चीन की मांग में कमी, अमेरिका और कनाडा में नई फसल आने से विश्व बाजार में तिलहन की कीमतों पर दबाव
अमेरिका और कनाडा में तिलहन की नई फसल आने और चीन की मांग में कमी ने वैश्विक तिलहन बाजार पर दबाव डाला है। चीन द्वारा अमेरिकी सोयाबीन और कनाडाई रेपसीड आयात रोकने से कीमतों में गिरावट आई है, जबकि यूक्रेन के निर्यात टैक्स और यूरोप में सीमित मांग ने बाजार गतिविधियों को और धीमा किया है।

अमेरिका और कनाडा में तिलहन की फसल आने और चीन को घटते निर्यात ने हाल के हफ्तों में वैश्विक बाजारों में तिलहन कीमतों पर दबाव डाला है। भू-राजनीतिक कारणों ने भी इस रुझान को प्रभावित किया है। अमेरिकी टैरिफ के प्रतिक्रिया स्वरूप, चीन ने अमेरिकी सोयाबीन का आयात रोक दिया है, जबकि कनाडा द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में चीन ने कनाडाई रेपसीड आयात बंद कर दिया है।
इसी बीच, यूक्रेन ने सोयाबीन और रेपसीड पर 10% निर्यात कर लागू किया है, जिससे उसके शिपमेंट की रफ्तार धीमी हुई है। अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के कीव स्थित दूतावास ने बताया कि निर्यातक अब किसानों से तिलहन की खरीद कीमतें घटा रहे हैं, ताकि वे नए करों का भुगतान कर सकें। वर्ल्ड ग्रेन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय व्यापारियों ने भी नए सिस्टम की अनजान प्रक्रिया के कारण व्यापारिक गतिविधियों में मंदी की सूचना दी है।
अंतरराष्ट्रीय अनाज परिषद (International Grains Council - IGC) ने अपनी 18 सितंबर की रिपोर्ट में कहा कि खासकर अमेरिका और ब्राजील में मौसम और उत्पादन संबंधी चिंताओं के चलते वैश्विक निर्यात कीमतें मामूली रूप से बढ़ी हैं। शिकागो सोयाबीन वायदा में 20 अगस्त से अब तक 3% की बढ़त दर्ज की गई, जो मध्य-पश्चिम में प्रतिकूल मौसम से उत्पादन की चिंता को दर्शाती है। हालांकि इस बढ़त को चीन की कमजोर मांग ने बराबर कर दिया।
अमेरिका में सोया तेल कीमतों में मजबूती से एफओबी (FOB) कीमतें 1% बढ़कर 409 डॉलर तक पहुंची। ब्राजील की निर्यात मांग को विशेषकर चीन से समर्थन मिला। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर जैव ईंधन उत्पादन में सोया तेल की बढ़ती खपत ने भी बाजार को सहारा दिया। पेरानागुआ पोर्ट पर निर्यात कीमतें साल-दर-साल 1% बढ़कर 448 डॉलर प्रति टन तक पहुंचीं।
दूसरी ओर, कनाडा में कैनोला वायदा कीमतों में 3% की मासिक गिरावट देखी गई। IGC के अनुसार, कटाई में तेजी, बेहतर उत्पादन अनुमानों और चीन की मांग में कमी की चिंताओं ने कीमतों पर दबाव डाला। वैंकूवर से रेपसीड की FOB कीमतें भी 23 डॉलर घटकर 479 डॉलर प्रति टन रह गईं।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने 5 सितंबर को जारी अपने फूड प्राइस इंडेक्स में बताया था कि अगस्त 2025 में वैश्विक वनस्पति तेल कीमतें जुलाई की तुलना में 1.4% अधिक रहीं और जुलाई 2022 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचीं। पाम, सूरजमुखी और रेपसीड तेल की बढ़ती कीमतों ने सोया तेल की मामूली गिरावट की भरपाई की।
FAO ने बताया कि इंडोनेशिया द्वारा 2026 में बायोडीजल ब्लेंडिंग अनुपात बढ़ाने की योजना से पाम तेल की कीमतों में लगातार तीसरे महीने वृद्धि हुई। वहीं, काला सागर क्षेत्र और यूरोप में आपूर्ति सीमित होने से सूरजमुखी और रेपसीड तेल के भाव भी बढ़े।
USDA की "ऑयल क्रॉप्स आउटलुक" रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का सोयाबीन निर्यात धीमा रहा है क्योंकि ब्राजील और अर्जेंटीना ने अक्टूबर-दिसंबर के पीक सीजन में बड़े पैमाने पर शिपमेंट किए हैं। चीन ने अगस्त से कनाडा के रेपसीड और मार्च 2025 से रेपसीड उत्पादों पर टैरिफ लगा दिए हैं, जिससे वहां की क्रशिंग गतिविधियां घटी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन अब कनाडा से कम रेपसीड आयात करेगा और रूस व भारत जैसे देशों से अधिक रेपसीड मील (meal) खरीदने की संभावना है। इससे वैश्विक तिलहन व्यापार पर आने वाले महीनों में और दबाव रह सकता है।