उत्तर प्रदेश: बाघ-तेंदुए के हमलों से दहशत में किसान, दो की मौत, वन विभाग पर सवाल

उत्तर प्रदेश के बिजनौर और पीलीभीत जिलों में बाघ और तेंदुए का आतंक जारी, दहशत के माहौल में किसानों के लिए खेत जाना भी हुआ मुश्किल

उत्तर प्रदेश: बाघ-तेंदुए के हमलों से दहशत में किसान, दो की मौत, वन विभाग पर सवाल

उत्तर प्रदेश के बिजनौर, पीलीभीत और आसपास के जिलों में बाघ और तेंदुए के हमलों से किसानों का खेतों में जाना मुश्किल हो गया है। उत्तराखंड से सटे इन जिले में पिछले दो-तीन वर्षों से वन्यजीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन किसानों पर वन्यजीवों के हमलों की खबरें आती रहती हैं। लेकिन इस समस्या का अब तक कोई कारगर हल नहीं निकला है। 

बिजनौर जिले के चांदपुर क्षेत्र के सब्दलपुर तेली गांव में रविवार को जंगल से चारा लेने गई एक महिला पर तेंदुए ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। जब तक लोग उसे बचाने पहुंचे, तेंदुआ महिला का सिर खा चुका था। तेंदुए के आतंक से इलाके में दहशत का माहौल है।

तेंदुए के हमले का शिकार हुई समीना (50) शाम करीब चार बजे खेत में चारा लेने गई थीं। देर शाम तक जब वह वापस नहीं लौटीं तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। समीना का शव गांव के पास पड़ा मिला। ग्रामीणों के अनुसार, तेंदुए ने समीना के गले से ऊपर का हिस्सा खा लिया था और शरीर पर पंजों के निशान मिले। पूरे क्षेत्र में जंगली जानवरों के हमलों के चलते दहशत और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीण कई बार वन विभाग और प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं।

किसान नेता दिगंबर सिंह ने कहा कि जंगली जानवरों के हमलों से किसान बेहद परेशान हैं। कई बार धरने-प्रदर्शन और आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। किसान खेतों में जाने से डरने लगे हैं। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर प्रभावी उपाय करने चाहिए। 

पिछले दिनों बिजनौर के मंडावर थाना क्षेत्र के इनामपुरा गांव में एक तेंदुए की मौत के मामले में वन विभाग ने कई ग्रामीणों के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया। 10 मई को गांव में घुसे एक तेंदुए को ग्रामीणों ने रस्सी से बांधकर बाथरूम में बंद कर दिया था। वन विभाग की टीम ने तेंदुए को वहां से छुड़ाया, लेकिन दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज होने का किसान यूनियनों ने विरोध किया है।

पीलीभीत जिले के पूरनपुर क्षेत्र से भी बाघ के हमले में एक किसान की मौत की खबर है। रविवार को चतीपुर गांव में खेत में पानी लगा रहे राम प्रसाद (45) पर झाड़ियों में छिपे बाघ ने अचानक हमला कर दिया। उसने किसान की गर्दन पकड़कर करीब 500 मीटर तक घसीटा। ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से शव को बाघ से छुड़ाया। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने शव को रखकर कई घंटे विरोध-प्रदर्शन किया। बताया जाता है कि हंगामे की वजह से वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी चार घंटे तक मौके पर नहीं पहुंचे।

पीलीभीत जिले के पूरनपुर क्षेत्र में चार दिनों के भीतर यह दूसरी घटना है। इससे पहले 14 मई को नजीरगंज गांव में खेत में सिंचाई करने गए किसान हंसराज (50) पर भी बाघ ने हमला कर दिया था। बाद में उसका शव बरामद हुआ। अभी तक वह बाघ पकड़ा नहीं गया है, जिससे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। 

सवाल यह है कि जंगली जानवरों के लगातार हमलों के बावजूद वन विभाग की ओर से ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गये? किसानों का खेतों में जाना मुश्किल हो गया है। आमजन भी भयभीत हैं। इस समस्या का आखिर समाधान क्या है?

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