थोक महंगाई 14 माह के निचले स्तर पर, खाद्य वस्तुएं सस्ती होने से किसानों पर मार

जहां उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिली है, वहीं इसका सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ा है। महंगाई में कमी की बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट है, जिसके चलते किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।

थोक महंगाई 14 माह के निचले स्तर पर, खाद्य वस्तुएं सस्ती होने से किसानों पर मार

भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 0.39 फीसदी रह गई, जो पिछले 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है। अप्रैल में यह दर 0.85% थी। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, ईंधन और प्राथमिक उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई है। मई में खुदरा महंगाई (CPI) भी घटकर 75 महीनों के न्यूनतम स्तर 2.82% पर आ गई।

जहां उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिली है, वहीं इसका सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ा है। महंगाई में कमी की मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट है, जिसके चलते किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। कई कृषि उपजों के दाम एमएसपी से नीचे चल रहे हैं। 

खाद्य महंगाई 19 माह के निचले स्तर पर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई दर घटकर 1.72% रही, जो अप्रैल में 2.55% थी। यह पिछले 19 महीनों में सबसे कम है।

सब्जियों की कीमतों में गिरावट जारी है। मई में सब्जियों (-21.6%), दालों (-10.4%), आलू (-29.4%) और प्याज (-14.4%) की थोक कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इसी अवधि में अंडा, मांस और मछली की कीमतों में लगातार दूसरे महीने (-1.01%) गिरावट दर्ज की गई। इन वस्तुओं की कीमतों में गिरावट ने कुल खाद्य महंगाई को कम किया है।

हालांकि, फलों की थोक महंगाई दर अप्रैल के 8.38% से बढ़कर मई में 10.17% हो गई। दूध की महंगाई दर भी बढ़कर 2.66% पहुंच गई, जो अप्रैल में मात्र 0.59% थी। तिलहन पर 2.79% महंगाई दर्ज की गई, जबकि अनाज (2.56%), धान (0.96%) और गेहूं (5.75%) पर महंगाई की रफ्तार कुछ कम हुई है।

थोक महंगाई के आंकड़े दर्शाते हैं कि किसानों द्वारा पैदा की जाने वाली अधिकांश खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट जारी है। किसानों को पिछले साल की तुलना में अपनी उपज कम कीमत पर बेचनी पड़ी है। कई खाद्य वस्तुओं में यह गिरावट 10% से भी अधिक है।

वनस्पति तेलों पर 26.49% महंगाई

एक ओर जहां खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई में गिरावट दर्ज की गई, वहीं वनस्पति तेल और वसा की थोक महंगाई 26.49% रही, जो चिंता का विषय है। तैयार खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई दर 8.45% रही, जबकि पेय पदार्थों पर 1.80% की थोक महंगाई दर्ज की गई।

ईंधन और ऊर्जा की थोक महंगाई में गिरावट

मई में ईंधन और ऊर्जा वर्ग की महंगाई दर (-)2.27% रही, जो अप्रैल में (-)2.18% थी। पेट्रोल की थोक महंगाई दर -8.49% और डीजल की -5.61% रही। खनिज तेलों की कीमतों में गिरावट इसकी प्रमुख वजह रही। फैक्ट्री में बने उत्पादों पर महंगाई दर मई में घटकर 2.04% रही, जो अप्रैल में 2.62% थी।

मानसून पर नजर

खाद्य महंगाई की दिशा काफी हद तक कृषि उत्पादन और मानसून की स्थिति पर निर्भर है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सामान्य से बेहतर मानसून की भविष्यवाणी की है लेकिन अब तक मानसून की बारिश में 31% की कमी देखी गई है। मानसून की शुरुआत भले जल्दी हुई हो, लेकिन जून के पहले सप्ताह में इसकी प्रगति धीमी रही है। इससे फसल उत्पादन और खाद्य महंगाई पर असर पड़ सकता है।

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