वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमत भारत तय करेगाः मनसुख मांडविया

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया का कहना है कि साल 2024 में भारत उर्वरकों की वैश्विक कीमतें तय करेगा। कीमतों को तय करने के लिए अपनाई गई रणनीति का नतीजा हाल के दिनों में हम देख चुके हैं। दुनिया के बड़े डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) निर्यातक 950 से 1000 डॉलर प्रति टन की कीमत से कम में निर्यात करने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन हमने तय कर दिया था कि 900 डॉलर प्रति टन की कीमत से अधिक नहीं देंगे। इसका नतीजा यह हुआ कि हमने कम कीमत पर डीएपी का आयात किया और इस समय डीएपी की कीमत 750 डॉलर  प्रति टन के आसपास है। हम जहां देश में उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं वहीं निर्यातकों के साथ दीर्घकालिक सौदे कर रहे हैं। साथ ही देश में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) जैसे डीएपी के वैकल्पिक उर्वरक की खपत बढ़ाने और नये उत्पाद विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। गुरुवार को नई दिल्ली में फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) द्वारा आयोजित वर्कशाप 'एसएसपी इंडस्ट्री- द वे फॉरवर्ड' को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं।

वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमत भारत तय करेगाः मनसुख मांडविया

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया का कहना है कि साल 2024 में भारत उर्वरकों की वैश्विक कीमतें तय करेगा। कीमतों को तय करने के लिए अपनाई गई रणनीति का नतीजा हाल के दिनों में हम देख चुके हैं। दुनिया के बड़े डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) निर्यातक 950 से 1000 डॉलर प्रति टन की कीमत से कम में निर्यात करने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन हमने तय कर दिया था कि 900 डॉलर प्रति टन की कीमत से अधिक नहीं देंगे। इसका नतीजा यह हुआ कि हमने कम कीमत पर डीएपी का आयात किया और इस समय डीएपी की कीमत 750 डॉलर  प्रति टन के आसपास है। हम जहां देश में उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं वहीं निर्यातकों के साथ दीर्घकालिक सौदे कर रहे हैं। साथ ही देश में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) जैसे डीएपी के वैकल्पिक उर्वरक की खपत बढ़ाने और नये उत्पाद विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। गुरुवार को नई दिल्ली में फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) द्वारा आयोजित वर्कशाप 'एसएसपी इंडस्ट्री- द वे फॉरवर्ड' को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं। 

उन्होंने कहा कि हमने कई बड़े निर्यातकों के साथ तीन साल के लिए आयात समझौते किये हैं ताकि भारतीय कंपनियों को लगातार डीएपी की आपूर्ति होती रहे। हम कोशिश कर रहे हैं कि देश में उर्वरकों की किल्लत पैदा न हो। ऐसा होने पर निर्यात कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी कर गैर जरूरी फायदा नहीं ले सकेंगी। साथ ही हमने यह समझौते कई देशों की कंपनियों के साथ किये हैं ताकि आपूर्ति में कोई बाधा न आए। 

एसएसपी उद्योग पर बात करते हुए मांडविया ने कहा कि बेहतर संभावना के बावजूद एसएसपी उद्योग अपनी क्षमता का आधा ही उपयोग कर पा रहा है। यहां उत्पाद की गुणवत्ता एक बड़ा मुद्दा है। आपको बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद के जरिये किसानों के भरोसे को जीतना होगा। सरकार के पास सभी एसएसपी उत्पादक इकाइयों के आंकड़े हैं। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि किसान के साथ गुणवत्ता के मामले में कोई भी धोखा नहीं हो। हमारा किसान  मौसम से लेकर बीज की गुणवत्ता, उर्वरकों और कीटनाशकों की गुणवत्ता से लेकर बाजार कीमतों में होने वाले उतार चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताओं का सामना करता है। इसके बावजूद वह लोगों का पेट भरने के लिए अनाज का उत्पादन करता है। उसके साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी एक बड़ा जुर्म है।

मांडविया ने कहा कि सरकार उद्योग पर गैर जरूरी नियमन नहीं चाहती है। आप अच्छा काम करें तो सरकार हर स्तर पर आपका सहयोग करने के लिए तैयार है। आप एक बिजनेस कर रहे हैं और बिजनेस मुनाफा कमाने के लिए ही होता है। मुनाफा कमाना बुरी बात नहीं है लेकिन लूट नहीं होनी चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने कोविड काल में इलाज के लिए हास्पिटलों द्वारा गैर जरूरी मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति का जिक्र किया। हालांकि उन्होंने कहा कि बहुत से हास्पिटलों ने बेहतर इलाज जायज शुल्क पर ही किया। इसलिए हर उद्योग में सभी एक तरह के लोग नहीं होते हैं। इसलिए यह जिम्मा उद्योग का है कि वह ऐसे लोगों को हतोत्साहित करें जो गुणवत्ता से समझौता करते हैं।

उर्वरक मंत्री ने कहा कि एसएसपी उद्योग को नये उर्वरक उत्पादों पर भी काम करना चाहिए। कुछ कंपनियों ने इसकी पहल भी की है जहां यूरिया और एसएसपी को मिलाकर उत्पाद बनाया है। जब इस तरह से उत्पाद बनेंगे तो उनकी सब्सिडी कैसे तय होगी उस पर भी विचार किया जाएगा उन्होने एसएसपी उद्योग को सब्सिडी के मोर्चे पर भी जरूरी मदद का भरोसा दिया। 

उसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में 120 लाख टन एसएसपी उत्पादन की क्षमता है। इसका करीब 45 फीसदी ही उपयोग हो रोहा हैा। देश में 2022-23 में करीब 55 लाख टन एसएसपी का उत्पादन होगा। इस क्षमता का उपयोग बढ़ाने के लिए उद्योग को निर्यात संभावनाओं पर काम करना चाहिए। हमारे पड़ोसी देशों को एसएसपी का निर्यात किया जासकता है। एसएसपी के लिए पार्क बनाने पर उन्होंने कहा कि इसके लिए उद्योग राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के विभागों के साथ मिलकर काम कर सकता है। इससे लागत घटेगी। साथ ही यह पार्क बंदरगाह के पास हो तो ढुलाई खर्च बचेगा क्योंकि इसके उत्पादन में कच्चे माल के आयात की भी जरूरत है। साथ ही वहां से निर्यात भी प्रतिस्पर्धी रहेगा। एसएसपी पार्क के लिए उन्होंने कांडला और भावनगर में जमीन की उपलब्धता होने के चलते वहां संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के पार्क पूर्वी तट और पश्चिमी तट दोनों जगह पर होने चाहिए। 

इस मौके पर उर्वरक सचिव अरूण सिंघल ने कहा कि एसएसपी उद्योग को स्व नियमन पर काम करना चाहिए। केवल 100 इकाइयां हैं उनके उत्पाद की गुणवत्ता के लिए एसोसिएशन को हर माह सैंपल लेना चाहिए। इन आंकड़ों को सार्वजनिक करना चाहिए। जो कंपनियां गुणवत्ता में समझौता करती हैं उनके खिलाफ एसोसिएशन को कदम उठाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एसएसपी उद्योग को नये उत्पाद बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इससे उनके उत्पाद की मांग बढ़ेगी। 

इस मौके पर एफएआई के महानिदेशक अरविंद चौधरी नेकहा कि उद्योग एसएसपी पार्क के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव पर काम कर रहा है। इसके लिए विशाखापत्तनम और भावनगर में पार्क स्थापित करने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।  इस वर्कशाप में उद्योग की स्थिति पर उद्योग के प्रतिनिधियों ने प्रेजेंटेशन भी दिये।

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