कृषि मंत्रालय का बजट मामूली बढ़ा, लेकिन कई योजनाओं के बजट व सब्सिडी में कटौती

वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में कृषि मंत्रालय के बजट में मामूली बढ़ोतरी की गई है। लेकिन कृषि से जुड़ी कई अहम योजनाओं के बजट और सब्सिडी में कटौती की गई है। चुनावी साल होने के बावजूद सरकार ने लुभावनी घोषणाओं के बजाय राजकोष की स्थिति को ध्यान में रखा है।

कृषि मंत्रालय का बजट मामूली बढ़ा, लेकिन कई योजनाओं के बजट व सब्सिडी में कटौती

वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में कृषि मंत्रालय के बजट में मामूली बढ़ोतरी की गई है। लेकिन कृषि से जुड़ी कई अहम योजनाओं के बजट और सब्सिडी में कटौती की गई है। चुनावी साल होने के बावजूद सरकार ने लुभावनी घोषणाओं के बजाय राजकोष की स्थिति को ध्यान में रखा है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लिए वर्ष 2024-25 में 1.27 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है जबकि पिछले बजट में कृषि मंत्रालय के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था। इसी तरह कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का कुल बजट 1.47 लाख करोड़ रुपये है जो 2023-24 के लिए 1.44 लाख करोड़ रुपये था।

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बार अन्नदाता किसानों का जिक्र किया और उन्हें देश की तरक्की का आधार बताया। लेकिन कृषि से जुड़ी कई योजनाओं के बजट में कटौती की गई है। इनमें कई योजनाएं ऐसी हैं जिन पर किसानों को बाजार की मार से बचाने का दारोमदार था। किसानों को मौसम की मार से बचाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बजट में कटौती हुई है। इस योजना के लिए 14,600 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है जो वर्ष 2023-24 में 15,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है।

पीएम-किसान के तहत किसानों को मिलने वाली सालाना 6 हजार रुपये की धनराशि में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन सरकार ने योजना के बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। गत वर्ष के समान इस बार भी पीएम किसान योजना के लिए 60000 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान है। स्पष्ट है कि पीएम किसान का दायरा बढ़ाने या इसकी धनराशि में बढ़ोतरी की कोई योजना नहीं है।

किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए शुरू की गई मार्केट इंटरवेंशन स्कीम एंड प्राइस सपोर्ट स्कीम के लिए बजट आवंटित नहीं किया है। जबकि 2022-23 में इस योजना पर 4 हजार करोड़ रुपये का बजट मिला था। चालू वित्त वर्ष में भी इसके लिए 40 करोड़ रुपये का संशोधित अनुमान है। राज्यों में दालों के वितरण के लिए सरकार ने पिछले बजट में 800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन इस बार इस योजना को भी बजट नहीं मिला है। 

किसानों से जुड़ी जिन योजनाओं के बजट में कटौती की गई है उनमें कई योजनाएं प्रधानमंत्री के नाम से चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना का बजट सरकार ने 138 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया है। जबकि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना (पीएम आशा) का बजट मौजूदा वित्त वर्ष में 2200 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से घटाकर 1737 करोड़ रुपये किया गया है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के लिए 729 करोड़ का बजट है जो पिछली बार 923 करोड़ रुपये था।  

देश में 10 हजार एफपीओ गठित करने की योजना के लिए पिछले बजट में 955 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। लेकिन अगले वित्त वर्ष के बजट में इसे घटाकर 582 करोड़ रुपये कर दिया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाली योजना में भी बजट कटौती हुई है। प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन का बजट 459 करोड़ रुपये से घटकर 366 करोड़ रुपये रह गया है। गत वर्ष आवंटित 459 करोड़ रुपये के बजट में से भी मौजूदा वर्ष में सिर्फ 100 करोड़ रुपये खर्च हो पाएंगे।  

सब्सिडी में कटौती

वर्ष 2024-25 के बजट में केंद्र सरकार ने सब्सिडी के बोझ को कम करने का प्रयास किया है। उर्वरक सब्सिडी के लिए 2024-25 के अंतरिम बजट में 1.64 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो पिछले बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपये और संशोधित अनुमान में 1.89 लाख करोड़ था। न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में 60,300 करोड़ है जबकि आगामी वित्त वर्ष के लिए इसे 45,000 करोड़ रुपये रखा गया है। यूरिया सब्सिडी के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है जो पिछली बार 1.31 लाख करोड़ के बजट अनुमान से कम है। फूड सब्सिडी को सरकार ने 2024-25 में 2.05 लाख करोड़ रुपये तक सीमित रखा है जबकि चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में फूड सब्सिडी 2.12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

 

 

 

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