शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से की विकसित कृषि संकल्प अभियान पर चर्चा

कृषि मंत्री ने राज्यों के कृषि मंत्रियों को 29 मई से 12 जून तक चलने वाले इस देशव्यापी अभियान में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने और अधिक से अधिक किसानों तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ एक बहुत बड़ा प्रयास है

शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से की विकसित कृषि संकल्प अभियान पर  चर्चा

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याणऔर ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली के कृषि भवन से वर्चुअल माध्यम से राज्यों के कृषि मंत्रियों से बातचीत की और आगामी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’को सफल बनाने का आह्वान किया। बैठक में कृषि मंत्रालय के सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। 

कृषि मंत्री ने राज्यों के कृषि मंत्रियों को 29 मई से 12 जून तक चलने वाले इस देशव्यापी अभियान में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने और अधिक से अधिक किसानों तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ एक बहुत बड़ा प्रयास है। यह देश अपना है, माटी अपनी है, किसान अपने हैं, हमारा उद्देश्य किसानों की खेती को फायदे में बदलना, खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना, देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, अनाज, दालें, फल, सब्जियों उनके भंडार भरना और पोषणयुक्त आहार देश की जनता को उपलब्ध कराना है। मुझे खुशी है कि इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकारें बेहतर काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि इस साल रिकॉर्ड स्तर पर उत्पादन हुआ है। चाहे चावल हो, धान हो, मक्का हो यहां तक कि दाल-दलहन, तिलहन में भी हमने उत्पादन बढ़ाकर नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। केंद्र और राज्य सरकारों के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सभी संस्थान, विभाग, विश्वविद्यालय व अन्य संसाधनों के आपसे तालमेल से काम करने से सफलता की नई ऊंचाइयां अर्जित की जा सकती है। साझा समन्वय के साथ एक दिशा में काम करने से खेती में चमत्कार हो सकता है।

चौहान ने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ कृषि मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सम्मिलित प्रयास से होगा। इस अभियान के अंतर्गत वैज्ञानिकों की टीम देशव्यापी स्तर पर गांव-गांव जाकर किसानों को प्रशिक्षित करने का काम करेंगी। इसके लिए 2,170 वैज्ञानिकों की टीमों का गठन किया गया है। इस अभियान में दो तरफा संवाद होगा, एक ओर वैज्ञानिक किसानों को शोध और तकनीक की जानकारी देंगे, वहीं दूसरी ओर किसानों से खेती में आ रही समस्याओं की जानकारी भी लेंगे व समाधान के रास्ते भी बताएंगे। आगे की शोध की दिशा भी तय करेंगे।

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