की पहली जीनोम संपादित दो चावल किस्में विकसित की हैं। आईसीएआर के संस्थानों द्वारा विकसित जीनोम संपादित चावल की दो किस्में - डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस 1 हैं। इनमें कमला किस्म अधिक उपज और कम समय में तैयार होती है जबकि पूसा डीएसटी राइस 1 सूखे और अधिक लवणता का सामना करने में सक्षम हैं। 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नई दिल्ली स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स में दोनों जीनोम संपादित किस्मों का लोकार्पण किया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का दिन देश के कृषि विकास में सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा। जीनोम संपादित चावल की दोनों किस्में देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने, लागत घटाने, पानी की बचत और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में मददगार होंगी। इन किस्मों के विकास के लिए कृषि वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि ये किस्में देश में दूसरी हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, पोषणयुक्त उत्पादन बढ़ाते हुए भारत को विश्व का फूड बासकेट बनाने के ध्येय से काम करना होगा। दलहन और तिलहन के उत्पादन की दिशा में वृद्धि के लिए हमें और आगे कदम बढ़ाने की जरूरत है। 

आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एमएल जाट ने बताया कि दोनों जीन एडिटेड किस्मों का ऑल इंडिया कॉर्डिनेटेड ट्रायल हो चुका है और जल्द ही इनके ब्रीडर सीड, फाउंडेशन सीड और सर्टिफाइड सीड का चरण पूरा कर यह किस्में  किसानों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इन किस्मों को विकसित कर भारत ने जीनोम एडिटेड किस्मों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। 

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और आईएआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि नई किस्मों को जीनोम संपादन तकनीक (सीआरआईएसपीआर-कैस) तकनीक से विकसित किया गया है, जिससे पौधों के मूल जीन में सूक्ष्म बदलाव किए जाते हैं, और कोई बाहरी जीन नहीं जोड़ा जाता है। जीनोम एडिटिंग की दो विधियों एसडीएन1 और एसडीएन2 से विकसित किस्मों को भारत सरकार के जैव सुरक्षा नियमों से मुक्त रखा गया है। 

आईसीएआर के हैदराबाद स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR) ने धान की 'सांबा महसूरी' किस्म में जीनोम एडिटिंग कर नई किस्म डीआरआर धान 100 (कमला) विकसित की है। इसमें साइट डायरेक्टेड न्यूक्लीज 1 (SDN1) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे बाली में दानों की संख्या में वृद्धि हुई और उपज लगभग 19 फीसदी बढ़ गई। यह किस्म लगभग 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाएगी, जिससे पानी और लागत की बचत होती है। यह किस्म चावल की गुणवत्ता में मूल किस्म यानी सांबा महसूरी जैसी है। 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (IARI) ने धान की 'एमटीयू1010' किस्म में जीनोम एडिटिंग कर पूसा डीएसटी राइस 1 नाम से एक नई किस्म विकसित की है। यह किस्म सूखे और मिट्टी में अधिक लवणता का सामना करने में सक्षम है। इससे उपज लगभग 20-30 फीसदी बढ़ेगी और यह सूखा प्रभावित व क्षारीय मिट्टी वाले इलाकों के लिए उपयुक्त है। 

इन किस्मों की खेती से देश के लगभग 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 45 लाख टन धान के अतिरिक्त उत्पादन, ग्रीन हाउस गैसों में 20 फीसदी की कमी और 20 दिन पहले तैयार होने के कारण 750 करोड़ घन मीटर सिंचाई जल की बचत होने का अनुमान है।  

जीनोम एडिटिंग की इस प्रक्रिया में किसी बाहरी जीन का उपयोग नहीं किया गया है बल्कि पौधों के मूल जीन में ही सटीक बदलाव कर गुणों में संवर्धन किया जाता है। जीनोम संपादित फसलों को लेकर छिड़ी लंबी बहस के बाद भारत सरकार ने SDN1 और SDN2 प्रक्रिया से जीन एडिटेड फसलों को सुरक्षित माना और इन्हें बॉयोसेफ्टी गाइडलाइन से छूट दी थी। इस संबंध में 30 मार्च, 2022 को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी। 

जीनोम एडिटेड टेक्नोलॉजी को बॉयोसेफ्टी गाइडलाइन से छूट मिलने से ही नई किस्मों को विकसित करने का रास्ता खुला है। यह तकनीक देश की खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा में भी बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम है। आईसीएआर द्वारा खाद्यान्न, तिलहन व दलहनों सहित कई फसलों में जीनोम एडिटिंग अनुसंधान आरंभ किए जा चुके हैं।

कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने वर्चुअल जुड़कर विचार व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों को बधाई दी। कार्यक्रम को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव, आईसीएआर के उपमहानिदेशक (एक्सटेंशन) डॉ. राजबीर सिंह, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ. आर.एम. सुंदरम, आईएआरआई के निदेशक डॉ. सीएच. श्रीनिवास राव ने भी संबोधित किया। 

Subscribe here to get interesting stuff and updates!