राशन दुकानों के जरिए 90 जिलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण, 291 जिलों तक पहुंचाने का है लक्ष्य

खाद्य सचिव ने कहा कि सरकार का लक्ष्य दूसरे चरण में 291 आकांक्षी और अन्य अत्यधिक जरूरत वाले जिलों में 175 लाख टन फोर्टिफाइड चावल वितरित करने का है। इसका लगभग आधा खरीदा जा चुका है। खाद्य सचिव ने बताया कि लगभग 90 लाख टन फोर्टिफाइड चावल एफसीआई ने खरीदा है। अप्रैल-मई के दौरान 16 राज्यों के 90 जिलों में 2.2 लाख टन चावल भेजा गया है

राशन दुकानों के जरिए 90 जिलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण, 291 जिलों तक पहुंचाने का है लक्ष्य

राशन की दुकानों के जरिए फोर्टिफाइड चावल वितरित करने का दूसरा चरण अप्रैल से शुरू हो गया है। अभी तक 291 लक्षित जिलों में से 90 जिलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने सोमवार को यह जानकारी दी। फोर्टिफाइड चावल वितरित करने का पहला चरण अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया था। इसका वितरण इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (आईसीडीएस) और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पहले मध्यान्ह भोजन योजना) के तहत किया जा रहा है। फोर्टिफाइड चावल में खाद्य नियामक एफएसएसएआई के नियमों के मुताबिक आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 मिश्रित किए जाते हैं।

पांडे ने कहा कि सरकार का लक्ष्य दूसरे चरण में 291 आकांक्षी और अन्य अत्यधिक जरूरत वाले जिलों में 175 लाख टन फोर्टिफाइड चावल वितरित करने का है। इसका लगभग आधा खरीदा जा चुका है। खाद्य सचिव ने बताया कि लगभग 90 लाख टन फोर्टिफाइड चावल एफसीआई ने खरीदा है। अप्रैल-मई के दौरान 16 राज्यों के 90 जिलों में 2.2 लाख टन चावल भेजा गया है।

उन्होंने बताया कि मिलर्स ने भी चावल के फोर्टिफिकेशन के लिए अपने मिलों को अपग्रेड किया है। कुछ राज्यों में मिलों का अपग्रेडेशन चल रहा है। इस योजना के तीसरे चरण में राशन की सभी दुकानों के जरिए 350 लाख टन फोर्टिफाइड चावल वितरित किया जाएगा। खाद्य सचिव ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल से नुकसान की तुलना में फायदे बहुत अधिक हैं। फिर भी सभी राज्यों ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया है जो समस्त वितरण प्रक्रिया पर नजर रखेगी।

खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव एस जगन्नाथन ने कहा कि मात्रा बढ़ने से चावल के फोर्टिफिकेशन की लागत कम हुई है। अभी यह कुछ राज्यों में 73 पैसे प्रति किलोग्राम है तो कुछ राज्यों में 50 पैसे के आसपास है। उन्होंने कहा कि यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि कुपोषण के कारण उत्पादकता को होने वाले नुकसान, बीमारी तथा मृत्यु से हर साल देश को 77 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है। आयरन की कमी यानी एनीमिया से देश को हर साल जीडीपी का लगभग एक फ़ीसदी (2 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि पोषण पर एक रुपया खर्च करने से 34 से 38 रुपए तक का रिटर्न मिलता है।

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