इथेनॉल आवंटन घटने और शुगर MSP न बढ़ने से गहरा सकता है गन्ना भुगतान का संकट: इस्मा
भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) ने चिंता जताई है कि इथेनॉल आवंटन में भारी कमी और चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी न होने से चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है जिससे किसानों को गन्ना भुगतान का संकट बढ़ सकता है।
नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ISMA के उपाध्यक्ष नीरज शिवगांवकर ने कहा कि सरकार को गन्ना रस और बी-हेवी शीरे से बनने वाले इथेनॉल को प्राथमिकता पुनः बहाल करनी चाहिए। क्योंकि सरकार द्वारा आवंटन नीति में असंतुलन से उद्योग की तरलता और संचालन पर सीधा असर पड़ रहा है।
इथेनॉल आवंटन में असंतुलन
ISMA के अनुसार, इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1,049 करोड़ लीटर में से केवल 289 करोड़ लीटर (28%) इथेनॉल गन्ने आधारित स्रोतों से आवंटित किया गया है, जबकि 760 करोड़ लीटर (72%) अनाज आधारित इथेनॉल को दिया गया है। संघ ने इस असंतुलन को लेकर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इससे चीनी उद्योग पर गंभीर असर पड़ेगा। गन्ना आधारित डिस्टिलरियों को आधी क्षमता से भी कम पर चलना पड़ सकता है, जिससे लगभग 34 लाख टन कम चीनी डायवर्जन होगा और घरेलू बाजार में अधिशेष स्टॉक बढ़ने से चीनी के दाम गिर सकते हैं। इससे गन्ना किसानों के भुगतान में देरी व बकाया बढ़ने की आशंका है।
ISMA ने कहा कि यह नीति आयोग के 2021 के जैव ईंधन रोडमैप के विपरीत है, जिसमें 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रण (E20) लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 55% योगदान चीनी क्षेत्र से आने का अनुमान लगाया गया था। इस दिशा में उद्योग ने अब तक 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर करीब 900 करोड़ लीटर की इथेनॉल उत्पादन क्षमता तैयार की है।
इथेनॉल कीमतें और शुगर MSP बढ़ाने की मांग
इस्मा ने बताया कि 2022-23 से अब तक गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) ₹305 से बढ़कर ₹355 प्रति क्विंटल हो गया है, यानी 16.5% की वृद्धि, लेकिन इथेनॉल की खरीद कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। बी-हेवी शीरे से इथेनॉल उत्पादन लागत ₹66.09 प्रति लीटर और गन्ना रस से ₹70.70 प्रति लीटर है, जबकि सरकार इनकी खरीद क्रमशः ₹60.73 और ₹65.61 प्रति लीटर पर कर रही है। प्रति लीटर लगभग ₹5 के घाटे के कारण गन्ना आधारित इथेनॉल उत्पादन आर्थिक रूप से अव्यवहार्य हो गया है, जिससे मिलों की वित्तीय स्थिति और किसानों को भुगतान दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि फरवरी 2019 से शुगर का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) ₹31 प्रति किलो पर स्थिर है, जबकि गन्ने का FRP ₹275 से बढ़कर ₹355 प्रति क्विंटल हो चुका है — यानी लगभग 29% की वृद्धि। इससे चीनी की उत्पादन लागत ₹40.24 प्रति किलो तक पहुंच गई है, जबकि बाजार में कीमतें घटने के संकेत हैं। दिसंबर 2025 तक घरेलू बाजार में चीनी के दाम उत्पादन लागत से नीचे जा सकते हैं, जिससे मिलों की नकदी स्थिति खराब होगी और किसानों के भुगतान में गंभीर देरी होगी।
बल्लानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (SAP) ₹30 प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है, जिससे किसानों को लगभग ₹3,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त भुगतान मिलेगा। यह किसानों के लिए सकारात्मक कदम है, लेकिन इससे चीनी मिलों की लागत भी बढ़ेगी। ऐसे में सरकार को ऐसी नीतियां लानी चाहिए जिससे मिलें किसानों को समय पर भुगतान करने में सक्षम रहें।
सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग
इस्मा ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कई कदम उठाने की अपील की है। इसमें इथेनॉल आवंटन में संतुलन लाकर कम से कम 50% हिस्सा चीनी आधारित फीडस्टॉक को देना, दूसरे चक्र के लिए 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की खरीद गन्ना रस और बी-हेवी शीरे से करने, इथेनॉल खरीद मूल्य में वृद्धि और शुगर MSP को FRP तथा उत्पादन लागत के अनुरूप संशोधित करना शामिल है।
चीनी उद्योग ने इथेनॉल मिश्रण को E20 से आगे बढ़ाने और चीनी निर्यात नीति शीघ्र घोषित करने की मांग भी की है ताकि अतिरिक्त स्टॉक का प्रबंधन किया जा सके और मिलों की नकदी स्थिति सुधरे।

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